नई दिल्ली (डेस्क) - भारत के संपूर्ण विकास के लिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि समाज के सभी वर्ग को देश की आर्थिक और सामाजिक समृद्धि में हिस्सेदारी मिले। लेकिन भारत की आबादी में करीब 9 फीसदी और कुल भू-भाग के करीब 15 फीसदी हिस्से पर रहने वाले जनजातीय समुदाय को पिछले छह दशकों में कार्यान्वित विकास परियोजनाओं का पूरा लाभ नहीं मिला है। पहली बार केंद्र सरकार ने इस वर्ग के व्यापक उत्थान के लिए निर्णायक कदम उठाए हैं। जनजातीय गौरव दिवस से लेकर शिक्षा के क्षेत्र में एकलव्य स्कूल और कला व कौशल प्रशिक्षण की दिशा में कई अहम निर्णय लिए गए हैं। इसी कड़ी में 7 जून को एक नई शुरुआत करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान का उद्घाटन किया।
राष्ट्रीय स्तर का यह संस्थान शैक्षणिक, कार्यकारी और विधायी क्षेत्रों में जनजातीय चिंताओं, मुद्दों और मामलों के मुख्य केंद्र के रूप में स्थापित किया गया है। यह प्रतिष्ठित अनुसंधान संस्थानों, विश्वविद्यालयों, संगठनों के साथ-साथ शैक्षणिक निकायों और संसाधन केंद्रों के साथ सहयोग और उनकी नेटवर्किंग करेगा। यह जनजातीय अनुसंधान संस्थानों, उत्कृष्टता केंद्रों और शोध परियोजनाओं की निगरानी के साथ अनुसंधान और प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार के लिए मानदंड तय करेगा।