उमराव जान की नई प्रस्तुति 18 जून को लखनऊ में, अवध की संस्कृति को मिलेगा नया मंचीय रूप



  • वरिष्ठ लेखक एस एन लाल की लिखी कहानी 'गुलनार का कोठा' पर आधारित है यह ड्रामा  

लखनऊ । भारतीय साहित्य और सिनेमाई इतिहास में अमिट छाप छोड़ने वाली ‘उमराव जान’ की कहानी को एक नए दृष्टिकोण से मंचित किया जा रहा है। फखरुद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी (उत्तर प्रदेश सरकार) के तत्वावधान में इस नाटक का मंचन आगामी 18 जून 2025 को होटल ऑरनेट, वृंदावन कॉलोनी, लखनऊ में किया जाएगा। इस संदर्भ में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान बताया गया कि ‘उमराव जान’ नाम सुनते ही लोगों के मन में हादी रुसवा की प्रसिद्ध उपन्यास उमराव जान अदा की छवि उभरती है, लेकिन यह प्रस्तुति एक बिल्कुल अलग दृष्टिकोण लेकर आई है। दरअसल, इस ड्रामा की कथा एस एन लाल की लिखी कहानी गुलनार का कोठा पर आधारित है, जिसमें हादी रुसवा की रचनात्मक दुनिया के पात्रों को नई कथा में समेटा गया है। यानी, किरदार ‘उमराव जान’ उपन्यास से लिए गए हैं, लेकिन कहानी और संवाद नए हैं।

निर्देशकों के अनुसार, इस नाटक को 'उमराव जान' नाम इसलिए दिया गया है ताकि दर्शकों को अवध की तहज़ीब और तवायफ संस्कृति से जोड़ना आसान हो सके। मंचन से पहले समारोह में शहर की विभिन्न हस्तियों — लेखक, पत्रकार, डॉक्टर, समाजसेवी, और उद्यमियों — को सम्मानित किया जाएगा। कार्यक्रम के दौरान ड्रामा का पोस्टर भी लॉन्च किया गया, जिसमें मुख्य भूमिका निभा रहीं प्रभाती पांडे के साथ दीप सचार और तनिष्का शर्मा ने अपने अनुभव साझा किए।

इन कलाकारों ने बताया कि यह नाटक अवध की सांस्कृतिक परंपराओं को आधुनिक अभिव्यक्ति देने का प्रयास है।यह मंचन एक और कारण से विशेष महत्व रखता है — मुजफ्फर अली द्वारा निर्देशित कालजयी फिल्म उमराव जान भी इसी महीने 28 जून को दोबारा रिलीज होने जा रही है, जिससे इस प्रस्तुति को एक भावनात्मक और सांस्कृतिक समकालीनता मिलती है। आयोजकों का मानना है कि यह मंचन लखनऊवासियों को न केवल मनोरंजन देगा, बल्कि उन्हें अपनी सांस्कृतिक विरासत के और करीब लाएगा।