• एन.एफ.एच.एस. 2020-21 के सर्वेक्षण का आंकड़ा जारी
• संस्थागत प्रसव 67.8 प्रतिशत से 83.4 प्रतिशत पहुंचा
• परिवार नियोजन साधनों की उपयोगिता 45.5% से 62.4% हुई
• दस्त संक्रमण दर 15 प्रतिशत से घटकर 5.6 प्रतिशत हुई
लखनऊ - स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश ने एक जोरदार छलांग लगाई है। यह साबित कर रहा है राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एन.एफ.एच.एस.)-5 का आंकड़ा। एन.एफ.एच.एस. सर्वेक्षण हर 5 वर्ष बाद किया जाता है। इसके पहले वर्ष 2015-16 में सर्वे हुआ था।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2020-21 के आंकड़ों के अनुसार परिवार नियोजन के प्रति लोगों के बीच जागरूकता बढ़ी है। इसके चलते दंपति के बीच परिवार नियोजन के साधनों की उपयोगिता 45.5% से 62.4 % बढ़ गई है। वहीं प्रदेश में कुल प्रजनन दर 2.7 भी 2.4 आ गई है। मातृत्व स्वास्थ को लेकर लोग पहले से ज्यादा सतर्क हुए हैं। संस्थागत प्रसव 67.8 प्रतिशत से 83.4 प्रतिशत पहुंच गया है। 4 प्रसव पूर्व जांचें 26.4 प्रतिशत से अब 42.4 प्रतिशत होने लगी हैं। वहीं बाल स्वास्थ्य में भी प्रदेश ने धमाल दिखा दिया है। छह माह की उम्र के बच्चों का स्तनपान 41.6 प्रतिशत बढ़कर 59.7 प्रतिशत हो गया है। वहीं दस्त के मरीज के मामले या संक्रमण दर 15 प्रतिशत से घटकर 5.6 प्रतिशत हुई है। संभवतः ऐसा परिवर्तन इज्जत घर के निर्माण से हुआ है। प्रदेश में कोरोना काल में स्वास्थ्य योजनाओं को घर-घर पहुंचाने के विभिन्न जतन किए जा रहे हैं। इसका परिणाम कुल टीकाकरण का ग्राफ 51.1 प्रतिशत से 69.6 प्रतिशत हुआ है।
मातृ स्वास्थ्य में यूपी में काफी अच्छा काम हुआ है। इसके लिए समस्त स्वास्थ्य टीम को शुभकमाएं देता हूं। अपने प्रदेश में टीकाकरण के प्रति जागरूकता बढ़ी है वहीं । टीकाकरण के कार्य में लगे सभी सदस्यों को पुनः बधाई देता हूं। एक बेहतर टीम के बदौलत ही यूपी में टीकाकरण का ग्राफ बढ़ा है।
- डॉ मनोज शुक्ल, महाप्रबंधक टीकाकरण, मातृ स्वास्थ
बाल स्वास्थ्य के लिए प्रदेशवासी पहले से ज्यादा संजीदा हुए हैं। नवजात की देखभाल के प्रति लोगों में पहले भ्रांतियां और संदेह व्याप्त रहता था। ऐसे में योजनाओं को व्यवहारिक रूप से लागू करने में दिक्कत आती थी लेकिन अब इसमें गिरावट आई है। बाल स्वास्थ्य से जुड़े समस्त अधिकारी, कर्मचारी और स्वास्थ्य कार्यकर्ता पुनः बधाई के पात्र हैं।
- डॉ वेद प्रकाश, महाप्रबंधक आर.बी.एस.के. व आर.के.एस.के.