नई दिल्ली(डेस्क) - सरकार कच्चे पाम तेल के शिपमेंट पर हाल ही में इंडोनेशियाई प्रतिबंध के बाद कीमतों में बढ़ोतरी को कम करने के लिए खाद्य तेल आयात पर लगाए गए सेस चार्ज में कमी करने पर विचार कर रही है। उपभोक्ता मामलों खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा 5 प्रतिशत एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेपमेंट सेस में कटौती का प्रस्ताव देने की संभावना है। वित्त मंत्रालय में राजस्व विभाग द्वारा अंतिम निर्णय लिया जाएगा। वहीं, इंडोनेशियाई प्रतिबंध के बाद भारत ताड़ के तेल की आपूर्ति के लिए वैकल्पिक चैनलों की खोज कर रहा है।
ड्यूटी में कटौती की जा सकती है : सूत्रों के मुताबिक, भारत के राजनयिक चैनलों के माध्यम से ताड़ के तेल के दुनिया के सबसे बड़े निर्यातक इंडोनेशिया के साथ जुडऩे की भी संभावना है और वैश्विक स्तर पर निर्यात प्रतिबंध पर द्विपक्षीय वार्ता भी कर सकते हैं। सरकारी अधिकारी ने मिंट को बताया, हमारे पास वैकल्पिक खाद्य तेल उपलब्ध हैं, लेकिन असली चिंता कीमतों को लेकर है। उसके लिए हम ड्यूटी में कटौती कर सकते हैं। खाद्य तेल की कीमतों को स्थिर करने के लिए कृषि उपकर में कटौती की जा सकती है।
भारत पाम तेल का सबसे बड़ा आयातक : भारत इंडोनेशिया से पाम तेल का सबसे बड़ा आयातक है। यह सालाना लगभग नौ मिलियन टन ताड़ के तेल का आयात करता है और भारत के कुल खाद्य तेल खपत बास्केट में इस जिंस की हिस्सेदारी 40प्रतिशत से अधिक है। जानकारों का कहना है कि अगर कोई वैकल्पिक सोर्स नहीं मिला तो खाद्य तेल की कीमतें लगभग दोगुनी हो सकती हैं।
सेस घटाने के बाद भी राहत नहीं : उपलब्ध मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सेस में कमी से खाद्य तेल की कीमतों को कम करने में मदद नहीं मिलेगी, क्योंकि कीमतें बहुत तेजी से बढ़ी हैं। सूत्रों ने कहा, खाद्य तेल आयात पर अब केवल 5 प्रतिशत का बहुत छोटा सेस है। इसके अलावा सरकार एक उपभोक्ता जागरूकता अभियान भी शुरू कर सकती है, जिसमें लोगों को कम ताड़ के तेल का सेवन करने और वैकल्पिक तेलों पर स्विच करने के लिए कहा जा सकता है।