महिला ही दूसरी महिला की समस्या को भलीभांति समझ सकती है : डॉ. अनामिका



  • अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (08 मार्च) पर विशेष

लखनऊ - पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को आज भी अपनी मजबूत स्थिति बनाने के लिए कड़ी मेहनत व संघर्ष करना पड़ता है |   यह बात किसी  से भी छिपी  नहीं है कि  एक महिला के अधीन पुरुषों को काम करना और उनके निर्देशों का पालन करना अभी भी पूरी तरह रास नहीं आता है |  वह चाहे  घर हो या कार्यक्षेत्र | एक महिला को मजबूत जगह बनाने के लिए हर  जगह संघर्ष करना पड़ता है |  ऐसे में आप अपने काम को ईमानदारी से करें और अपने ऊपर पूरा भरोसा  रखें तभी  समाज में अपनी अलग पहचान बना सकती हैं। यह कहना है अलीगंज बाल महिला चिकित्सालय की चिकित्सा अधीक्षक डा. अनामिका गुप्ता का | वह कहती हैं - एक महिला ही दूसरी महिला की समस्या को भलीभांति समझ सकती है |

डा. अनामिका बताती हैं कि  उन्हें चिकित्सा क्षेत्र में  सेवाएं देते हुए 12 साल हो चुके हैं | बचपन से ही  पिता को एक चिकित्सक के रूप में  देखते हुए  चिकित्सा के क्षेत्र में जाने का सपना देखा  | कड़ी मेहनत से इस मुकाम को हासिल किया। दिल्ली के लेडी हार्डिंग कॉलेज से एमबीबीएस और एमडी करने के बाद वह चाहतीं  तो निजी क्षेत्र में  सेवाएं दे  सकती थीं लेकिन उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र में आने का फैसला लिया ताकि वह जरूरतमंदों की सेवा कर सकें |

परिवार और कार्यक्षेत्र में तालमेल बनाने में परिवार और सहकर्मियों का सहयोग बहुत जरूरी है। आपातकालीन परिस्थिति में दोनों  का ही सहयोग मिला|  कोविड की पहली लहर में कोरोना  संक्रमित होने के बावजूद पूरी ईमानदारी  और हिम्मत से परिस्थितियों  का सामना किया। दूसरी लहर में खुद को तो संक्रमित होने से बचा लिया पर परिवार के सदस्यों व  बच्चों को संक्रमित होने से न  बचा पाई और इसी संक्रमण के चलते  परिवार के एक सदस्य को भी खोया | ऐसे में काम करना चुनौतीपूर्ण था लेकिन धैर्य और साहस का परिचय देते हुए घर और अस्पताल में अपनी सेवाएं देती रहीं |

डा. अनामिका कहती हैं – घर से अस्पताल आने का  तो समय निश्चित है लेकिन वापस  घर जाने का समय निश्चित नहीं है | आकस्मिक परिस्थितियों में हमें किसी भी समय अस्पताल में रुकना  पड़ता है | कभी कभी तो पारिवारिक समारोह में भी हम  उपस्थिति  दर्ज नहीं करा पाते |  

कोविड टीकाकरण के प्रति जागरूकता लाते हुए  अलीगंज बाल महिला चिकित्सालय ने लगभग साढ़े सात  लाख लोगों  का टीकाकरण कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की | प्रशासन और अन्य विभागों  की मदद से दिन रात मेहनत करके अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट की शुरुआत करवाई।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (08 मार्च) पर आशा, एएनएम व  आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की प्रशंसा  करते हुए उन्होंने कहा – कोविड की लड़ाई में इन महिला कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका रही है | इनके सहयोग के बगैर तो  लड़ाई का सामना करना ही असंभव है |

महिला दिवस की बधाई देते हुए डा• अनामिका ने कहा- महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना चाहिए क्योंकि  आप आर्थिक रूप से स्वतंत्र हैं तभी लोग आपकी बात को अधिक तवज्जो देंगे  | इसके साथ ही अपने बच्चों विशेषकर लड़कियों को अवश्य पढ़ाएं |