फाइलेरिया मरीजों को दी जा रही मार्बिडिटी मैनेजमेंट किट



  • जिले में लिमिटेड लिंफोएडिमा के 1594 मरीज, 1500 को मिलेगी किट
  • अभी तक 36 मरीजों को मिल चुकी हैकिट
  • मार्बिडिटी मैनेजमेंट का तरीका भी सिखाया जा रहा

गोरखपुर - फाइलेरिया के लिमिटेड लिंफोएडिमा (एलएल) के मरीजों को मार्बिडिटी मैनेजमेंट किट प्रदान करने के साथ ही मैनेजमेंट का तरीका भी सिखाया जा रहा है । जिले में एलएल फाइलेरिया के 1594 मरीज हैं जिनमें किट बांटने की शुरूआत हो चुकी और 36 मरीजों को किट दीभी जा चुकी है | जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह ने बताया कि कुल 1500 मरीजों को फिलहाल किट दी जानी है ।

चरगांवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान  के शुभारम्भ पर  पिपराईच विधायक महेंद्र पाल सिंहने 12 फाइलेरिया मरीजों को शनिवार को किट प्रदान की | किट में बाल्टी, मग, तौलिया, साबुन और क्रीम शामिल है । ब्लॉक के शिवपुर से आई 50 वर्षीय महिला फाइलेरिया मरीज ने बताया कि उनके पैरों में सूजन है और  काफी दर्द होता है। दस साल से वह इस बीमारी से पीड़ित हैं। उन्हें आशा कार्यकर्ता गुड्डी ने बताया कि ब्लॉक पर दवा और सलाह मिलेगी । उन्हें किट तो मिली ही है, साथ ही यह भी बताया गया कि कैसे पैरों की देखभाल करनी है । दस साल में पहली बार उन्हें यह सुविधा मिली है ।

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि सीएमओ डॉ. आशुतोष कुमार दूबे और जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ. एके चौधरी की देखरेख में आगे भी नये मिलने वाले फाइलेरिया मरीजों को किट दी जाएँगी । पिपरौली में छह और खोराबार में 18 मरीजों को किट दी गयी है । एक बार फाइलेरिया के कारण हुए हाथीपांव या अन्य अंगों के सूजन को समाप्त तो नहीं किया जा सकता है लेकिन मार्बिडिटी मैनेजमेंट से घाव बढ़ने से रोका जा सकता है । चरगांवा में हुए कार्यक्रम में सहायक जिला मलेरिया अधिकारी राजेश चौबे, चंद्रप्रकाश मिश्र, इंस्पेक्टर राहुल सिंह, प्रवीण पांडेय, रमेश यादव, राकेश पाठक, ज्ञान प्रकाश आदि के सहयोग से मार्बिडिटी मैनेजमेंट करवाया गया । इस अवसर पर जिला सर्विलांस अधिकारी डॉक्टर एके चौधरी व जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉक्टर एएन प्रसाद भी मौजूद रहे।

ऐसे करें मार्बिडिटी मैनेजमेंट : पहले पैरों को सादे पानी से टब में रख कर धुलना होता है, फिर हाथों में साबुन लगा कर धीरे-धीरे प्रभावित अंग पर लगाएं । इसके बाद तौलिये की सहायता से धीरे-धीरे सुखाएंगे और फिर क्रीम लगाएंगे। पैरों को लटका कर नहीं बैठना है । उसे टेबल या बिस्तर पर टिकाकर रखना है ।

निःशुल्क मिलती है दवा : जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि फाइलेरिया के कारण अंगों में आए सूजन को समाप्त नहीं किया जा सकता है लेकिन इस बीमारी से बचाव का उपाय यह है कि पांच वर्षों तक सामूहिक दवा सेवन(एमडीए)  कार्यक्रम के तहत निःशुल्क दवा का सेवन किया जाए । यह दवा सिर्फ दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और गंभीर तौर पर बीमार लोगों को नहीं खानी होती है । फाइलेरिया के कारण हाइड्रोसील होने पर उसका इलाज हो जाता है और निःशुल्क सर्जरी सरकारी अस्पताल में उपलब्ध है । फाइलेरिया से बचाव के लिए घर के आस-पास साफ-सफाई और मच्छरों से बचाव का भी उपाय करना चाहिए ।