बाराबंकी - पिछले कुछ दिनों से तापमान लगातार बढ़ रहा है। तेज धूप से पारा 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। इससे हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ने लगा है। इस समय गर्मी बढ़ने के साथ ही उमस बढ़ रही है, इससे डायरिया, पेट दर्द, चर्मरोग, सिर दर्द सहित विभिन्न रोगों के मरीज बढ़ रहे हैं। जिला चिकित्सालय के साथ निजी अस्पतालों में भी ऐसे मरीज लगातार बढ़ रहे हैं। दिन प्रतिदिन पारा ऊपर जा रहा है । इसके कारण हीट स्ट्रोक की समस्या बढ़ गयी है। डॉक्टरों का कहना है कि इन दिनों जब भी घर से बाहर निकलें तो शुद्ध पेयजल जरूर पीकर निकलें। इससे लू लगने की संभावना कम हो जाती है।
उप मुख्य चिकित्साधिकारी डा राजीव सिंह बताते हैं कि इस समय तापमान 45 डिग्री के आसपास है। तेज धूप की तपिश से हवा भी झुलसा रही है। ऐसे में हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ गया है। अचानक घर से बाहर पैदल एवं बाइक से निकलकर धूप में जाना खतरनाक साबित हो सकता है। गर्म हवा लगने से शरीर का पानी सूख जाता है। इससे पानी की कमी होने से हीट स्ट्रोक एवं डिहाइड्रेशन होने की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए गर्मी के दिनों में पानी खूब पीयें। हो सके तो हर घंटे पर एक गिलास पानी या फिर तरल पदार्थ का सेवन करते रहें। दोपहर में यदि निकलना बेहद जरूरी हो तो धूप से बचने के लिए छाता लगाकर निकलें या फिर गमछा आदि से सिर और चेहरे को पूरी तरह से ढककर गर्म हवा से सुरक्षित रखें।
उपमुख्य चिकित्साधिकारी ने हीट स्ट्रोक के लक्षण व बचने के उपाय के बारे जानकारी देते हुए बताया कि हीट स्ट्रोक अत्यधिक तापमान में लंबे समय तक रहने के कारण होता है। आमतौर पर डी-हाइड्रेशन तथा शरीर के तापमान नियंत्रण प्रणाली की विफलता के कारण होता है। उन्होंने बताया कि शरीर का तापमान अगर 104 फारेनहाइट से अधिक होता है तो इसे हीट स्ट्रोक का लक्षण माना जाता है। जब शरीर में पानी और नमक की मात्रा कम हो जाती है और पसीना आना भी बंद हो जाता है।
हीट स्ट्रोक के लक्षण : बहुत तेज सिरदर्द, चक्कर आना और सर घूमना, गर्मी के बावजूद पसीना न आना, लाल, गर्म और सूखी स्कीन, मांसपेशियों में कमजोरी लगना या ऐंठन का अनुभव, मतली और उल्टी, धड़कन का तेज होना, सांस लेने में तकलीफ, घबराहट और बेचैनी दौरे आना मुख्य लक्षण है।
बचाव के उपाय : एक्सरसाइज करने से पहले और बाद पानी जरूर पिएं । फल के जूस और पानी मिलाकर कम से कम आठ मिलास तरल पदार्थ प्रतिदिन लें। ठंडे ताजे पानी से स्नान करें और शावर लें तथा पर्याप्त मात्रा में आराम करें। हल्का व तरल पौष्टिक भोजन खाएं। खाने में ककड़ी, तरबूज, नारियल, बेल को शामिल करें। शुद्ध पयेजल ही पीएं। हल्के रंग के और ढीले सूती कपड़े पहनें। छाता या टोपी का उपयोग कर धूप से बचें। बिना वेंटिलेशन वाली गाड़ी में बच्चों या बड़े बुजुर्गों को कभी न छोड़ें। बच्चों और वृद्ध डी-हाइड्रेशन के शिकार न हो इसका ध्यान रखें।