अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) पर विशेष - हौसलों के आगे दिव्यांगता ने खायी मात



  • दुर्घटना में उँगलियों के कट जाने के बाद भी कामिनी ने रच दिया इतिहास
  • विभागीय कार्यों के साथ ही साहित्य साधना के लिए मिले कई सम्मान

लखनऊ, 7 मार्च 2021- “जहाँ चाह - वहां राह” जैसी उक्तियाँ  सरोजिनी नगर ब्लाक की बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) कामिनी श्रीवास्तव के परिप्रेक्ष्य में बिलकुल सही साबित होती हैं |  कम उम्र  में एक दुर्घटना में आई दिव्यान्गता  भी उनके हौसलों आगे परास्त हो गयी |  ऐसे में परिवार के सहयोग  के बल पर महज   20 वर्ष की आयु में बाल विकास पुष्टाहार विभाग में सुपरवाइजर के पद पर चयनित हो गयीं और शीघ्र ही वह बाल विकास परियोजना अधिकारी के पद पर पदोन्नत हुयीं | काम के प्रति लगन और मेहनत के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है | लेखन का उन्हें शौक था जिसे उन्होंने नौकरी के बाद भी जारी रखा | साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए भी उन्हें अनेक सम्मानों से नवाजा गया | नौकरी में रहते हुए इन्होने समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र विषय में परास्नातक परीक्षा उत्तीर्ण की | अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) पर उनके इस जज्बे को सलाम |

कामिनी चार वर्ष की उम्र में  शंटिंग  के दौरान  इंजन के नीचे आ गयीं  जिसमें दोनों हाथ और बाएं पैर की उँगलियाँ कट गयीं थीं | उनके  पिता उनकी प्रेरणा बने | छह  साल की आयु में उनके  माता-पिता ने उन्होंने पैर से लिखना सिखाया | माता-पिता ने  हौसलों को उड़ान दी और यह एहसास कराया कि अगर इच्छा शक्ति हो तो आदमी कुछ भी कर सकता है |  पति का पूरा सहयोग मिला  | साथ ही  मायके और ससुराल के सभी सदस्यों के  स्नेह और सहयोग ने  हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया | उनके परिवार में पति और एक बेटा है |  

अपने काम के लिए कामिनी को 1994 में राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार तथा 1997 में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रोमेश भंडारी द्वारा राज्य स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है | विभाग की तरफ से स्वयं सहायता समूह योजना के तहत अध्ययन दल के सदस्य के रूप में इंडोनेशिया भेजा गया | वर्ष 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा साहित्य और अपनी नौकरी  के क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए “रानी लक्ष्मीबाई वीरता सम्मान” से सम्मानित किया गया और भारत भारती पुरस्कार( सुल्तानपुर, 1994)  से सम्मानित किया जा चुका है | वर्ष 2020 में बाल चौपाल पेप टॉक सोशल समिति में राज्यमंत्री वीरेंद्र तिवारी के द्वारा बाल चौपाल आइकोनिक अवार्ड 2020 से नवाजा जा चुका है |

उन्होंने “भारत रत्न इंदिरा” महाकाव्य, “डोर” कहानी संग्रह, “खिलते फूल महकता आंगन” काव्य संग्रह और उपन्यास “असमाप्त राहें की रचना की है | इनकी रचनाएं दूरदर्शन और आकाशवाणी में प्रसारित हो चुकी हैं  और अनेक समाचार पत्रों में प्रकशित भी हुयी हैं | कामिनी ने अनेक कवि सम्मेलनों में प्रतिभाग भी किया है |

31 दिसम्बर 2020 को उत्तर प्रदेश प्रेस क्लब द्वारा  “सृजन उपलब्धि” सम्मान से सम्मानित किया गया जिसे अंतरराष्ट्रीय कवि सर्वेश अस्थाना  एवं उत्तर प्रदेश प्रेस क्लब के अध्यक्ष रविंद्र सिंह द्वारा दिया गया | साथ ही लेखन के लिए उन्हें सृजन सम्मान, निर्मल साधना सम्मान, अंतर्राष्ट्रीय जुनूँ अवार्ड और तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी द्वारा वेद वेदांग पुरस्कार  से नवाजा जा चुका है | इसके साथ ही गीतिका सौरभ सम्मान, आदर्श साहित्य रत्न, सुन्दरम साहित्य रत्न और इंदिरा गाँधी सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है | कामिनी को उनकी रचना “खिलते फूल महकता आँगन” के लिए वर्ष 2016 में राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान उत्तर प्रदेश द्वारा  रामधारी सिंह दिनकर सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है |

वर्ष 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह द्वारा महिला दिवस के अवसर पर सम्मानित भी किया जा चुका है |