... तो 70 की उम्र में दी टीबी को मात



  • दवा के साथ मिला पोषण और संबल
  • बीपीएम ने गोद लेकर टीबी मरीज की मदद की थी
  • पोषण के लिए 500 रु प्रति माह का भी लाभ मिला

गोरखपुर - अगर टीबी मरीज को सही सलाह, संपूर्ण दवा, पोषण और मानसिक संबल दिया जाए तो वह पूरी तरह से ठीक हो जाता है । ऐसे मरीजों की ढलती उम्र भी बाधा नहीं बनती है । ऐसा ही संभव हुआ है पिपरौली ब्लॉक के सत्तर वर्षीय यदुवंश के साथ, जिन्होंने इस उम्र में भी महज छह महीने में टीबी को मात दे दी । उन्हें पिपरौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर (बीपीएम) राजगौरव सिंह ने गोद लिया और हरसंभव मदद की । यदुवंश के खाते में 500 रुपये प्रति माह पोषण के लिए भी दिया गया ।

ब्लॉक के भीटी उर्फ खोरिया गांव निवासी यदुवंश बताते हैं कि इसी साल जनवरी में उन्हें हल्की खांसी और बुखार की दिक्कत महसूस हुई। बुखार रात में चढ़ता और पसीना भी होता था। उन्होंने क्षेत्र के एक निजी अस्पताल में इलाज कराया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ । उसके बाद वह गोरखपुर के एक निजी अस्पताल में आकर इलाज कराने लगे । चिकित्सक ने टीबी की आशंका जताते हुए जांच कराने की सलाह दी । अब तक उनके इलाज में करीब 20000 रुपये खर्च हो चुके थे और अब उनके लिए खर्च वहन करना संभव नहीं था। जांच के लिए 2500 रुपये और लगने थे । उन्होंने असमर्थता जताई तो चिकित्सक ने जिला क्षय रोग केंद्र जाने की सलाह दी । यदुवंश बताते हैं कि वहां पर उनकी जांच निःशुल्क हुई और उन्हें बताया गया कि उनके ब्लॉक से ही उन्हें दवाइयां निःशुल्क मिलेंगी ।

सीनियर ट्रिटमेंट सुपरवाइजर रत्नेश श्रीवास्तव बताते हैं कि पिपरौली ब्लॉक से नौ फरवरी 2022 को यदुवंश को दवा दी जाने लगी । मार्च में बीपीएम राजगौरव ने उन्हें गोद लिया और पोषक सामग्री प्रदान की । यदुवंश बताते हैं कि गोद लेने के बाद बीपीएम तीन से चार बार गांव पर उनसे मिलने के लिए आए। फल और पोषक आहार दिया और लगातार दवा सेवन करने की सलाह दी। उन्होंने एक भी दिन दवा बंद नहीं की । बीपीएम ने उनकी थोड़ी बहुत आर्थिक मदद भी की । जब यदुवंश ने दवा लेना शुरू किया तो उन्हें कुछ प्रतिकूल प्रभाव भी नजर आए लेकिन थोड़े दिनों में ही स्थिति सामान्य हो गयी । 26 जुलाई को हुई जांच में यदुवंश को टीबी मुक्त घोषित किया गया ।

मुहिम से हुए प्रेरित : बीपीएम राजगौरव बताते हैं कि मार्च 2022 में टीबी मरीजों को गोद लेने की मुहिम चलाई गई जिससे प्रेरित होकर उन्होंने दो टीबी मरीजों को गोद लिया । सीएचसी अधीक्षक डॉ शिवानंद मिश्र ने भी उनके इस काम में समुचित मार्गदर्शन दिया और पूरा सहयोग किया।  यदुवंश ठीक हो चुके हैं और एक अन्य मरीज की दवा चल रही है । मरीजों को गोद लेने का आशय उन्हें एक किलो भुना चना, एक किलो मूंगफली, एक किलो गुड़, एक किलो सत्तू, एक किलो तिल या गजक, एक किलो व शासन द्वारा निर्धारित अन्य पोषक सामग्री देने से है। साथ में समय-समय पर हालचाल लेना होता है और मरीज को नियमित दवा लेने के लिए प्रेरित करना है । मरीज की अन्य अपेक्षित मदद भी स्वेच्छा से कर सकते हैं ।

निक्षय मित्र बनने के लिए आगे आएं : प्रभारी जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ गणेश प्रसाद यादव का कहना है कि टीबी मरीजों को गोद लेने वालों को अब निक्षय मित्र कहा जा रहा है और ऐसे लोग ऑनलाइन पंजीकरण भी करवा सकते हैं । सर्वश्रेष्ठ निक्षय मित्र को राज्यपाल सम्मानित करेंगी । टीबी मरीज को गोद लेने के लिए ड्रिस्ट्रिक्ट पब्लिक प्राइवेट मिक्स कोआर्डिनेटर अभय नारायण मिश्र के मोबाइल नंबर 8299807923 पर संपर्क भी कर सकते हैं । इस समय जिले में 7921 टीबी मरीजों का इलाज चल रहा है जिसमें से 1532 मरीजों को व्यक्तियों और संस्थाओं ने गोद लिया। अन्य मरीजों को भी गोद लेने के लिए लोगों से आगे आने की अपील है।