- विश्व हाइपरटेंशन डे (17 मई 2023) पर विशेष
- लक्षण दिखने पर आशा कार्यकर्ता की मदद से नजदीकी केंद्र पर कराएं जांच
- टेलीकंसल्टेशन के जरिये विशेषज्ञ चिकित्सक की निगरानी में चलती हैं दवाएं
गोरखपुर - उच्च रक्तचाप (बीपी) और मधुमेह (शुगर) के मरीजों की पहचान और इलाज में आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (एचडब्ल्यूसी) मददगार साबित हो रहे हैं । इन केंद्रों पर सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) मरीज की पहचान करते हैं और फिर टेलीकंसल्टेशन के जरिये विशेषज्ञ चिकित्सक से राय दिलवाते हैं। चिकित्सक की सलाह पर ही दोनों बीमारियों की दवाएं चलती हैं जो केंद्र से ही मिल जाती हैं । लक्षण दिखने पर आशा कार्यकर्ता की मदद लेकर नजदीकी केंद्र पर जांच करवानी चाहिए।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में 222 एचडब्ल्यूसी के माध्यम से 1300 उच्च रक्तचाप के और 2500 मधुमेह के रोगी खोजे गये । इन रोगियों की दवा केंद्र से ही चल रही है । वर्तमान वित्तीय वर्ष में केंद्रों की संख्या बढ़ कर 369 हो चुकी है । जीवनचर्या से जुड़ी इन दोनों बीमारियों की जांच और इलाज की सुविधा घर के नजदीक उपलब्ध कराने में यह केंद्र अहम भूमिका निभा रहे हैं।
बड़हलगंज ब्लॉक के ग्राम बेलवा दाखिनी निवासी 49 वर्षीय अनिरुद्ध प्रसाद बताते हैं कि करीब छह माह पहले उन्हें गला सूखने और बार-बार पेशाब लगने की दिक्कत हुई। उन्होंने एचडब्ल्यूसी मुंडेरा बाबू के सीएचओ शत्रुघ्न से सम्पर्क किया। जांच में उनका ब्लड शुगर 200 से अधिक निकला। सीएचओ ने भरोसा दिया कि उनका इलाज व दवाएं केंद्र से ही संभव है। विशेषज्ञ से राय दिलवाने के बाद उनकी निगरानी में दवा शुरू हुई। अनिरुद्ध बताते हैं कि सीएचओ ने उन्हें मीठे से परहेज के साथ शारीरिक श्रम की सलाह दी। दवा के साथ दिनचर्या में बदलाव के बाद उनका ब्लड शुगर 139 पर आ गया और वह अब स्वस्थ महसूस कर रहे हैं।
इसी गांव के 70 वर्षीय बृजराज का ब्लड प्रेशर केंद्र पर ही चिन्हित हुआ। बृजराज को सिर में दर्द और हाथ में कंपन की दिक्कत हुई तो उन्होंने एचडब्ल्यूसी पर दिखाया । वह बताते हैं कि केंद्र से दवा मिली जिससे काफी फायदा है । साथ में टहलने की भी सलाह मिली है, जिस पर उन्होंने अमल किया । खानपान सही रखने और दवाओं के नियमित सेवन से उनका बीपी सामान्य है। यह पहले 160-90 तक चला गया था जो अब 130-80 तक आ गया है ।
केंद्र के सीएचओ शत्रुध्न का कहना है कि चिकित्सक की राय से ही दवाएं चलाई जाती हैं । लोगों को योग और जीवनचर्या में बदलाव के बारे में विशेष तौर से परामर्श दिया जाता है । तला भुना, चावल, नमक, चीनी और मैदे से बनी चीजों को खाने से परहेज करने को बताया जाता है । हरी साग सब्जियों, दूध, पनीर, दही और घर में बने पौष्टिक आहार के सेवन की सलाह दी जाती है।
एनसीडी क्लिनिक में भी है सुविधा : सीएमओ ने बताया कि जिला अस्पताल में संचालित नान कम्युनिकेबल डिजीज (एनसीडी) क्लिनिक में भी बीपी और शुगर के जांच की सुविधा उपलब्ध है । वित्तीय वर्ष 2022-23 में इस क्लिनिक के जरिये शुगर के 3200 और बीपी के 2755 नये मरीज ढूंढे गये और उनकी चिकित्सा शुरू कराई गयी ।
मधुमेह के लक्षण : थकान व भूख, अधिक पेशाब और प्यास लगना, खुजली होना, अचानक से वजन कम होना, घाव का नहीं भरना, मसूड़ो में घाव या सूजन मधुमेह के लक्षण हैं। इन लक्षणों के बाद भी समय से जांच, इलाज, परहेज व दिनचर्या में सुधार न होने पर हार्ट अटैक, आंखों की रौशनी जाने, किडनी फेल्योर और स्ट्रोक जैसे कई गंभीर खतरों की आशंका बढ़ जाती है ।
बीपी के लक्षण : उच्च रक्तचाप में छाती में दर्द, चक्कर आना, चेहरा लाल होना, सांस लेने में मुश्किल, कमजोर, धुंधली नजरें, पेशाब में खून, तनाव, सिरदर्द, नाक से खूना आना जैसे लक्षण दिखते हैं। समय से इलाज, जीवनचर्या में बदलाव और संयम न बरतने पर ब्रेन हेमरेज, लकवा मारने, हर्ट अटैक जैसे खतरे की आशंका होती है।