कुष्ठ और एचआईवी के प्रति जागरूक किये जा रहे हैं श्रद्धालु



  • गोरखनाथ के प्रसिद्ध खिचड़ी मेले में स्वास्थ्य विभाग की पहल
  • कुष्ठ स्क्रिनिंग और एचआईवी जांच की सुविधा भी उपलब्ध

गोरखपुर - गोरखनाथ के प्रसिद्ध खिचड़ी मेले में कुष्ठ रोग और एचआईवी संक्रमण के बारे में भी श्रद्धालुओं को जागरूक किया जा रहा है । उन्हें बीमारी के लक्षणों व बचाव से सम्बन्धित प्रचार सामग्री दी जा रही है और बताया जा रहा है कि दोनों बीमारियों के मरीजों को सम्मान के साथ जीने का हक है । इनका उपचार और परामर्श भी सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है। प्रचार प्रसार के लिए लगाए गए स्टॉल पर ही कुष्ठ स्क्रिनिंग और एचआईवी जांच की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है।

एड्स नियंत्रण और कुष्ठ निवारण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ गणेश प्रसाद यादव ने बताया कि 60 से अधिक एचआईवी सैम्पल भी लिये गये, हांलाकि सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई है । जिन लोगों में कुष्ठ या एचआईवी संक्रमण के लक्षण दिखें वह गोरखनाथ मेले में आकर इन स्टॉल्स पर जांच करवा सकते हैं । जांच के बाद अगर किसी में बीमारी की पुष्टि होती है तो उसे उपचार की सरकारी व्यवस्था से जोड़ा जाएगा । एचआईवी को ठीक तो नहीं किया जा सकता है लेकिन इसे एड्स की अवस्था तक पहुंचने की समयावधि को बढ़ाया जा सकता है । आवश्यक सावधानियों और परामर्श के जरिये इसके प्रसार को रोका जा सकता है और मरीज लम्बा एवं सम्मानजनक जीवन जी सकता है। समय रहते पहचान हो जाने से कुष्ठ का इलाज छह से बारह माह की दवा में संभव है। कुष्ठ रोग सम्बन्धित स्टॉल इस कार्यक्रम के कंसल्टेंट डॉ भोला गुप्ता की देखरेख में जबकि एचआईवी सम्बन्धित स्टॉल सिद्धार्थ राय की देखरेख में संचालित किया जा रहा है ।

शहर के राप्तीनगर चतुर्थ फेज निवासी 38 वर्षीय विकास ने बताया कि मेले में उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के स्टॉल्स का भ्रमण किया है । कुष्ठ और एचआईवी के पम्पलेट्स बांटे जा रहे हैं । लोगों से कहा जा रहा है कि अगर उनके परिवार में या जान पहचान में किसी में इन बीमारियों के लक्षण हैं तो मेले में या फिर आशा कार्यकर्ता की मदद से जांच व इलाज की सुविधा प्राप्त की जा सकती है । एचआईवी से बचाव के तरीके भी बताए जा रहे हैं । यह काफी अच्छी पहल है ।

सुन्न दाग धब्बे हों तो हो जाएं सतर्क : डॉ गणेश प्रसाद यादव ने बताया कि अगर शरीर पर कहीं भी चमड़े के रंग से हल्के रंग के सुन्न दाग धब्बे हों तो यह कुष्ठ हो सकता है । अगर यह लक्षण दिखते ही तुरंत जांच करवा कर इलाज शुरू कराया जाए तो छह महीने की मल्टी ड्रग थेरेपी (एमडीटी) से ठीक हो सकते हैं । शरीर में दाग धब्बों की संख्या जब पांच या इससे कम होती है और नसों में कोई दिक्कत नहीं होती हैं तो ऐसे रोगी को पासी बेसिलाई (पीबी) कुष्ठ रोगी कहा जाता है जिसका इलाज छह माह में ही हो जाता है । अगर शरीर पर दाग धब्बों की संख्या पांच से अधिक है और नसें भी प्रभावित हुई हों तो यह मल्टी बेसिलाई (एमबी) कुष्ठ रोग होता है और इसका भी इलाज बारह महीने में हो जाता है । इन लक्षणों को नजरअंदाज करने पर दिव्यांगता का खतरा बढ़ जाता है और जीवन एक बोझ बन कर रह जाता है ।

एचआईवी एड्स के लक्षणों को पहचानें : नोडल अधिकारी ने बताया कि एचआईवी संक्रमित व्यक्ति को एड्स की अवस्था तक पहुंचने में पांच से दस साल का समय लग जाता है। इस बीच समय से इसके लक्षणों की पहचान कर दवाओं के नियमित सेवन, डॉक्टरी सलाह और खुद की देखभाल से इस समयावधि को बढ़ाया जा सकता है । एड्स के प्रमुख लक्षणों में वजन घटना, एक महीने से अधिक बुखार आना और एक महीने से अधिक दस्त रहना शामिल हैं। लगातार खांसी, चर्म रोग, मुंह एवं गले में छाले होना, लगातार सर्दी एवं जुकाम, लसिका ग्रंथियों में सूजन व गिल्टी होना, याददाश्त खोना, मानसिक क्षमता कम होना और शारीरिक शक्ति का कम होना इसके सामान्य लक्षण हैं ।