लखनऊ - मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार को हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए । मंत्रिपरिषद ने उप्र मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (सामान्य) के अन्तर्गत आर्थिक सहयोग प्रदान करने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है |
इसके तहत 18 वर्ष से कम आयु के ऐसे बच्चे जिन्होंने कोविड-19 से भिन्न अन्य कारणों से अपने माता-पिता दोनों अथवा माता या पिता में से किसी एक अथवा अभिभावक को खो दिया है अथवा 18 से 23 वर्ष के ऐसे किशोर जिन्होंने कोविड या अन्य कारणों से अपने माता-पिता दोनों अथवा माता या पिता में से किसी एक अथवा अभिभावक को खो दिया है तथा वह कक्षा 12 तक शिक्षा पूर्ण करने के उपरान्त राजकीय महाविद्यालय, विश्वविद्यालय अथवा तकनीकी संस्थान से स्नातक डिग्री अथवा डिप्लोमा प्राप्त करने हेतु शिक्षा प्राप्त कर रहे हो या नीट, जेईई, क्लैट जैसे राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय प्रतियोगी परीक्षाएं उत्तीर्ण करने वाले अथवा जिनकी माता तलाकशुदा स्त्री या परित्यक्ता है अथवा जिनके माता-पिता या परिवार का मुख्यकर्ता जेल में है अथवा ऐसे बच्चे जिन्हें बाल श्रम, बाल भिक्षावृत्ति,” बाल वैश्यावृत्ति से मुक्त कराकर परिवार ,/ पारिवारिक वातावरण में समायोजित कराया गया हो अथवा भिक्षावृत्ति / वैश्यावृत्ति में सम्मिलित परिवारों के बच्चों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।
इस योजना का लाभ एक परिवार के अधिकतम 02 बच्चों को मिल सकेगा तथा 18 वर्ष की आयु पूरी करने के उपरान्त कक्षा 12 तक शिक्षा पूर्ण करने के बाद भी राजकीय महाविद्यालय, विश्वविद्यालय अथवा तकनीकी संस्थान से स्नातक डिग्री अथवा डिप्लोमा प्राप्त करने एवं NEET, JEE, क्लैट जैसे राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय प्रतियोगी परीक्षायें उत्तीर्ण करने वाले मेधावी छात्रों को 23 वर्ष की आयु पूरी होने या स्नातक शिक्षा अथवा मान्यता प्राप्त तकनीकी संस्थान से डिप्लोमा प्राप्त करने में जो भी पहले हो तक इस योजना के अन्तर्गत लाभ दिया जायेगा।
इस योजना के अन्तर्गत पात्रता की श्रेणी में आने वाले परिवार के अधिकतम दो बच्चों को प्रतिमाह प्रति बालक,/बालिका 2500 रुपये की सहायता धनराशि प्रदान की जायेगी। यह योजना शत-प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित है। योजना के क्रियान्वयन में आने वाली व्यावहारिक कठिनाइयों के दृष्टिगत योजना में यथावश्यक संशोधन एवं परिवर्तन के लिए मुख्यमंत्री को प्राधिकृत किया गया है। ज्ञातव्य है कि कोविड-19 के कारण अनाथ हुए बच्चों को आर्थिक सहायता प्रदान किये जाने के सम्बन्ध में उ0प्र0 मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना का संचालन किया जा रहा है।
होमगार्ड्स स्वयंसेवकों एवं अवैतनिक अधिकारियों की सेवावधि में (अधिवर्षता से पूर्व) मृत्यु की दशा में उनके नॉमिनी,/ उत्तराधिकारी को अथवा स्थायी अपंगता की स्थिति में उनको पांच लाख रु0 की अनुग्रह राशि दिये जाने के सम्बन्ध में : मंत्रिपरिषद ने होमगा्ड्स स्वयंसेवकों एवं अवैतनिक अधिकारियों की सेवावधि में (अधिवर्षता से पूर्व) मृत्यु की दशा में उनके नॉमिनी,/ उत्तराधिकारी को अथवा स्थायी अपंगता की स्थिति में उनको 05 लाख रुपये की अनुग्रह राशि तथा एक अंग अथवा एक आंख की पूर्ण रूप से हानि होने की दशा में ढाई लाख रुपये की अनुग्रह धनराशि दिये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। यह व्यवस्था 06 दिसम्बर, 2020 से लागू होगी। साथ ही, मंत्रिपरिषद ने सामाजिक सुरक्षा बीमा योजना के अन्तर्गत ड्यूटी प्रशिक्षणरत होमगार्ड्स स्वयंसेवकों एवं अवैतनिक अधिकारियों को दुर्घटना के कारण मृत्यु होने एवं अपंगता होने की दशा में बीमा कम्पनी द्वारा दी जाने वाली धनराशि की व्यवस्था को तथा जो
होमगार्ड्स स्वयंसेवक एवं अवैतनिक अधिकारी दुर्घटना बीमा से आच्छादित नहीं होते हैं, उनको उत्तर प्रदेश होमगार्ड्स स्वयंसेवक कल्याण कोष नियमावली 2013 के प्रस्तर-4(क) 1, 2, 3, व 4 के अनुसार दी जाने वाली धनराशि की व्यवस्था को समाप्त करने का निर्णय भी लिया है।
राज्य विधान मण्डल का आगामी सत्र 17 अगस्त, 2021 से : मंत्रिपरिषद ने राज्य विधान मण्डल के दोनों सदनों का वर्ष 2021 का द्वितीय सत्र (वर्षाकालीन सत्र) दिनांक 17 अगस्त, 2021 (मंगलवार) को आहूत कर लिये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। ज्ञातव्य है कि राज्य विधान मण्डल के दोनों सदनों का विगत सत्र दिनांक 18 फरवरी, 2021 को आहूत किया गया था। इस सत्र में विधान सभा एवं विधान परिषद की अंतिम बैठक दिनांक 04 मार्च, 2021 को हुई थीं। तत्पश्चात् दोनों ही सदनों का सत्रावसान भी दिनांक 30 मार्च, 2021 से कर दिया गया था।
संविधान के अनुच्छेद 74 के खण्ड (1) में यह व्यवस्था है कि विधान मण्डल के प्रत्येक सदन के एक सत्र की अंतिम बैठक और आगामी सत्र की प्रथम बैठक के लिए नियत तारीख के बीच 06 माह का अन्तर नहीं होगा। चूंकि विगत सत्र में विधान सभा एवं विधान परिषद की अंतिम बैठक दिनांक 04 मार्च,2021 को हुई थी, अत: इस संवैधानिक व्यवस्था के क्रम में विधान मण्डल का आगामी सत्र दिनांक 04 सितम्बर, 2021 से पूर्व आहूत किया जाना अपेक्षित है।
उ0प्र0 निरसन अध्यादेश, 2021 का प्रारूप स्वीकृत : मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश निरसन अध्यादेश, 202। के प्रारूप को स्वीकृति प्रदान कर दी है। ज्ञातव्य है कि कुल 312 अधिनियमों को निरसित किये जाने के सम्बन्ध में शासन के सम्बच्चित प्रशासकीय विभागों से अनापत्तियां प्राप्त हुई. जिन्हें वर्तमान में अप्रचलित एवं अनुपयोगी होने के दृष्टिगत निरसित किया जाना प्रस्तावित है। वर्तमान में राज्य विधान मण्डल सत्र आहूत नहीं है। नागरिकों एवं व्यवसाय पर विनियामक अनुपालन भार (रेगुलेटरी कम्प्लायन्स बर्डन) को कम करने की तात्कालिकता के दृष्टिगत सम्बन्धित प्रशासकीय विभागों की संस्तुति के आधार पर 312 अप्रचलित एवं अनुषयोगी हो चुके अधिनियमों को उत्तर प्रदेश निरसन अध्यादेश, 2021 के माध्यम से निरसित किये जाने तथा इसके प्रतिस्थानी विधेयक के आलेख पर विभागीय मंत्री के अनुमोदन से इसे आगामी राज्य विधान मण्डल सत्र में पुरस्थापित कराने जाने का भी निर्णय मंत्रिपरिषद द्वारा लिया गया है।
सातवें उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग द्वारा निरसन हेतु संस्तुत कुल 1430 अधिनियमों में से निरसन हेतु 980 अधिनियम शेष हैं। इन शेष 960 अधिनियमों में से 29 अधिनियमों तथा व्यापार की सुगमता (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) के दृष्टिगत औद्योगिक विकास विभाग ह्वारा निरसन हेतु सन्दर्मित किये गये 15 अधिनियमों (जिनमें से 04 अधिनियम ऐसे हैं जो राज्य विधि आयोग की सूची में सम्मिलित नहीं है तथा 4 अधिनियम ऐसे हैं जो राज्य विधि आयोग द्वारा निरसन हेतु संस्तुत अधिनियमों की सूची में भी सम्मिलित हैं) अर्थात कुल 312 अधिनियमों के निरसन के सम्बन्ध में सम्बन्धित प्रशासकीय विभागों से अनापत्ति प्राप्त होने के आधार पर उन्हें निरसित किये जाने की कार्यवाही की जानी है।