उत्तराखण्ड महोत्सव : विभिन्न संस्कृतियों का संगम



लखनऊ - पं. गोविन्द बल्लभ पंत पर्वतीय सांस्कृतिक उपवन में चल रहे उत्तराखण्ड महोत्सव के सातवें दिन सुबह से ही दर्शकों का आना शुरू हो गया था, शाम ढलते ढलते अपार भीड़ उमड़ पड़ी। यह महोत्सव मनोरंजन के साथ संगीत और नृत्य, पारंपरिक कला प्रदर्शन, सांस्कृतिक विविधता का एक समारोह है। जो उत्तराखंड के साथ अन्य जगहों की विरासत को संरक्षित और प्रचार की महत्वता को उजागर करता है। उत्तराखंड महापरिषद के सांस्कृतिक सचिव महेन्द्र गैलाकोटी ने बताया कि वॉयस ऑफ उत्तराखंड के नाम से गायन की भी प्रतियोगिता है और इसमें 50 हजार रुपए की पुरुष्कार राशि रखी गई है। प्रतियोगिता प्रभारी पूरन सिंह जीना ने बताया कि आडिशन के बाद चयनित 16 प्रतिभागी उत्तराखंड के 120 गानों को स्वर दे रहे है। इस प्रतियोगिता में युवा पीढ़ी ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया है। प्रतियोगिताओं में कलाकार मनमोहक प्रस्तुतियाँ दे रहे हैं। इन प्रतियोगिताओं का सुन्दर संचालन सुन्दर सिंह बिष्ट द्वारा किया जा रहा है।

                                                                         

दोपहर में आयोजित एकल नृत्य में 9 प्रतियोगियों ने भाग लिया जिसमें प्रथम अरूणिमा चतुर्वेदी, द्वितीय जाह्नवी बिष्ट, तृतीय गार्गी द्विवेदी रही। इस प्रतियोगिता में जज डा. सुधा मिश्रा जोशी रहीं। प्रतियोगिता महिला शाखा की अध्यक्ष पुष्पा वैष्णव, राजेश्वरी रावत, सुनीता कनवाल की देखरेख में सम्पन्न हुई। उधांचल कला केन्द्र, अल्मोडा ने विविध करतबों से भीड़ का ध्यानाकर्षण किया। खासकर 6 साल की गार्गी द्विवेदी द्वारा दी गयी प्रस्तुति को दर्शकों द्वारा काफी सराहा गया।

केन्द्रीय संचार ब्यूरो सूचना और प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार के सौजन्य से संगीत कला केन्द्र लखनऊ ने विविध कार्यक्रम प्रस्तुत किये। संस्कृति विभाग देहरादून के सहयोग से पिथौरागढ से प्रकाश रावत के नेतृत्व में आये 20 कलाकारों के दल द्वारा-वन्दना जय हो बाला गोरिया, झोड़ा, छपेली, कुमाऊँनी, गढ़वाली, नेपाली गीतो से मंच गुंजयमान किया। इनके गायक कलाकार रमेश जगेरिया, दीपिका राज, देवेन्द्र सिंह पन्नू है।