- दो दिवसीय प्रशिक्षण के जरिये प्रशिक्षक के तौर पर 30 चिकित्सक-नर्स तैयार
- अब यह लोग सूबे के अन्य मेडिकल कॉलेज को भी संवेदीकृत करेंगे
- अलाइव एंड थ्राइव संस्था के सहयोग से हुआ प्रशिक्षण
गोरखपुर - मातृ, नवजात और शिशु पोषण का संदेश प्रशिक्षण के माध्यम से सूबे के हर मेडिकल कालेज तक पहुंचेगा । इस कार्य में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर नोडल की भूमिका निभाएगा । इसकी शुरूआत पोषण माह में अलाइव एंड थराइव संस्था के सहयोग से हुए दो दिवसीय प्रशिक्षण से हो चुकी है । एम्स गोरखपुर के 30 प्रशिक्षक चिकित्सक और स्टॉफ नर्स तैयार हो चुके हैं जो अन्य मेडिकल कालेज के चिकित्सक और स्टॉफ नर्स को संवेदीकृत करेंगे । प्रशिक्षण का शुभारंभ कार्यकारी निदेशक डॉ. सुरेखा किशोर ने बुधवार को किया था ।
दो दिवसीय प्रशिक्षण के 15 से अधिक सत्रों में मुख्य तौर पर बताया गया कि गर्भवती का सही पोषण उसके एवं उसके गर्भस्थ शिशु के जीवन पर दूरगामी प्रभाव डालता है । मातृ, शिशु एवं छोटे बच्चों के पोषण में सुधार लाने के लिए चिकित्सकीय सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार आवश्यक है । इसके लिए पोषण एवं स्तनपान के बारे में दिए दिये जा रहे संदेशों में एकरूपता होनी चाहिए ताकि समुदाय तक एक ही सन्देश हमेशा सामान रूप से पहुंचे । हर चिकित्सीय संस्थान में आने वाली गर्भवती एवं धात्री माताओं को पोषण के बारे में पूरी जानकारी दी जानी चाहिए । सन्देश में मरीजों की मनोस्थिति का ध्यान रखना सबसे जरूरी है । यह भी बताया गया कि स्वस्थ मानव जीवन के लिए जीवन के प्रथम हजार दिन की महत्ता को समझना सबसे जरूरी है ।
गर्भावस्था में पोषण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया गया कि एक गर्भवती को अधिक से अधिक आहार सेवन में विविधता लानी चहिए । इससे महिला को सभी जरूरी पोषक तत्वों की प्राप्ति हो जाती है । माता के वजन से गर्भस्थ शिशु का स्वास्थ्य प्रभावित होता है, इसलिए गर्भावस्था के दौरान निश्चित अंतराल पर माता का वजन जरूर करना चाहिए ताकि ज्ञात हो सके कि बच्चे का विकास हो रहा है । लाभार्थियों से संवाद में उनकी मनोस्थिति तथा परेशानियों से एकरूप होकर ही सही सलाह दी जा सकती है और लाभार्थी बिना संकोच के अपनी परेशानियों को चिकित्सक से साझा कर सकते हैं । यह भी बताया गया कि सही पोषण के लिए जन्म के तुरंत बाद स्तनपान का महत्व और छह माह तक सिर्फ स्तनपान की महत्ता लाभार्थियों तक पहुंचायी जानी चाहिए । छह महीने से दो साल की उम्र तक स्तनपान के साथ-साथ पूरक आहार दिया जाना चाहिए। पूरक आहार छह महीने पूरा होते हुए शुरू कर देना चाहिए ।
प्रशिक्षक के संबंध में कार्यकारी निदेशक डॉ. सुरेखा किशोर का कहना है कि अलाइव एंड थराइव के सहयोग से आयोजित प्रशिक्षण से चिकित्सकों एवं नर्सों को पोषण का सटीक और प्रभावी सन्देश समुदाय तक पहुंचाने में सहायता मिलेगी । प्रशिक्षक प्राप्त कर चुके चिकित्सक और स्टाफ नर्स अन्य मेडिकल कालेज तक इन संदेशों को पहुंचाएंगे । इस कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन और फैमिली मेडिसिन के हेड डॉ. हरिशंकर जोशी बनाए गये हैं ।
प्रशिक्षण के दौरान डॉ. राजेंद्र, वरीय राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, अलाइव एंड थराइव ने कार्यक्रम के उद्देश्यों और अलाइव एंड थराइव के सहयोग के बारे में बताकर की । उन्होंने राज्य में संस्था द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रमों के बारे में सभी को अवगत कराया । संजय गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल नई दिल्ली से आए सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मुकेश यादव और यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज नई दिल्ली से आई गाइनकॉलॉजिस्ट डॉ. अनिता गुप्ता ने प्रशिक्षण प्रदान किया । कार्यक्रम में डॉ. प्रवीन शर्मा, परियोजना निदेशक-उत्तर प्रदेश एवं बिहार भी कार्यक्रम में मौजूद रहे । इस मौके पर डॉ. महिमा मित्तल, डॉ. प्रीति बाला, डॉ. अनिल कोपरकर, डॉ. प्रदीप खरया, डॉ. रामशंकर, डॉ. मनीष, डॉ. प्रीति प्रयदर्शिनी और डॉ. निशा ने प्रमुख तौर पर प्रतिभाग किया । प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किया गया ।