- गर्भावस्था की जांच, नियमित टीकाकरण और मौसमी बीमारियों की जांच की भी दी गयी सुविधा
गोरखपुर - शहर के बिछिया वार्ड में हनुमान मंदिर के पास श्री हरी लॉन में आऊटरीच कैम्प का आयोजन कर परिवार नियोजन का संदेश दिया गया । विश्व जनसंख्या स्थिरता पखवाड़े में शहरी स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रम के तहत यह पहल की गयी । इस कैम्प में परिवार नियोजन सेवाओं के बारे में बृहद परामर्श के अलावा मौके पर अस्थायी सेवाएं भी दी गयीं । कैम्प के दौरान गर्भावस्था की जांच, नियमित टीकाकरण और मौसमी बीमारियों की जांच व उपचार की भी सुविधा प्रदान की गयी । कैम्प का शुभारम्भ उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अश्वनी चौरसिया ने किया ।
उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि सीएमओ डॉ आशुतोष कुमार दूबे और अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरसीएच डॉ एके चौधरी के दिशा निर्देशन में सभी 23 शहरी स्वास्थ्य केंद्र क्षेत्रों में यह कैम्प आयोजित किया गया । प्रत्येक क्षेत्र में तीन माह में एक बार यह कैम्प होना है । बिछिया के पार्षद चंद्रभान प्रजापति के सहयोग से प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ अरूण कुमार वर्मा ने स्थानीय स्तर पर कैम्प का आयोजन करवाया ताकि बच्चों और महिलाओं को घर के नजदीक उपचार व स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें । विश्व जनसंख्या स्थिरता पखवाड़े के दृष्टिगत इस कैम्प में परिवार नियोजन सेवाओं पर विशेष जोर दिया गया ।
डॉ चौरसिया ने बताया कि कैम्प के दौरान हीमोग्लोबिन, मधुमेह, गर्भावस्था जांच, एचआईवी, सिफलिस, हेपेटाइटिस और मलेरिया की किट से त्वरित जांच की सुविधा दी जाती है । गर्भवती व धात्री माताओं के लिए आयरन फोलिक और कैल्शियम के गोलियों की सुविधा भी उपलब्ध रहती है । आयोजन में सहयोगी संस्था पीएसआई इंडिया ने विशेष योगदान दिया ।
इस अवसर पर मंडलीय कार्यक्रम समन्वयक डॉ प्रीति सिंह, जिला शहरी स्वास्थ्य समन्वयक सुरेश सिंह चौहान, चिकित्सा अधिकारी डॉ मोनी सिंह के साथ बिछिया शहरी स्वास्थ्य केंद्र से अश्वनी पांडेय, अनीता, संदीप कुमार, उषा कला, रंजना राय, राहुल कुमार और लीलावती प्रमुख तौर पर मौजूद रहीं ।
ऐसे दिया गया परामर्श : स्टॉफ नर्स अनीता ने बताया कि परिवार नियोजन काउंटर पर लाभार्थी के परिवार की पूरी पृष्ठभूमि के बारे में जाना गया। नव दंपति को शगुन किट देकर बताया गया कि पहला बच्चा कम से कम दो साल बाद ही प्लान करें। ऐसा करने से मातृत्व स्वास्थ्य बना रहता है और दंपति में समझदारी भी विकसित होती है। इसके लिए किसी अस्थायी साधन का इस्तेमाल कर सकते हैं। जिन लाभार्थी को एक बच्चा है उन्हें दूसरे बच्चे से पहले तीन साल का अंतर रखने के लिए प्रेरित किया गया । दो या इससे अधिक बच्चे वाले लाभार्थियों को स्थायी साधन नसबंदी और आईयूसीडी के बारे में जानकारी दी गयी । पांच से दस साल तक के गर्भनिरोधन के लिए आईयूसीडी की सुविधा सभी शहरी स्वास्थ्य केंद्रों पर मौजूद है।
नसबंदी का निर्णय लिया : बिछिया की रहने वाली 30 वर्षीय भानमती (बदला हुआ नाम) ने बताया कि उनके पति ऑटो चालक हैं । शादी पांच साल पहले हुई है । बड़ी बेटी चार साल की हो गयी है और दूसरा बेटा डेढ़ साल का है। आशा कार्यकर्ता ने इस कैम्प के बारे में बताया था। कैम्प में उन्हें बताया गया कि परिवार पूरा होने पर नसबंदी करा सकती हैं। वह और उनके पति अब बच्चा नहीं चाहते हैं, ताकि दोनों बच्चों की पढ़ाई लिखाई अच्छे से हो सके । कैम्प में उन्हें माला एन भी मिला है। नसबंदी होने तक वह इस साधन का इस्तेमाल करेंगी ।