डेंगू व चिकनगुनिया रोकथाम और नियंत्रण के लिए रणनीतिक कदम



लखनऊ। यह माह डेंगू रोधी माह के रूप में मनाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य डेंगू तथा चिकनगुनिया रोग पर प्रभावी रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए व्यापक जन जागरूकता फैलाना तथा अन्य विभागों व जनसामान्य का सहयोग लेना है।

सयुंक्त निदेशक मलेरिया एवं वीबीडी डा. विकास सिंघल ने बताया कि राष्ट्रीय  वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के निर्देशों का अनुपालन करते हुये डेंगू रोधी माह मनाये जाने के निर्देश सभी जिलों को दिये जा चुके हैं। डेंगू एडीज मच्छर से होने वाला रोग है |  मानसून और उसके बाद की अवधि में डेंगू बुखार का खतरा बढ़ जाता है । इसलिए डेंगू पर प्रभावी नियंत्रण के लिए निवारक गतिविधियों में तेजी लाने पर जोर है जिससे कि किसी भी तरह के आउटब्रेक से बचा जा सके।

डेंगू की जनजागरूकता पर इसलिए जोर है क्योंकि डेंगू की कोई वैक्सीन नहीं है। ऐसे में डेंगू की रोकथाम और नियंत्रण के लिए सोर्स रिडक्शन गतिविधियों में समुदाय की भूमिका महत्वपूर्ण है। समुदाय सजग रहे और जिम्मेदार बने और वह मच्छरजनित परिस्थियों को उत्पन्न ही न होने दे तो काफी हद तक डेंगू व अन्य मच्छरजनित बिमारियों को रोका जा सकता है।

हम तैयारियों को लेकर बात करें तो प्रदेश में डेंगू सहित अन्य वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के उपाय मार्च महीने से ही शुरु कर दिए गए थे। अप्रैल के महीने में चलाये गए संचारी रोग नियंत्रण अभियान में मनाया गया जिसमें स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने समुदाय को जागरूक करने के साथ लार्वा पनपने के स्त्रोत और सोर्स रिडक्शन की कार्यवाही की और वर्तमान में भी यह की जा रही है क्योंकि संचारी रोग नियंत्रण अभियान चल रहा है | इसके साथ ही 16 मई को राष्ट्रीय डेंगू दिवस भी मनाया गया।

डेंगू के प्रसार को रोकने हेतु डेंगू के मामलों में केस आधारित गतिविधि की जाती है जिसमें डेंगू के संभावित मरीजों  और  पुष्ट मरीजों के इलाज पर जोर दिया जा रहा है | सभी अस्पतालों में डेंगू वार्ड बनाये गए हैं जहाँ मच्छरदानी युक्त बेड हैं | इसके साथ ही डेंगू सहित अन्य वेक्टरजनित बीमारियों के मामलों की रिपोर्टिंग के लिए यूडीएसपी पोर्टल भी विकसित किया गया है जिसके बाद से मामलों की रिपोर्टिंग और प्रारंभिक निवारक गतिविधियों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। डेंगू और चिकनगुनिया की जाँच के लिए प्रदेश में पर्याप्त मात्र में एनएस1 और आईजीएम एलाइजा किट उपलब्ध हैं।

डा. सिंघल बताते हैं कि डेंगू के हर मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती । ये जांच करने वाले चिकित्सक की सलाह पर निर्भर है| यदि मरीज को उल्टी आ रही है, पेट मे तेज दर्द है सांस लेने में कठिनाई है रक्तचाप गिर रहा है, घबराहट हो रही है, बहुत कमजोरी महसूस हो रही हो या शरीर मे कहीं भी रक्तस्राव हो रहा हो तो ऐसी दशा मे तुरंत भर्ती करा कर पूर्ण इलाज करना चाहिए। डेंगू में इस बात का विशेष ध्यान रखें कि शरीर में पानी की कमी न होने पाए क्योंकि पानी की कमी से मरीज शॉक में चला जाता है । इसलिए डेंगू होने पर ओ आर एस का घोल, तरल पेय पदार्थ का सेवन करें । डेंगू के उपचार  में फ्लूड मैंजमनेट ही महत्वपूर्ण है । डेंगू  की पुष्टि होने पर घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि अधिकांश मामलों में इस बीमारी को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है | केवल कम प्लेटलेट काउंट ही प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन का संकेत नहीं है,  योग्य चिकित्सक से परामर्श के बाद ही इसकी आवश्यकता होती है वह भी दुर्लभ मामलों में ।

मच्छरों से बचने के उपाय :

  • सोते समय मच्छर दानी या मच्छररोधी क्रीम का उपयोग करें।
  • पूरी बांह के कपड़े पहने।
  • घर की खिड़की और दरवाजों पर जाली लगवाएं।
  • घरों और ऑफिस में हर रविवार मच्छरों पर वार के तहत कूलर और जलजमाव वाले स्थानों की सफाई करें।
  • यदि कहीं पानी इकट्ठा है तो उसमें जला हुआ मोबिल ऑयल डाल दें।
  • घर में पुराने कबाड़, गमलों की ट्रे, फ्रिज की ट्रे, पुराने टायर, शो प्लांट अदि  में पानी न इकट्ठा होने दें।
  • ध्यान दें कि बुखार होने पर बगैर समय बर्बाद किए तुरंत इलाज के लिए निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर जाएं। इस बात का हमेशा ध्यान रखें बुखार में देरी पड़ सकती है भारी।

आंकड़ों पर डालें नजर : वैसे तो डेंगू का प्रसार पूरे प्रदेश में ही है लेकिन 8 (लखनऊ, झांसी, बरेली, अयोध्या, बाराबंकी, प्रयागराज, गोंडा एवं कानपुर नगर) जनपद संवेदनशील हैं ।  इस साल जनवरी से अब तक कुल 352 डेंगू के केस सामने आये हैं ।

  • साल 2019 – 10640 डेंगू के मरीज
  • साल 2020 – 3715 डेंगू के मरीज
  • साल 2021 - 29,750 डेंगू के मरीज
  • साल 2022 - 19821 डेंगू के मरीज
  • साल 2023 - 35402 डेंगू के मरीज