भारत में एमडीआर टीबी का हर चौथा रोगी उत्तर प्रदेश में :डॉ. सूर्य कान्त.



लखनऊ । किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्पिरेटरी  मेडिसिन विभाग के आडिटोरियम में  शुक्रवार को टीबी रोधी नेशनल अपडेट आन ड्रग रेसिस्टेंट टीबी का आयोजन किया गया । कार्यशाला की अध्यक्षता डॉ. सूर्य कान्त, विभागाध्यक्ष रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग, फाउण्डर इन्चार्ज सेन्टर आफ एक्सिलेन्स फार ड्रग रेसिस्टेन्ट टीबी केयर तथा पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन सेन्टर  ने की ।

कार्यशाला में सचिव की भूमिका डॉ. अंकित कुमार जो कि रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के असिस्टेन्ट प्रोफेसर तथा पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन सेन्टर के को-फैकल्टी इंचार्ज है, ने निभाई। कार्यशाला में डॉ. सूर्यकान्त ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 1.10 लाख ड्रग रेसिस्टेन्ट टीबी के रोगी हैं जिसमें से उत्तर प्रदेश में ही 27500 रोगी हैं। इन रोगियों की बढ़ी हुई संख्या के लिए तीन मुख्य कारण देखने को मिलते है, जो कि हैं- दवाएं बीच में ही छोड़ देना, टीबी का उपचार अप्रशिक्षित चिकित्सकों से कराना जैसे झोलाछाप डाक्टर व कुपोषण, डायबटीज़ या धूम्रपान का सेवन।

वहीं डॉ. अंकित कुमार ने ड्रग रेसिस्टेन्ट टीबी के रोगियों के उपचार के बाद की प्रक्रिया में पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन की प्रक्रिया को अपनाने तथा उससे जुड़े फायदों पर चर्चा करते हुए बताया कि जहाँ दवाइयों से रोगी चिकित्सकीय रूप से ठीक तो हो जाता है परन्तु एक लम्बे समय तक काम न कर पाने की वजह से हताशा व निराशा से जूझने में अक्षमता महसूस करता है, ऐसे में पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन की सेवाएं न केवल उसमें एक नई ऊर्जा प्रदान करता है बल्कि उसे शारीरिक तथा मानसिक रूप से स्वस्थ होने में भी मदद करता है।

ज्ञात रहे कि किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में एक पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन केंद्र बनाया गया है, जिसमें सांस के रोगी जैसे- अस्थमा, सी.ओ.पी.डी., इंटरस्टीशियल लंग डिजीज या फिर टी.बी. के संपूर्ण इलाज के बाद भी जिनकी सांस फूलती है या परेशानी रहती है, ऐसे रोगियों को कुछ शारीरिक व्यायाम, पोषण सलाह तथा काउंसलिंग और कुछ व्यायाम के माध्यम से जीवन की गुणवत्ता और उनकी कार्य करने की क्षमता को बढ़ाने की कोशिश की जाती है।

इस आयेजन में सेन्टर आफ एक्सिलेन्स फार ड्रग रेसिस्टेन्ट टीबी केयर के पदाधिकारियों के साथ ही डॉ. ऋषि सक्सेना  डॉ. अतुल कुमार सिंहल ,रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के डॉ. संतोष कुमार, डॉ. राजीव गर्ग, डॉ. अजय कुमार वर्मा, डॉ. आनन्द श्रीवास्तव, डॉ. दर्शन बजाज व डॉ. ज्योति बाजपेई ,  केजीएमयू की टीबी  कोर कमेटी के सदस्य ,  विभाग के सभी रेसिडेन्टृस व पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन सेन्टर की टीम के सदस्य मौजूद रहे।