विश्व हृदय दिवस (29 सितम्बर) विशेष : कोरोना से उबरने के महीनों बाद भी दिल की धड़कन हो तेज तो हो जाएँ सचेत



स्वस्थ जीवन शैली अपनाएँ, योग व प्राणायाम को शामिल करें दिनचर्या में
चिंता और तनाव का अनावश्यक बोझ न डालें नाजुक से दिल पर  

लखनऊ -  कोविड ने अपने पीछे हमारे शरीर के कई अंगों पर अपनी छाप छोड़ गया है, उसी में शामिल है हमारा नाजुक सा दिल (हृदय) भी । कोरोना से उबरने के महीनों बाद भी लोगों की शिकायत है कि उनको जैसे लगता है कि उनकी धड़कन तेज चल रही है या कभी-कभी बहुत दबाव महसूस होता है या चक्कर आता है । इन्हीं परिस्थितियों को भांपते हुए इस बार विश्व हृदय दिवस (29 सितम्बर) पर सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर विशेष आयोजन के निर्देश दिए गए हैं, जिसके माध्यम से समुदाय को हृदय सम्बन्धी महत्वपूर्ण जानकारी दी जायेगी और स्क्रीनिंग की भी व्यवस्था होगी । स्वस्थ जीवन शैली अपनाने और योग व प्राणायाम को भी दिनचर्या में शामिल करने के लिए प्रेरित किया जाएगा । इस बार विश्व हृदय दिवस की थीम- ‘यूज हार्ट टू कनेक्ट’ तय की गयी है ।     

मेयो हास्पिटल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. सत्येन्द्र तिवारी का कहना है कि आमतौर पर यह देखने में आ रहा है कि कोरोना से उबरने के महीनों बाद भी कुछ लोगों में धड़कन तेज चलना, चक्कर आना या सांस की तकलीफ की शिकायत बनी हुई है जो किसी भी दिल की परेशानी से जुड़ी हो सकती है । ऐसे में कोई भी जोखिम उठाये बगैर कोविड से रिकवरी के बाद जरूर कार्डियक स्क्रीनिंग करानी चाहिए । कुछ स्वस्थ व युवा मरीजों में कोरोना के बाद हृदय में सूजन भी देखी जा रही है । कुछ मरीजों में इस सूजन की वजह से दिल की धड़कन की रफ़्तार का अनियमित होना, हृदय का फेल होना और उसकी वजह से कमजोरी, थकावट,चक्कर आना व सांस फूलना देखा जा रहा है । डॉ. तिवारी का कहना है कि कोरोनरी धमनियों की आंतरिक दीवारों पर कोलेस्ट्राल या वसा के जमाव से रक्त के प्रवाह में दिक्कत आती है । इसके चलते हृदय को कम मात्रा में रक्त की आपूर्ति हो पाती है । इसके चलते हृदय को सही ढंग से कार्य करने के लिए जरूरी पोषक तत्वों और ऑक्सीजन की कमी से जूझना पड़ता है। इसके चलते सीने में दर्द की शिकायत होने लगती है, जिसे एंजाइना भी कहते हैं। यदि हृदय की मांशपेशी को रक्त आपूर्ति करने वाला हिस्सा पूरी तरह से कार्य करना बंद कर देता है तो दिल का दौरा पड़ सकता है।

होम्योपैथी में भी है इलाज : होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. विनीता द्विवेदी का कहना है कि पहले जिन बीमारियों को उम्र के दूसरे पड़ाव यानि 50 साल की उम्र के बाद की बीमारी माना जाता था, वह आज 30 साल की उम्र में ही लोगों को घेरने लगी हैं । बदलती लाइफ स्टाइल, जंक फूड का सेवन और शारीरिक श्रम से मुंह मोड़ना इसके प्रमुख कारण के रूप में उभरकर सामने आ रहे हैं । डॉ. विनीता का कहना है कि होम्योपैथी में गंभीर हार्ट अटैक को छोड़कर उच्च रक्तचाप को कम करने एवं अन्य हृदय रोगों के प्रबंधन व रोकथाम करने में बड़ी भूमिका है । होम्योपैथिक औषधियां हृदय तंत्र पर कार्य करती हैं । अनियमित नाडी, सांस फूलना, उच्च रक्तचाप एवं अन्य हृदय रोगों को पूरी तरह से ठीक करने में कारगर है।

 

क्या आप जानते हैं : दिल एक मिनट में 72 बा र और 24 घंटे में 100800 बार धड़कता है। इसके अलावा एक दिन में हजारों गैलन खून की पंपिंग करता है । इसीलिए इसे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग माना जाता है।
हृदय रोग के मुख्य कारण : धूम्रपान, मदिरापान, अजीर्ण, अत्यधिक वसा व चिकनाई युक्त भोजन, उच्च रक्तचाप, शरीर में ज्यादा चर्बी, अधिक कोलेस्ट्राल, अत्यधिक चिंता और मधुमेह हृदय रोग के मुख्य कारण हैं।
हृदय रोग के मुख्य लक्षण : छाती में बाईं ओर या छाती के बीच में दर्द या दबाव महसूस होना, सांस तेज चलना, पसीना आना, छाती में दर्द के साथ पेट में जलन, पेट भारी लगना, उल्टी होना और शारीरिक कमजोरी महसूस होना, घबराहट और बेचैनी महसूस करना हृदय रोग के प्रमुख लक्षण हैं। मधुमेह रोगियों को दर्द या बिना दर्द के भी हृदय रोग का आघात हो सकता है।
कैसे करें बचाव : शरीर में ज्यादा चर्बी, अधिक कोलेस्ट्राल, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, चिंता व तनाव से बचें। धूम्रपान, मदिरापान, वसा एवं चिकनाई युक्त भोजन से परहेज करें। नियमित व्यायाम, 45 मिनट तक टहलना, नियमित दिनचर्या का पालन, संतुलित भोजन, प्रतिदिन छ्ह से सात घंटे तक की निद्रा और आराम जरूर करें।