- मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए दिए गए टिप्स
लखनऊ - सिफ्सा के तत्वावधान में श्री राम स्वरूप मेमोरियल विश्वविद्यालय में बुधवार को युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य विषय पर कार्यशाला आयोजित हुई । कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान संकाय की अधिष्ठाता प्रो. विजया सेठी ने कहा कि इस कार्यशाला के माध्यम से विद्यार्थियों को मानसिक समस्याओं को पहचानने और उनसे निजात पाने के प्रयासों के बारे में जानकारी मिलेगी।
सिफ्सा द्वारा अनुदानित परियोजनाओं के नोडल अधिकारी डा. अनिल कुमार ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि किशोरावस्था में हार्मोनल परिवर्तन के कारण अनेक शारीरिक और मानसिक परिवर्तन होते हैं। इसके साथ ही जिंदगी में आगे निकलने की होड़, इम्तिहान में अच्छे नंबर लाने, उच्च शिक्षा हासिल करना, जिंदगी में बेहतर मुकाम हासिल करने जैसे कई मानसिक दबाव होते हैं जिनमें जाने अनजाने वह तनाव, चिंता जैसी मानसिक समस्याओं से ग्रसित हो जाते हैं जिनका समय पर निराकरण न करना भविष्य में गंभीर समस्या उत्पन्न कर सकता है। तनाव को साइलेंट किलर के रूप में भी परिभाषित किया जाता है क्योंकि यह आमतौर पर अधिकांश हृदय रोगों का मूल कारण होता है। लंबे समय तक लगातार तनाव रहने से जीवन के लिए खतरा पैदा हो सकता है। उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
कार्यक्रम से जुड़े और विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डा. राम प्रताप यादव ने कहा कि तनाव को हल्के में नहीं लेना चाहिए। जीवन में तनाव से बचने के लिए हमें कुछ समय निकालकर मनोरंजन करना, व्यायाम करना, योगा आदि कार्य करने चाहिए। इसके साथ ही स्वयं में भी और अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों में होने वाले व्यवहार परिवर्तन को नजरअंदाज न करें। हो सकता है वह किसी मानसिक परेशानी से गुजर रहा हो। यदि व्यक्ति पहले बहुत बोलता हो अब चुप रहता हो, अकेला रहना पसंद करने लगे, सामाजिकता में कमी आए तो उसकी समस्या को जानने का प्रयास करें उसे अकेला न छोड़ें।
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के मानसिक रोग विभाग के क्लीनिकल सायकोलॉजिस्ट रवि शंकर रैना ने कहा कि मानसिक समस्याओं से बचने के लिए परिवार, मित्रों और विश्वसनीय लोगों के साथ समय बिताएं। मोबाइल से दूरी बनाएं। मित्र चुनने में सजग रहें और इसकी जानकारी परिवार को दें। योग एवं व्यायाम के साथ संतुलित भोजन करें। समय पर सोयेँ और समय पर जागें तथा दिनचर्या नियमित करें।
श्री रैना ने बताया कि राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत कई जनजागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। मानसिक रोगियों की जांच और इलाज के लिए जिला अस्पताल बलरामपुर में मन कक्ष स्थापित है। इसके अलावा दुआ से दवा कार्यक्रम के तहत लोगों को झाड़-फूँक , बाबाओं के साथ ही चिकित्सक से इलाज के लिए लोगों को जागरूक किया जाता है एवं अस्पताल में संदर्भन भी किया जाता है। जिला मानसिक स्वास्थय टीम के माध्यम से शैक्षणिक संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता को लेकर कार्यशालाओं का भी आयोजन किया जाता है।
इस अवसर पर सिफ्सा के अधिकारी, विश्वविद्यालय के शिक्षक डा. अरुण कुमार सिंह, डा. शिल्पा शुक्ला, डा.अन्विता, डा. अनिल, डा. प्रदीप सिंह सहित कई शिक्षक और 50 विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया।