- कंडोम बॉक्स की जगह स्वास्थ्य इकाइयों पर लगाए गये हैं फैमिली प्लानिंग बॉक्स
- जिले में 384 बॉक्स के जरिये दीजा रही है सुविधा, अब लगाए जाएंगे क्यू आर कोड वाले स्टीकर
गोरखपुर - परिवार नियोजन में पुरुष भागीदारी बढ़ाने के लिए लगाए गये कंडोम बॉक्स की जगह अब फैमिली प्लानिंग बॉक्स ने ले लिया है । जिले में ऐसे 384 बॉक्स के जरिये कंडोम के साथ साथ इमर्जेंसी पिल्स और प्रेगेंसी टेस्ट किट की सुविधा भी दी जा रही है । इन बॉक्स पर नये क्यू आर कोड वाले स्टीकर लगाए जाएंगे जिनको स्कैन करने से तीनों साधनों के उपयोग के बारे में भी विस्तार से जानकारी लाभार्थी को मिल सकेगी ।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि एसीएमओ आरसीएच डॉ एके चौधरी की देखरेख में सभी जिला स्तरीय स्वास्थ्य इकाइयों, सीएचसी, पीएचसी और कुछ प्रमुख हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर व आई छाया वीएचएसएनडी एवं आई छाया यूएचएसएनडी सत्र स्थलों पर यहबॉक्स लगाए गए हैं । सभी पर नये क्यू आर कोड लगाने को कहा गया है । इस कार्य में उत्तर प्रदेश टेक्निकल सपोर्ट यूनिट (यूपीटीएसयू) के जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ तकनीकी सहयोग कर रहे हैं।
सीएमओ ने बताया कि सभी बॉक्स ऐसे स्थानों पर लगे हैं जहां पूरी गोपनीयता के साथ लाभार्थी कंडोम, इमर्जेंसी पिल्स और प्रेग्नेंसी टेस्ट किट प्राप्त कर सकें। परिवार नियोजन में इन तीनों साधनों की अहम भूमिका है । कंडोम के इस्तेमाल से न सिर्फ अनचाहे गर्भ से बचाव होता है बल्कि एचआईवी समेत अन्य यौन रोगों से भी सुरक्षा मिलती है । इसी प्रकार अगर बिना किसी साधन के इस्तेमाल से गर्भ ठहरने की आशंका हो तो महिला इमर्जेंसी पिल्स का इस्तेमाल कर सकती हैं लेकिन इनका ज्यादा उपयोग नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इन पिल्स का अत्यधिक इस्तेमाल करने से गर्भाशय सम्बन्धित बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है । अन्य शारीरिक जटिलताओं का भी सामना करना पड़ता है। जो महिलाएं दोनों साधनों का इस्तेमाल नहीं कर पातीं हैं और अनचाहा गर्भ ठहर जाता है तो वह माहवारी रुकने के पंद्रह दिन के भीतर प्रेग्नेंसी टेस्ट किट से जांच कर अनचाहे गर्भ का पता लगा सकती हैं।
शिशु स्वास्थ्य में प्रेग्नेंसी किट की अहम भूमिका : डॉ दूबे ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान प्रथम त्रैमास में फोलिक एसिड की गोलियों का सेवन करने से बच्चे का जन्मजात विकृतियों से बचाव होता है। प्रायः यह देखा जाता है कि महिलाएं प्रेग्नेंसी टेस्ट किट से समय से जांच नहीं करती हैं जिसकी वजह से वह गर्भावस्था के बारे में देर से जान पाती हैं और इन गोलियों का सेवन भी नहीं कर पाती हैं । इन किट की उपलब्धता परिवार नियोजन किट के अलावा सभी आई छाया वीएचएसएनडी व आई छाया यूएचएसएनडी सत्रों पर भी आशा और एएनएम के जरिये सुनिश्चित कराई जा रही है ।
उपयोगी है यह बॉक्स : पिपराईच ब्लॉक की निवासी 35 वर्षीय महिला ने बताया कि उनकी शादी 17 साल पहले हुई थी । उनका बड़ा बेटा 15 साल का है, जबकि छोटा बेटा 12 साल का। पति मजदूरी करते हैं । पति के पास कभी इतना समय नहीं रहता है कि वह स्वास्थ्य इकाई से कंडोम ला सकें । हमेशा गांव की आशा के जरिये कंडोम लेते रहे, लेकिन बच्चे बड़े होने लगे तो झिझक लगने लगी । आशा ने ब्लॉक पर परिवार नियोजन काउंसलर रीना से मुलाकात कराई । महिला ने काउंसलर रीना को अपनी समस्या बताया तो काउंसलर ने बताया कि कंडोम बॉक्स से भी कंडोम घर ले जा सकते हैं और गोपनीयता भी बनी रहेगी ।
शगुन किट में भी मिलती है सामग्री : जंगल कौड़िया ब्लॉक की परिवार नियोजन काउंसलर प्रीति बताती हैं कि नवदंपति को आशा कार्यकर्ता द्वारा जो शगुन किट दिया जाता है उसमें भी परिवार नियोजन किट की सामग्री रहती है । इसका उद्देश्य है कि दंपति पहला बच्चा शादी के दो साल बाद प्लान करे। दो बच्चों में तीन साल का अंतर रखे और परिवार नियोजन के साधनों के प्रति सजग रहे । परिवार नियोजन के अस्थायी साधनों में छाया गोली, माला एन गोली, कंडोम, पीपीआईयूसीडी, इमर्जेंसी पिल्स, आईयूसीडी और अंतरा इंजेक्शन की सुविधा दी जाती है, जबकि स्थायी साधनों में पुरुष नसबंदी और महिला नसबंदी शामिल है ।