परिवहन साधन की कमी से खेत-रास्ते में नहीं खराब होगी उपज, कृषि उड़ान 2.0 की हुई शुरुआत



लखनऊ (डेस्क) - वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य के साथ केंद्र सरकार ने जहां कृषि क्षेत्र में नई सहूलियतों की शुरुआत की है तो वहीं इससे जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर परिवहन तक की व्यवस्था पर भी विशेष ध्यान दिया है। एक वक्त था, जब खेतों में हुई पैदावार को बाजार तक पहुंचाने के लिए किसानों को बड़ी परेशानियों से जूझना होता था, लेकिन किसान रेल के साथ यह समस्या कम हुई तो केंद्र सरकार ने बीते वर्ष सितंंबर में कृषि उड़ान योजना के साथ हवाई जहाज के जरिए दूरदराज के इलाकों तक सही समय में कृषि उत्पादों को पहुंचाने की शुरुआत की थी।

अब इसी को और आगे बढ़ाते हुए कृषि उड़ान योजना 2.0 की शुरुआत की गई है। कृषि उड़ान योजना में जहां शुल्क वाले कुल भार में कृषि सामान का हिस्सा 50 प्रतिशत से अधिक होने पर हवाई कार्गो परिचालकों के लिए चुनिंदा भारतीय हवाई अड्डों पर पार्किंग शुल्क और ‘टर्मिनल नेविगेशन लैंडिंग’ शुल्क आदि से छूट दी जाती है तो वहीं अब कृषि उड़ान 2.0 में  कृषि सामान का हिस्सा कुल भार में 50 प्रतिशत से कम होने पर भी चुनिंदा हवाईअड्डों पर हवाईअड्डा शुल्कों में पूर्ण रूप से छूट दी जाएगी। इससे परिवहन की लागतों में और कमी आएगी।

 नागरिक उड्‌डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के अनुसार, कृषि उड़ान 2.0 में देश भर के 53 हवाई अड्डों पर मुख्य रूप से पूर्वोत्तर और आदिवासी क्षेत्रों पर केंद्रित किया जाएगा।  इस योजना के तहत 8 घरेलू और अंतरराष्ट्रीय व्यापार रूट्स की भी शुरुआत की जाएगी। इसमें बेबी कॉर्न की ढुलाई के लिए अमृतसर-दुबई, लीची के लिए दरभंगा को देश के अन्य एयरपोर्ट्स से और जैविक खाद्य उत्पादों के लिए सिक्कम से के लिए उड़ान शुरू की जायेगी। सरकार चेन्नई, विशाखापट्‌टनम और कोलकाता से पूर्वी एशियाई देशों को सी फूड्स भेजने के लिए उड़ान शुरू करेगी। दाल, फल एवं सब्जियों के लिए गुवाहाटी से हांगकांग के लिए व्यापारिक उड़ान की शुरुआत भी की जाएगी।