डीआर टीबी मरीजों को गोद लेकर मनाया पिता की पुण्यतिथि



  • जिले में 1175 निक्षय मित्र 3066 क्षय रोगियों को गोद लेकर कर रहे हैं मदद
  • वर्तमान समय में 313 डीआर मरीजों और 8209 डीएस टीबी मरीजों का चल रहा है उपचार

गोरखपुर - जन्मदिन और पुण्यतिथि जैसे मौकों पर समाज के प्रभावशाली लोगों के साथ साथ अब स्वास्थ्यकर्मी भी टीबी मरीजों को गोद लेने के लिए आगे आ रहे हैं। इसी कड़ी में टीवी एचआईवी कोआर्डिनेटर राजेश सिंह ने भूमि संरक्षण अधिकारी रहे उनके पिता स्व भगत सिंह की चौथी पुण्यतिथि पर दो ड्रग रेसिस्टेंट (डीआर) टीबी मरीजों को गोद लिया है । यह जानकारी जिला क्षय रोग उन्मूलन अधिकारी डॉ गणेश यादव ने दी। उन्होंने बताया कि जिले में 1175 निक्षय मित्र 3066 टीबी रोगियों को गोद लेकर उनकी मदद कर रहे हैं । जिले में इस समय डीआर टीबी के 313 मरीज और ड्रग सेंसिटिव (डीएस) टीबी के 8209 मरीजों का उपचार चल रहा है।

जिला क्षय उन्मूलन अधिकारी ने बताया कि टीबी मरीज को गोद लेने वाले को निक्षय मित्र कहते हैं। कोई भी व्यक्ति या संस्था स्वेच्छा से निक्षय मित्र बन सकते हैं। निक्षय मित्र का निक्षय 2.0 पोर्टल पर पंजीकरण किया जाता है। मरीज की सहमति से ही उसे गोद लेते हैं। गोद लेने का आशय टीबी मरीज को मानसिक संबल प्रदान करना और पोषण के जरिये सहयोग करने से है। पोषण के लिए प्रत्येक माह टीबी मरीज को स्वेच्छा से चना, गुड़, फल, मूंगफली, सोयाबीन आदि पौष्टिक सामग्री देना होता है। मरीज को अन्य सामाजिक योजनाओं से जोड़ कर उसका लाभ भी दिलवा सकते हैं। हम सभी को मिल कर ऐसा वातावरण तैयार करना चाहिए कि इलाज के दौरान मरीज को महसूस हो कि वह अकेला नहीं है और समाज उसके साथ खड़ा है। इससे मरीजों को जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है।

डीआर टीबी मरीजों को गोद लेकर निक्षय मित्र बने स्वास्थ्यकर्मी राजेश ने बताया कि विभाग के अन्य स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा मरीजों को गोद लेकर उनकी मदद करने के प्रयासों को देख वह भी ऐसा करने के लिए प्रेरित हुए। उनके पास डीआर टीबी मरीज भी दवा लेने के लिए आते हैं, जिनमें कई काफी कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि के होते हैं। उन्होंने जिन दो मरीजों को गोद लिया है उनमें से एक हाईस्कूल की छात्रा हैं, जिसकी पढ़ाई टीबी होने के कारण बाधित हो गयी थी। दूसरा मरीज ठेला चलाता है और आर्थिक तौर से काफी कमजोर है। उन्होंने तय किया है कि दोनों मरीजों को यथासंभव हर माह पोषण पोटली देंगे और साथ ही उनका हालचाल लेकर मनोबल बढ़ाते रहेंगे।

इस अवसर पर उप जिला क्षय रोग उन्मूलन अधिकारी डॉ विराट स्वरूप श्रीवास्तव, जिला समन्वयक धर्मवीर प्रताप सिंह और पीपीएम समन्वयक अभय नारायण मिश्र भी मौजूद रहे।

मदद का मिला है भरोसा : दसवीं की छात्रा 15 वर्षीय कल्पना (बदला हुआ नाम) ने बताया कि खांसी और बुखार ठीक न होने पर उनके परिवार के लोगों ने चिकित्सक की सलाह पर उनकी जांच करवाई, जिसमें टीबी की पुष्टि हुई । पिछले साल 11 सितम्बर को दवा शुरू हुई। दवा खाने के बाद कुछ दिनों तक उल्टी की दिक्कत होने लगी और टीबी के कारण वह काफी कमजोर भी हो गई थीं, इसलिए पढ़ाई बंद कर दिया था। दवा के बाद हालत में थोड़ा सुधार हुआ तो स्कूल जाने लगीं। उन्हें जिला क्षय रोग केंद्र बुला कर मंगलवार को पोषण पोटली दी गयी है और कहा गया है कि दवा बंद नहीं होनी चाहिए। अगर कोई परेशानी हो तो जिला क्षय रोग केंद्र पर सम्पर्क करने के लिए बताया गया है।