परिवार को जोड़ने की अहम कड़ी हैं बुजुर्ग : रितु खंडूरी भूषण



  • संस्कार और अनुभव का खजाना हैं सीनियर सिटीजंस : प्रो. द्विवेदी
  • 'वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल में मीडिया और संचार माध्यमों की भूमिका' विषय पर कार्यक्रम का आयोजन
  • आईआईएमसी और पॉलिसी रिसर्च फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुई कार्यशाला

नई दिल्ली -  भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) एवं पॉलिसी रिसर्च फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उत्तराखंड विधानसभा की अध्यक्ष रितु खंडूरी भूषण ने कहा कि बुजुर्ग परिवार की शान होते हैं और इनसे परिवार एक सूत्र में जुड़ा रहता है। बुजुर्गों के कारण ही आज भी समाज मे संयुक्त परिवार बचे हुए हैं। 'वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल में मीडिया और संचार माध्यमों की भूमिका' विषय पर आयोजित कार्यशाला में आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी, राष्ट्रीय समाज रक्षा संस्थान के उप निदेशक डॉ. एच.सी.एस.सी. रेड्डी, सामाजिक कार्यकर्ता शालीना चतुर्वेदी, पॉलिसी रिसर्च फाउंडेशन के संस्थापक ललित डागर एवं सीनियर सिटीजन वेलफेयर एसोसिएशन, संत नगर से नीलम मैनी भी उपस्थित रहे।

रितु खंडूरी भूषण कहा कि भारत संस्कारों का देश माना जाता है, लेकिन ऐसा क्या हुआ की हमें बुजुर्गों की देखभाल के बारे में बात करनी पड़ रही है। संस्कार हमें घर से मिलते हैं। जब हम अपनी अगली पीढ़ी को संस्कार देंगे, तो हमें इस विषय पर चर्चा करने की आवश्य‍कता नहीं होगी। उन्होंने कहा कि परिवार के सुख दुख मे हमारे बुजुर्ग एक अहम भूमिका निभाते हैं और परिवार की हिम्मत और हौंसला बढ़ाते हैं।

उत्तराखंड की विधानसभा अध्यक्ष के अनुसार जब बच्चा आप से बचपन में अधिकार से चीजें मांगता है, तो बुजुर्गों का भी ये हक है कि वे वृद्धावस्था में अपने बच्चों से अधिकार से चीजें मांगें। उन्होंने कहा कि युवाओं के मन में ये भावना नहीं होनी चाहिए कि मां-बाप मेरे साथ रह रहे हैं, बल्कि ये भावना होनी चाहिए कि मैं मां-बाप के साथ रह रहा हूं।

इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि आधुनिक युग में हम इंटरनेट के माध्यम से हर जानकारी तो कुछ पल में ही हासिल कर सकते हैं, लेकिन अच्छे संस्कार और आचरण हमें परिवार के बुजुर्ग सदस्यों से बढ़कर कोई नहीं दे सकता। उन्होंने कहा कि वृद्धावस्था जीवन का अनिवार्य सत्य है। जो आज युवा है, वह कल बूढ़ा भी होगा, ऐसे में युवाओं को एक बात बड़ी गहराई से समझ लेनी होगी कि उन्हें भी समय के इस चक्र से गुजरना होगा।

प्रो. द्विवेदी के अनुसार मीडिया इन विषयों पर समाज में संवेदना पैदा कर सकता है। समाज में चेतना पैदा करना, लोगों को जागरूक करना और वृद्धों की समस्या का समाधान निकालना मीडिया का काम है। हमें इस बात पर गर्व है कि मीडिया और सिनेमा इन विषयों को संबोधित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आजादी के इस अमृतकाल में 75 सालों की जो उपलब्धि है, वो युवाओं की नहीं, बल्कि बुजुर्गों की उपलब्धि है।

सीनियर सिटीजंस के लिए 14567 हैल्पलाइन नंबर : कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय समाज रक्षा संस्थान के उप निदेशक डॉ. एच.सी.एस.सी. रेड्डी ने बुजुर्गों की मदद के लिए बनाए गए कानूनों और प्रक्रियाओं से लोगों को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि सीनियर सिटीजंस के लिए 14567 हैल्पलाइन नंबर है, लेकिन बहुत कम लोगों को इसकी जानकारी है। इस नंबर पर कॉल करके बुजुर्ग न सिर्फ सूचनाएं ले सकते हैं, बल्कि क्षेत्रीय भाषाओं में भी जानकारी हासिल कर सकते हैं।

राम ने भी ली थी वृद्ध जामवंत से सलाह :  सामाजिक कार्यकर्ता शालीना चतुर्वेदी ने कहा कि जब युवा पीढ़ी अपने बुजुर्गों को उपेक्षा की निगाह से देखने लगती है और उन्हें अपने बुढ़ापे और अकेलेपन से लड़ने के लिए असहाय छोड़ देती है, तब ऐसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। जबकि बुजुर्गों की सेवा करने से आयु, विद्या, यश और बल बढ़ते हैं। रामायाण का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भगवान राम जब समस्याओं से घिरे हुए थे, तो उन्होंने भी वृद्ध जामवंत से सलाह मांगी थी। बुजुर्ग न केवल हमारा मार्गदर्शन कर सकते हैं, बल्कि नई राह भी दिखा सकते हैं।

इस अवसर पर सीनियर सिटीजन वेलफेयर एसोसिएशन, संत नगर की नीलम मैनी ने अपनी संस्था द्वारा किये जा रहे कार्यक्रमों की जानकारी दी। कार्यक्रम में उपस्थित श्रोताओं ने भी सुझाव दिया कि युवाओं को बुजुर्गों के प्रति दायित्व बताया जाए। स्कूली पाठ्यक्रम में इस विषय को शामिल किये जाने की आवश्यकता है। पहले कोई पाठ्यक्रम नहीं था, लेकिन फिर भी बच्चे और युवा बुजुर्गों का सम्मान करते थे।   

कार्यक्रम में स्वागत भाषण पॉलिसी रिसर्च फाउंडेशन के संस्थापक ललित डागर ने दिया। संचालन विवेक कुमार ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन फाउंडेशन के सह-संस्थापक अथर्व राज पांडे ने दिया।