- प्रतिष्ठित मैकमास्टर टेक्स्टबुक ऑफ इंटरनल मेडिसिन 2022 की पाठ्य पुस्तक के सलाहकार बोर्ड में शामिल
लखनऊ - ‘मैकमास्टर टेक्स्टबुक ऑफ इंटरनल मेडिसिन’, मैकमास्टर यूनिवर्सिटी द्वारा लिखित इंटरनल मेडिसिन की पहली कनाडा की पाठ्यपुस्तक है, जो पोलिश संस्थान के साथ मिलकर तैयार की गयी है। पाठ्यपुस्तक का मुख्य उद्देश्य चिकित्सकों, रेजिडेन्ट डॉक्टरों, चिकित्सा क्षेत्र से जुडे़ हुए अन्य लोगों को नवीनतम एवं शोधपरक इंटरनल मेडिसिन का ज्ञान मुहैया कराना है। मैकमास्टर टेक्स्टबुक ऑफ इंटरनल मेडिसिन के दक्षिण एशियाई संस्करण का आधिकारिक विमोचन 14 अप्रैल, 2022 को एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया (एपीकॉन) के 77वें वार्षिक सम्मेलन के दौरान हुआ था, जो इस वर्ष राजस्थान के खूबसूरत ऐतिहासिक शहर जयपुर में आयोजित किया गया था।
ज्ञात रहे कि मैकमास्टर दुनिया का एक प्रतिष्ठित प्रकाशन समूह है। मैकमास्टर टेक्स्टबुक ऑफ इंटरनल मेडिसिन के दक्षिण एशियाई संस्करण के सलाहकार बोर्ड में भारत से डा. सूर्यकान्त को सम्मिलित किया गया है। दक्षिण एशियाई संस्करण में भारत, नेपाल, बांग्लादेश, फिलिपिन्स और श्रीलंका के जाने माने चिकित्सकों को सम्मिलित किया गया है। ज्ञात रहे कि डा. सूर्यकान्त 20 से अधिक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स के सलाहकार/सम्पादकीय बोर्ड के सदस्य हैं। इसके अलावा वह चिकित्सा विज्ञान सम्बंधित विषयों पर 18 किताबें भी लिख चुके हैं तथा एलर्जी, अस्थमा, टी.बी. एवं कैंसर के क्षेत्र में उनके अब तक लगभग 710 शोध पत्र राष्ट्रीय एवं अर्न्तराष्ट्रीय जनर्लस में प्रकाशित हो चुके हैं।
डा. सूर्यकान्त को अब तक चिकित्सकीय, शैक्षिक, रिसर्च, हिन्दी भाषा व सामाजिक सेवा कार्यों के लिए लगभग 160 पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। डा. सूर्यकान्त को पहले भी अमेरिकन कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजिशियन, ट्यूबरकुलोसिस एसोसिएशन ऑफ इण्डिया, इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन, इण्डियन चेस्ट सोसाइटी, नेशनल कालेज ऑफ चेस्ट फिजिशियन आदि संस्थाओं द्वारा राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 19 फैलोशिप सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें उप्र सरकार द्वारा विज्ञान गौरव अवार्ड (विज्ञान के क्षेत्र में उ0प्र0 का सर्वोच्च पुरस्कार) और राज्य हिन्दी संस्थान द्वारा विश्वविद्यालय स्तरीय हिन्दी सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है।
डा. सूर्यकान्त पिछले दो दशक से अधिक समय से अपने लेखों व वार्ताओं, टी.वी. व रेडियों के माध्यम से लोगो में एलर्जी, अस्थमा, टी.बी, कैंसर जैसी बीमारी से बचाव व उपचार के बारे में जागरूकता फैला रहे हैं। जनमानस को कोरोना जैसी घातक बीमारी से न्यूज चैनल, यूट्यूब, रेडियो एवं अखबार के द्वारा जागरूक किया व कोरोना के उपचार हेतु एक सस्ता और उपयोगी प्रोटोकॉल विकसित किया व कई स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से दवाएं गावों के लोगों को वितरित करवाई। इसके साथ ही अपने संस्थान में कोरोना पीड़ितों को भी स्वस्थ कर जीवनदान दे रहें हैं । वाराणसी में डी.आर.डी.ओ. द्वारा स्थापित पंडित राजन मिश्रा कोविड, हॉस्पिटल में कोविड मरीजों को बेहतर चिकित्सकीय सुविधायें उपलब्ध कराये जाने हेतु उपलब्ध व्यवस्था का आकलन/संसाधनों/चिकित्सकीय सुविधाओं का आकलन कर एवं उसमें सुधार हेतु अपनी संस्तुति के लिए भी एक सदस्यीय टीम गठित कर डा. सूर्यकान्त को चुना गया था। इसके पूर्व भी उप्र शासन द्वारा उनको कोविड से प्रभावित जनपदों जैसे- आगरा, कानपुर, मेरठ की समीक्षा के लिये भेजा गया था।