उत्तर प्रदेश में परिवार नियोजन सेवाओं के उपयोग में 41 फीसद का आया उछाल



लखनऊ - सरकार द्वारा परिवार नियोजन सेवाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को सुधारने के लिए किये गए प्रयासों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जिसके परिणामस्वरूप ही  प्रदेश में परिवार नियोजन सेवाओं के उपयोग में वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार 2022-23 से 2023-24 तक कुल परिवार नियोजन साधनों के उपयोग में कुल 14 फीसद की वृद्धि हुई है। वहीं सबसे अधिक 41 फीसद की बढ़त त्रैमासिक गर्भनिरोधक इंजेक्शन अंतरा के इस्तेमाल में देखने को मिली।

प्रसव पश्चात् इंट्रायूटेरिन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस ( पीपीआईयूसीडी)  के इस्तेमाल में 24 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई है जबकि आईयूसीडी  के इस्तेमाल में 12% का इज़ाफा हुआ है  जो कि महिलाओं में बढ़ती जागरूकता और स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतर पहुंच को दर्शाता है। नॉन हार्मोनल साप्ताहिक गर्भनिरोधक गोली छाया के उपयोग में 20 फीसद का इजाफा हुआ है। कंडोम के इस्तेमाल में पाँच फीसद  की वृद्धि हुयी है तो वहीँ माला-एन के उपयोग में सात फीसद की वृद्धि हुई। अगर स्थायी गर्भनिरोधक उपायों को अपनाने की बात की जाए तो पुरुष नसबंदी में 29 फीसद और महिला नसबंदी में 17 फीसद का इजाफा हुआ है।

महाप्रबंधक परिवार नियोजन डा. सूर्यांश ओझा बताते है कि 2022-23 में 35.23 लाख उपयोगकर्ताओं ने परिवार नियोजन साधनों का इस्तेमाल किया जबकि इसकी तुलना में 2023-24 में यह संख्या बढ़कर 40.21 लाख हो गई है। उन्होंने बताया कि इस वृद्धि की वजह विभाग द्वारा लगातार किये जा रहे प्रयास हैं। इसका एक उदहारण है  कि हमने प्रदेश के सभी कार्यक्रमों के काउंसलर को परिवार नियोजन सम्बन्धी प्रशिक्षण दिए हैं जिससे कि जिन जिलों में अगर परिवार नियोजन काउंसलर नहीं हैं तो वहां परिवार नियोजन सम्बन्धी कार्य प्रभावित न हो।

साथ ही कहा कि हमारा निरंतर प्रयास है कि लक्षित जनसंख्या को परिवार नियोजन के आधुनिक साधनों के बारे में जानकारी हो और वह उसे स्वीकारें। हमें समुदाय को परिवार नियोजन के पारम्परिक साधनों को अपनाने के लिए हतोत्साहित करना है।