स्वर कोकिला लता मंगेशकर के निधन से भारत समेत विश्व के कई देशों में शोक की लहर



मुंबई - स्वर कोकिला भारतरत्न लता मंगेशकर (92) का रविवार सुबह मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया। उनका पार्थिव शरीर आज दोपहर उनके पेडर रोड स्थित निवास प्रभु कुंज पर ले जाया जाएगा। शाम को शिवाजी पार्क श्मशान भूमि में अंतिम संस्कार किया जाएगा।

ब्रीच कैंडी अस्पताल के डॉ. प्रतीत समदानी के बताया कि लता दीदी का रविवार को 8 बजकर 12 मिनट पर मल्टी आर्गन फेल्योर की वजह से निधन हो गया । मेडिकल टीम ने बहुत मेहनत की लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका

लता मंगेशकर को 8 जनवरी को कोरोना संक्रमित होने के बाद ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल में उन्हें निमोनिया होने का पता चला था, इसलिए डॉ. प्रतीत समदानी के नेतृत्व में उनका इलाज आईसीयू में हो रहा था। 22 जनवरी को उनके स्वास्थ्य में सुधार हो गया था और वेंटिलेटर हटा दिया गया था लेकिन शनिवार को उनकी तबीयत फिर बिगड़ गई थी।

प्रधानमंत्री मोदी ने जताया शोक : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लता मंगेशकर के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, "लता दीदी के गानों ने कई तरह के इमोशन्स को उभारा। उन्होंने दशकों तक भारतीय फिल्म जगत के बदलावों को करीब से देखा। फिल्मों से परे, वह हमेशा भारत के विकास के बारे में भावुक थीं। वह हमेशा एक मजबूत और विकसित भारत देखना चाहती थी।"

वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने शोक संदेश में कहा कि ‘स्वर कोकिला’ लता मंगेशकर जी के निधन से भारत की आवाज़ खो गई है। लताजी ने आजीवन स्वर और सुर की साधना की। उनके गाये हुए गीतों को भारत की कई पीढ़ियों को सुना और गुनगुनाया है। उनका निधन देश की कला और संस्कृति जगत की बहुत बड़ी क्षति है।उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदना |

लता मंगेशकर का जन्म इंदौर में 28 सितंबर, 1929 को हुआ था। बचपन से ही वह स्वर साधना में लीन हो गई थीं। वह देश की सबसे लोकप्रिय और सम्मानित गायिका थीं। उनका छह दशकों का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा पड़ा है। उन्होंने लगभग तीस से ज्यादा भाषाओं में फिल्मी और गैर-फ़िल्मी गाने गाये हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी दी लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भारत रत्न लता मंगेशकर के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा, लता दीदी के निधन से सिर्फ मैं ही नहीं बल्कि प्रत्येक भारतीय के मन में जो वेदना और रिक्तता उत्पन्न हुई है, उसको शब्दों में वर्णन करना कठिन है। आठ दशक के ऊपर अपनी स्वर वर्षा से भारतीयों के मनों को सिक्त करने वाला, तृप्त करने वाला, शांत करने वाला आनंदघन आज हमने खो दिया। वो अब नहीं बरसेगा।