फाइलेरिया उन्मूलन में सभी का सहयोग जरूरी : डॉ. सुदेश



  • एम्बेड परियोजना के सामुदायिक स्वयंसेवकों का मच्छर जनित रोगों पर उन्मुखीकरण कार्यक्रम आयोजित

लखनऊ - जिला समन्वय समिति के सहयोग से  फेमिली हेल्थ इंडिया के तत्वावधान में  संचालित एम्बेड परियोजना के सामुदायिक स्वयं सेवकों का मच्छर जनित रोगों पर ऑनलाइन उन्मुखीकरण कार्यक्रम बुधवार को आयोजित किया गया ।

राज्य फाइलेरिया अधिकारी डा. सुदेश  कुमार ने बताया कि आगामी 22 नवंबर से फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) कार्यक्रम शुरू होने जा रहा है। अभियान की सफलता के लिए सभी का  सहयोग जरूरी है | इस अभियान के तहत एलबेंडाजोल और डाईइथाईल कार्बामजीन की गोली एएनएम, आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा घर-घर जाकर लोगों को खिलाई जाएगी। दो साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और गंभीर रोग से पीड़ित व्यक्तियों को इस दवा का सेवन नहीं करना है । खाली पेट भी दवा नहीं खाना है। राज्य कीट वैज्ञानिक डा0 विपिन कुमार ने कहा- सभी के समन्वित प्रयासों से ही मच्छर जनित इन बीमारियों से बचा जा सकता है | उन्होंने कहा कि किसी भी दशा में घरों के आस-पास पानी जमा न  होने दें।

वरिष्ठ मण्डल कीट वैज्ञानिक डा0 मानवेन्द्र त्रिपाठी ने डेंगू एवं जीका  फैलाने वाले सुनहरे रंग धारीदार मच्छर की पहचान बताई | उन्होने बताया कि डेंगू और जीका के लिए जिम्मेदार वायरस अलग-अलग हैं और अभी तक इन बीमारियों से बचने के लिए कोई वैक्सीन नहीं है | इसलिए मच्छरों से बचाव करके ही इन बीमारियों से सुरक्षित रहा जा सकता है। उन्होंने बताया कि यह जानकारी बहुत कम लोगों को होती है कि डेंगू, मलेरिया, फाइलेरिया एवं जीका के लिए एक प्रजाति के एडीज मच्छर जिम्मेदार हैं और एडीज मच्छर केवल दिन के समय में काटता है | इसलिए सुबह - शाम पूरी आस्तीन के कपडें अवश्य पहने और मच्छर रोधी साधनों का उपयोग करें एवं इनके पनपने वाले स्थलों को नष्ट करते रहें।  

इस अवसर पर राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. के.पी.त्रिपाठी ने कहा - डेंगू और जीका दोनों ही मच्छर जनित बीमारियाँ हैं |  इसलिए समुदाय में लोगों को मच्छरजनित बीमारियाँ न उत्पन्न होने देने और इनसे बचाव के लिए जागरूक करें।

जीका वायरस से बचने के लिए तीन बातें ध्यान में रखें -  मच्छरदानी में सोएं व मच्छर रोधी रेपेलेंट का प्रयोग करें,  बुखार और सिर दर्द को हल्के में  न लें और प्रशिक्षित चिकित्सक को अवश्य दिखाएं,  स्किन पर चकत्ते दिखें तो अलर्ट हो जाएं |   22 नवंबर से शुरू होने वाले फाइलेरिया उन्मूलन अभियान में अपना योगदान देकर अभियान को सफल बनाएं। उन्होने एम्बेड के सामुदायिक व्यवहार परिवर्तन सुगमकर्ताओं एवं सामुदायिक स्वयंसेवकों का समुदाय में समुचित जानकारी देने का आह्वान किया।

एम्बेड समन्वयक धर्मेन्द्र त्रिपाठी ने स्लोगन -हमारा संकल्प, डेंगू से मुक्ति, एक खुराक खायेंगे, फाइलेरिया को भगाएंगे एवं हर रविवार मच्छरों पर वार के माध्यम से अपनी बात कही। उन्होंने इस संबंध में क्या करें, क्या न  करें  एवं डेंगू/जीका वायरस फैलाने वाले मच्छर कहॉं पनपते हैं के बारे में जानकारी दी।

यूनिसेफ के प्रतिनिधि डा. सुजीत सिंह ने कोविड टीकाकरण पर विशेष बल दिया। कार्यक्रम के अंत में  काम्युनिटी स्वयं सेवकों और  व्यवहार परिवर्तन संचार सुगमकर्ताओं द्वारा सवाल पूछे गये |  इनमें प्रमुख सवाल इस तरह रहे, जैसे

- जीका और डेंगू में क्या अन्तर है,
-कैसे करें लोगों में जीका, डेंगू एवं मलेरिया की पहचान।
-कैसे करें बचाव।

इन सभी सवालों का जवाब संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. के.पी.त्रिपाठी ने दिए | इस मौके पर जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी योगेश रघुवंशी ने सभी का धन्यवाद करते हुए डिस्ट्रिक्ट कमांड सेन्टर 0522-4523000 एवं हेल्पलाइन सेवा न. 0522-3515700 की जानकारी दी।

इस अवसर पर स्वयंसेवी संस्था प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल (पीसीआई) के ध्रुव सिंह, एम्बेड एम0आई0एस0 से हर्ष यादव, शशी, शालिनी अर्चना, हेमलता, शैलजा, शहीन फातिमा, पवन यादव, ज्योति गुप्ता, नेहा लोहानी, अनुष्का शुक्ला, रितु दिवाकर, राजेश मिश्र्, रंजना सिंह, नफीसा बानो सहित स्वयंसेवक उपस्थित रहे।