- 19 जिलों का राज्यस्तरीय एक दिवसीय प्रशिक्षण
लखनऊ - फाइलेरिया की दवा समय से जरूर खाएं। भविष्य में इस बीमारी के होने की आशंका लगभग शून्य हो जाएगी। फाइलेरिया से जान तो नहीं जाती है लेकिन इस बीमारी के हो जाने पर जीवन कष्टप्रद हो जाता है। यह कहना है मलेरिया एवं वेक्टर बॉर्न डिजीज के अपर निदेशक डॉ वीपी सिंह का। डॉ सिंह ने फाइलेरिया अभियान के राज्यस्तरीय एक दिवसीय प्रशिक्षण सत्र को संबोधित कर रहे थे।
प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण (टीओटी) सत्र को संबोधित करते हुए अपर निदेशक डॉ सिंह ने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जल्द ही सात जनपदों में नाइट ब्लड सर्वेक्षण होगा, बाकी 12 जिलों में नाइट ब्लड सर्वे हो चुका है । उत्तर प्रदेश के 17 जिलों में गोंडा, गोरखपुर, रायबरेली, कुशीनगर, संतकबीर नगर, औरैया, बस्ती, कन्नौज, देवरिया, बहराइच, सिद्धार्थनगर, इटावा, कौशांबी, गाजीपुर, सुलतानपुर, श्रावस्ती, महराजगंज, बलरामपुर और फर्रुखाबाद जनपद में एमडीए राउंड चलेगा । इसके साथ ही साथ दो जिले रायबरेली और कौशांबी में आईडीए राउंड चलेगा। उन्होंने अभियान की योजना, गतिविधि व उपलब्धता का आंकड़ा पेश किया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम स्वयं सेवी संस्था पाथ के सहयोग से आयोजित हुआ। इस मौके पर डब्ल्यू.एच.ओ. के डॉ तनुज शर्मा ने पीपीटी के माध्यम से प्रस्तुति दी। उन्होंने जनपदों में होने वाले माइक्रो प्लानिंग पर विस्तार पूर्वक जानकारी दी। पाथ संस्था के डॉ शोएब अनवर ने जनपदों में फाइलेरिया बीमारी को जांचने के लिए होने वाले नाइट ब्लड सर्वेक्षण पर प्रकाश डाला। पाथ संस्था के डॉ अमरेश ने दवा किसको नहीं खानी है। इसको विस्तार से समझाया। उन्होंने बताया कि दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और अति गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों को फाइलेरिया की दवा नहीं खानी है।
सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) की रंजना द्विवेदी ने बीमारी और इलाज के प्रति जागरूकता पर अपनी बात रखी। उन्होंने संचार की आवश्यकता पर बल देते हुए यह समझाया कि उचित समय पर दवा खा लेने से बीमारी से बचा जा सकता है। पीसीआई के ध्रुव प्रकाश सिंह ने इन्टरपर्सनल कम्यूनिकेशन, सोशल मोबीलाइजेशन और इंटर डिपार्टमेंटल को-ऑर्डिनेशन पर विस्तार से चर्चा की। जीएचएस के अनुज घोष ने मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) राउंड की आवश्यकता और उपयोगिता पर प्रकाश डाला।