समूह की ताकत और आत्मबल से राजेश्वरी बनी रोल माडल




लखनऊ - समूह से शक्ति मिलती है,कोशिश करने का हौसला मिलता है और सामूहिकता का एहसास हमेशा व्यक्ति को दृढ़ बनाता है इसक जीता जागता उदाहरण  राजेश्वरी हैं जो कि आठ साल पहले स्वयं सहायता समूह से जुड़ी। पाँच लोगों से शुरू हुए इस समूह में इस समय 12 महिलाएं हैं और यह समूह एक सक्रिय समूह है इसे  बैंक से लोन भी मिल चुका है । इस समूह की सभी महिलायें किसी न किसी आय उत्पादन गतिविधियों से जुड़ी हुई हैं। राजेश्वरी अन्य महिलाओं के साथ मिलकर पापड़, आचार, बड़ी, मुँगौड़ी, आदि सामान ऑर्डर पर बनाकर बेचती हैं।

इसके साथ ही राजेश्वरी ने मशरूम की खेती और किचन गार्डन की खेती का भी प्रशिक्षण लिया है, चिकन की कढ़ाई में भी पारंगत हैं, ऑर्डर पर साड़ियाँ और सलवार सूट भी काढ़ती हैं और लखनऊ से उनके पास  कई  ऑर्डर आते हैं।

राजेश्वरी बताती हैं कि स्वयं सहायता समूह से जुडने से मुझे काफी चीजों के बारे में जानकारी मिली। मेरे खुद के पास में पैसा रहता है अगर किसी को जरूरत होती है तो मैं मदद भी करती हूँ | इससे मुझमें आत्मविश्वास भी जगा है |पर यह सब हमेशा से ऐसा ना था।

 राजेश्वरी बक्शी का तालाब ब्लॉक के डिगोई गाँव में रहती हैं। वह पिछले पंद्रह साल से फाइलेरिया से पीड़ित हैं जिसमें उनका दायाँ हाथ प्रभावित है और इसकी वजह से वह कई वर्षों तक अपने में ही परेशान रहीं  लेकिन इसको उन्होंने कमजोरी नहीं समझा बल्कि चुनौती के रूप में स्वीकार किया।

राजेश्वरी बताती हैं कि 15 साल पहले जब पता चला कि फाइलेरिया है तो एक बार तो लगा कि अब जीवन कैसे बीतेगा लेकिन फिर सोचा कि रोने से क्या फायदा। जब जीना है तो स्वीकारो , काम करने में दिक्कत तो आती थी, हाथ में दर्द और सूजन रहती थी। दवा खा खाकर दर्द और सूजन कम  करते थे। दो साल पहले लखनऊ से सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफॉर) संस्था के प्रतिनिधि ने आकर फाइलेरिया रोगियों का समूह बनाया जिसमें मैं जुड़ी। इसमें संस्था के लोगों ने फाइलेरिया प्रभावित अंगों की देखभाल और व्यायाम के बारे में बताया था। मैंने इसका प्रशिक्षण लिया और दैनिक जीवन में नियमित रूप से अभ्यास किया। आज मुझे बहुत आराम है और शायद एक कारण यह भी है जिसकी वजह से मैं सारे काम आसानी से कर पा रही हूँ।

राजेश्वरी फाइलेरिया पीढ़ित रोगियों को भी व्यायाम व देखभाल के तरीके बताती हैं और उन्हे सरकारी स्वास्थ्य केंद्र से सही सलाह और उपचार लेने की राह दिखती है वह लोगों को संदेश देती हैं कि कमी को अपने ऊपर हावी न होने दे। अपने ऊपर भरोसा करें और प्रयास करें । मेहनत से कभी भी जी न चुराएं। राजेश्वरी दूसरों के लिए प्रेरणा हैं जो कि अपनी कमी को बोझ समझते हैं अपनी यथास्थिति से ही खुश रहते हैं । राजेश्वरी कहती हैं जब तक शरीर में जान है तब तक कुछ करते रहना है बैठना नहीं है।