कैंसर को देनी है मात तो सिगरेट-शराब को न लगाओ हाथ : डॉ. सूर्यकांत



  • विश्व कैंसर दिवस पर रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित
  • तम्बाकू, शराब, मोटापा, प्रदूषण, फास्ट फूड को त्यागें और कैंसर से बचें

लखनऊ - कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के लक्षणों और बचाव के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल चार फरवरी को ‘विश्व कैंसर दिवस’ मनाया जाता है । इस वर्ष कैंसर दिवस की थीम ’’क्लोज द केयर गैप’ है । इसी क्रम में शुक्रवार को किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग में कैंसर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया । ज्ञात हो कि विभाग अपना 75वाँ स्थापना वर्ष (प्लेटिनम जुबली स्थापना वर्ष) मना रहा है, इसके तहत विभाग विभिन्न प्रकार के 75 आयोजन कर रहा है । इसी कड़ी में आज का यह आयोजन भी रहा ।

इस मौके पर रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष एवं इंडियन सोसाइटी फॉर स्टडी ऑफ लंग कैंसर की राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य डा. सूर्यकान्त ने बताया कि कैंसर कई प्रकार के होते हैं- लंग कैंसर, ब्लड कैंसर, गर्भाशय का कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, मुंह का कैंसर, मस्तिष्क का कैंसर, गले का कैंसर, अंडाशय का कैंसर, पेट का कैंसर, स्तन कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर आदि । अगर हम कैंसर के लक्षणों की बात करें तो- पेट में लगातार दर्द बने रहना, त्वचा पर निशान, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, कफ और सीने में दर्द, थकान और कमजोरी महसूस करना, घाव का ठीक न होना, शरीर के किसी हिस्से में गांठ महसूस होना, शरीर का वजन अचानक से कम या ज्यादा होना आदि मुख्य लक्षण हैं । उन्होंने कहा- देश में लंग कैंसर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है । देश में लगभग एक लाख लंग कैंसर के मरीज हैं, जिनमें पुरुषों की संख्या लगभग 70 हजार है एवं महिलाओं की संख्या 30 हजार है । इसका मुख्य कारण विगत वर्षों में बढ़ता हुआ प्रदूषण, कीटनाशक दवाओं का अत्यधिक उपयोग एवं अन्य मुख्य कारणों में धूम्रपान, घरों के चूल्हों से निकला हुआ धुआं व परोक्ष धूम्रपान (धूम्रपान करने वाले लोगों के आस-पास रहने वाले लोगो में जो धुआं का सेवन होता है उसे परोक्ष धूम्रपान कहते हैं ) हैं । आम जनमानस में फेफड़ों के कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए इसके लक्षणों के बारे में बताया गया जिसमें लगातार खांसी आना, सांस फूलना, खांसी के साथ खून का आना, सीने में दर्द, वजन कम होना और बार-बार लंग इंफेक्शन होना शामिल है । लंग कैंसर पुरूष एवं महिलाओं में मुख्य पाँच प्रकार के कैंसरों में से एक है। फेफड़ों के कैंसर का उपचार चार तरीकों से किया जाता है- सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडियोथेरिपी एवं इम्यूनोथेरेपी । उन्होने लंग कैंसर के इलाज की प्रमुख समस्या के बारे में बताया कि 90 प्रतिशत रोगी लंग कैंसर की अंतिम अवस्था में चिकित्सकों के पास पहुचतें हैं, जिससे उनका इलाज संभव नहीं हो पाता है ।

आईएमए-एएमएस के नेशनल वायस चैयरमैन डा. सूर्यकान्त ने बताया कि 13 खाद्य पदार्थ कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं- ब्रोकोली, गाजर, बीन्स, जामुन, दालचीनी, नट, जैतून का तेल, हल्दी, खट्टे फल, अलसी, टमाटर, लहसुन, मछली जबकि पाँच ऐसे खाद्य पदार्थ है जो आपके कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं- मांस, तला हुआ खाना, रिफाइन्ड (परिष्कृत) उत्पाद, तम्बाकू, शराब और कार्बोनेटेड पेय, डिब्बाबंद और पैक्ड खाद्य पदार्थ ।

डा. सूर्यकान्त ने बताया कि विभाग में नौ विशिष्ट क्लीनिक चल रही हैं, जिसमें से एक ‘लंग कैंसर क्लीनिक’ भी है । फेफड़ों के कैंसर की यह क्लीनिक रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में प्रत्येक वृहस्पतिवार को अपरान्ह एक बजे से तीन बजे के बीच चलायी जाती है। इस क्लीनिक में मरीज दिखाने के लिए पहले से आनलाइन पंजीकरण कराना होगा, पंजीकरण हेतु केजीएमयू की साइट पर उपलब्ध फोन नम्बर 0522-2258880 पर काल कर व  www.ors.gov.in पर जाकर बुक कर सकते हैं । इसके साथ ही रोगी कोविड की नेगेटिव रिपोर्ट के साथ तय तिथि पर उपचार हेतु आ सकता है ।
 जागरूकता कार्यक्रम में रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के सभी चिकित्सक डा. संतोष कुमार, डा.अजय कुमार वर्मा, डा. आनन्द श्रीवास्तव, डा. डीके बजाज, डा. ज्योति बाजपेई व रेजिडेन्ट डाक्टर्स व कर्मचारीगण उपस्थित रहे ।