अयोध्या । डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग तथा ललित कला के संयुक्त तत्वाधान में चल रही नौ दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में ”अवध की कलात्मक धरोहर” के तीसरे दिन अवध क्षेत्र के वातावरणीय परिप्रेक्ष्य का दृश्य चित्रण पर कार्य किया गया। कार्यशाला में मुख्य अतिथि अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग की प्रो. मृदुला मिश्रा ने प्रतिभागी छात्र-छात्राओं को अनुशीलन के साथ कलाकृतियों के सृजन के लिए प्रेरित किया।
इस कार्यशाला की समन्वयक डॉ. सरिता द्विवेदी ने प्रतिभागियों को रंगो के वैज्ञानिक प्रभाव और रंगाकंन प्रक्रिया से अवगत कराया। कार्यशाला की संयोजन सचिव श्रीमती रीमा सिंह ने बताया कि हमारी कला से ही समाज, धर्म और परिवेश का सही साक्ष्य प्राप्त होता है। कला के द्वारा समाज में चल रही अवधारणाओं से विचार, संस्कृति का ज्ञान मिलता है। इसी तरह जब हम अवध के विभिन्न पौराणिक, दार्शनिक एवं ऐेतिहासिक स्थानों का चित्रण करेंगें तो आने वाले समय में अवध के महत्व को पूरे विश्व में दर्शाया जा सकेगा। कार्यशाला के दौरान छात्र-छात्राओं में वैभव, हर्षवर्धन, आदित्य, शालिनी राव, करिश्मा, बृजेश, विमल, राहुल, प्रांजल, सृष्टि, अपूर्वा का उत्साहवर्धन कला एवं मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो0 आशुतोष सिन्हा, डॉ0 अलका श्रीवास्तव, श्रीमती सरिता सिंह, श्री आशीष प्रजापति, श्री कविता पाठक, नताशा, दिलीप पाल, विजय शुक्ला, हीरा यादव, शिव शंकर यादव सहित अन्य ने किया।