- घर-घर जाकर हेडकाउंट सर्वे, ड्यू लिस्ट, सोशल मोबिलाइज़ेशन व गहन समीक्षा बेहद जरूरी
- नियमित टीकाकरण के माइक्रोप्लान पर तीन दिवसीय जनपद स्तरीय कार्यशाला आयोजित
कानपुर - बच्चों व गर्भवती के नियमित टीकाकरण कार्यक्रम को सुदृढ़ करने और इसके माइक्रोप्लान को समय से तैयार कर टीकाकरण सत्रों का संचालन सफलतापूर्वक किया जा सकता है। इससे जिले में नियमित टीकाकरण की 95 फीसदी तक उपलब्धि हासिल की जा सकती है। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आलोक रंजन का। डॉ रंजन सोमवार को गुमटी स्थित होटल में आयोजित नियमित टीकाकरण के माइक्रो प्लान तैयार करने पर तीन दिवसीय जनपद स्तरीय कार्यशाला के अंतिम दिन संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि लक्ष्य की प्राप्ति के लिए आबादी के अनुसार क्षेत्र का सर्वे करना, आशा कार्यकर्ता के माध्यम से घर-घर जाकर हेड काउंट सर्वेक्षण कर ड्यू लिस्ट तैयार करना, माइक्रो प्लान तैयार करना, कोल्ड चेन पॉइंट की व्यवस्था की जांच, टीकाकरण सत्र के लिए वैक्सीन की पर्याप्त मात्रा की उपलब्धता सुनिश्चित करना और टीकाकरण सत्र स्थल के बारे में समुदाय को मोबिलाइज करना होगा। इससे क्षेत्र के शत-प्रतिशत बच्चों का टीकाकरण हो सकेगा। एक भी बच्चा व गर्भवती ड्रॉप आउट या लेफ्ट आउट न हो तभी नियमित टीकाकरण कार्यक्रम को सफल बनाया जा सकता है।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी (डीआईओ) डॉ एके कन्नौजिया ने समस्त प्रतिभागियों को सख्त निर्देश दिया कि क्षेत्र की मैपिंग स्पष्ट होनी चाहिए। हेड काउंट सर्वे के अनुरूप इंजेक्शन लोड के आधार पर टीकाकरण सत्रों का निर्धारण किया जाए। माइक्रोप्लान तैयार करने के लिए बैठक कर गहन समीक्षा करें। सोशल मोबिलाइज़ेशन कार्ययोजना पर कार्य करें। एएनएम, आशा कार्यकर्ता, संगिनी के साथ नियमित बैठक कर माइक्रोप्लान के प्रत्येक बिन्दुओं की गहन चर्चा करें। क्षेत्र के समस्त गृहभ्रमण कर गर्भवती एवं दो वर्ष तक के बच्चों की सूची उनकी वर्तमान टीकाकरण स्थिति को दर्शाते हुये बनाएं। प्रत्येक नई गर्भवती तथा नये जन्मे बच्चों की जानकारी लिखकर विलेज हेल्थ इंडेक्स रजिस्टर (वीएचआईआर) में अंकित करें। इसके साथ ही ई-कवच पोर्टल पर भी परिवार के सभी सदस्यों की सूची शत-प्रतिशत अंकित करें। रजिस्टर में अंकित लाभार्थियों को ट्रैक करते हुये उनका पूर्ण प्रतिरक्षण सुनिश्चित कराएं।
उप जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ जसबीर सिंह ने कहा कि माइक्रोप्लान से जुड़ी जितनी भी समस्या हैं, उनको पूर्ण रूप से दूर कर ली जाएँ। कार्यशाला में दी गयी जानकारी का उचित अनुपालन करें। अगले तीन दिनों में माइक्रोप्लान तैयार करना सुनिश्चित करें। सभी ब्लॉक नोडल अधिकारी, एमओआईसी, अन्य चिकित्सा अधिकारियों, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी और सहयोगी संस्थाएं प्रत्येक आरआई दिवस पर कम से कम दो सत्रों की निगरानी करें। प्रतिदिन सायंकाल ब्लॉक एवं जिला स्तर पर फीडबैक समीक्षा बैठकें की जानी चाहिए।
इस दौरान राष्ट्रीय नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत जन्म पर, छठवें, 10वें व 14वें सप्ताह, नौ से 12 माह, 16 से 24 माह, पाँच वर्ष, 10 वर्ष और 16 वर्ष पर लगने वाले टीकों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने प्रतिभागियों की समस्याओं को दूर किया। डबल्यूएचओ के एसआरटीएल डॉ बीएस चंदेल, एसएमओ डॉ सी लाल एवं एफपीआईयूसी अरशद अली ने माइक्रोप्लान को कैसे विकसित करें और टीकाकरण सत्र का आयोजन किस तरह से किया जाए, इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी। यूनीसेफ के डीएमसी फ़ुजैल अहमद और यूएनडीपी के वीसीसीएम धनन्जय सिंह ने सामुदायिक मोबिलाइज़ेशन और प्रतिभागिता के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
यह कार्यशाला विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सहयोग से आयोजित हुई। इसमें समस्त ब्लॉक सीएचसी- पीएचसी के अधीक्षक, प्रभारी चिकित्साधिकारी (एमओआईसी), चिकित्साधिकारी (आरआई), ब्लॉक कार्यक्रम प्रबंधक (बीपीएम), ब्लॉक सामुदायिक प्रक्रिया प्रबंधक (बीसीपीएम), स्टाफ नर्स व आईओ ने प्रतिभाग किया।