लखनऊ - जब तीन साल के इलाज के बाद 5 सितंबर को किरण और छोटू के घर शिशु का जन्म हुआ तो सभी आश्चर्यचकित थे, क्योंकि शिशु का बायां हाथ तथा बायां कान अविकसित था। शिशु को सांस लेने में तकलीफ थी इसलिए उसे हिंद आयुर्विज्ञान संस्थान के नवजात शिशु गहन चिकित्सा विभाग में डॉ उत्कर्ष बंसल की देखरेख में भर्ती किया गया। जब बच्चे की जांचें हुईं तो पाया गया की शिशु में कई विकृतियां हैं और शिशु को अतिदुर्लभ बीमारी है जिसमें शिशु का बायां फेफड़ा एवम गुर्दे का विकास ही नहीं हुआ था तथा उसके हृदय में छेद भी था। इसी के साथ डॉक्टरों ने पाया कि शिशु का मलद्वार का रास्ता भी नहीं बना था। इस अत्यंत दुर्लभ परेशानियों को जान कर माता - पिता ने शिशु के जीवित रहने की आशा छोड़ दी थी।
परंतु डॉ उत्कर्ष बंसल के कुशल नेतृत्व में उनकी टीम (डॉ ऐश्वर्या, डॉ वेंकट व डॉ सात्विक) ने शिशु को बचाने का बीड़ा उठाया। बालरोग शल्यचिकित्सक डॉ दिव्या प्रकाश द्वारा गहन ऑपरेशन कर मलद्वार का रास्ता बनाया गया । जिसके उपरांत मरीज वेंटीलेटर पर भी रहा और कुशल देखभाल से जल्दी ही वेंटीलेटर से बाहर आ गया।
बाराबंकी जिले में इस तरह का यह पहला ऐसा केस था। अस्पताल की चेयरपर्सन डॉ ऋचा मिश्रा ने इस गंभीर शिशु के इलाज हेतु आर्थिक रुप से बहुत सहयोग किया। डॉक्टरों और नर्सेज की मेहनत स्वरूप अब शिशु पूर्णता स्वस्थ है तथा मां का दूध भी अच्छे से पी रहा है एवम् उसका वजन भी बढ़ रहा है। शिशु की मां किरण ने सारे अस्पताल कर्मियों को बहुत धन्यवाद दिया। पिता छोटू की आंखों में छुट्टी के समय खुशी के आंसू थे।
डॉ उत्कर्ष बंसल ने बताया इस तरह के बच्चे 10 लाख में 1 जन्म लेते हैं और ज्यादातर केसेज में बच नहीं पाते, परंतु अब सबके प्रयास से शिशु स्वस्थ हो रहा है और हम आशा करते हैं की वो अब एक स्वस्थ जीवन बिताएगा।