नई दिल्ली (डेस्क) - सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के 2016 में 500 और 1000 के नोटों को बंद करने के फैसले को बरकरार रखा है। कोर्ट ने सरकार के इस कदम को सही ठहराते हुए नोटबंदी के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आर्थिक फैसले को पलटा नहीं जा सकता। साथ ही कोर्ट ने कहा कि सरकार और आरबीआई के बीच छह महीने तक बातचीत हुई थी। 4 जजों ने बहुमत से फैसला लिया है. वहीं एक जज ने नोटबंदी पर सवाल खड़े किए हैं।
सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले में कहा कि इस फैसले को लेने के लिए सरकार और आरबीआई(RBI) के बीच अच्छा तालमेल था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरबीआई के पास नोटबंदी करने की कोई स्वतंत्र शक्ति नहीं है और केंद्र व आरबीआई के बीच परामर्श के बाद ये निर्णय लिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी का फैसला लेते समय अपनाई गई प्रक्रिया में कोई कमी नहीं थी, इसलिए उस अधिसूचना को रद्द करने की कोई जरूरत नहीं है।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने सात दिसंबर को केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को निर्देश दिया था कि वे 2016 के फैसले से संबंधित सारे रिकॉर्ड उनको सौंपे। इसके बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस पीठ में न्यायमूर्ति बी आर गवई, ए एस बोपन्ना, वी रामसुब्रमण्यन और बी वी नागरत्ना भी शामिल हैं। बता दें कि सरकार द्वारा नवंबर 2016 में 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोटों को बंद कर दिया गया था।