खुशहाल परिवार के लिए दो बच्चों के बाद बस...



  • मिशन परिवार विकास के तहत जागरूकता पर दिया जा रहा बल  
  • “प्रदेश में करीब 51 लाख महिलाएं नहीं बढ़ाना चाहती
  • परिवार पर परिवार नियोजन के साधन भी नहीं अपना रहीं”  

लखनऊ - "शादी के तुरंत बाद ही हमने आपस में बैठकर तय कर लिया कि बच्चे उतने ही अच्छे जिन्हें पढ़ा-लिखाकर योग्य बनाया जा सके और बच्चे कम रहेंगे तो पत्नी का स्वास्थ्य भी बेहतर रहेगा। इसीलिए हम और हमारी पत्नी ने दो बच्चों के बाद कहा ...अब बस ...।“  यह कहना है जागरूक दंपति दिनेश कुमार सिंह और नंदिनी सिंह का, जो समाज के लिए एक मिसाल हैं। यह बहराइच जनपद के मिहींपुरवा ब्लॉक के रहने वाले हैं, जिनके दो बेटे हैं।

दिनेश कुमार ने बच्चों की अच्छी शिक्षा और पत्नी के बेहतर स्वास्थ्य के लिए दो बच्चों के बाद यह निर्णय लिया कि अब परिवार का आकार नहीं बढ़ाना है और अनचाहे गर्भ की चिंता से मुक्त रहने के लिए परिवार नियोजन का साधन अपनाना है। इसके लिए पहले तो गाँव की आशा से मिलकर उपलब्ध परिवार नियोजन साधनों के बारे में जाना। उसके बाद पत्नी की सहमति से पुरुष नसबंदी अपनाया। उनके इस निर्णय में उनकी पत्नी ने पूरा साथ दिया और अब दोनों इस निर्णय से बेहद खुश हैं। दिनेश का कहना है- “पुरुष नसबंदी इसलिए करवायी क्योंकि सोचा क्या सब कुछ एक औरत ही कर सकती है। आदमी की क्या कोई ज़िम्मेदारी नही होती है? आदमी का भी फर्ज होता है कि वह पत्नी की खुशियों के लिए आगे आए और कुछ करे तो मैंने नसबंदी करवाने की सोची।“  दूसरी ओर नंदिनी का मानना है कि "सब लोग कहते हैं कि सब विधि का विधान है लेकिन ऐसा कुछ नहीं है... अपनी खुशियाँ अपने हाथ में होती हैं।"

इन दम्पति की तरह प्रदेश में बहुत से दम्पति परिवार पूरा होने पर कोई न कोई बेहतर परिवार नियोजन का साधन चुनना चाहते हैं लेकिन किसी कारणवश नहीं चुन पाते हैं और बड़े परिवार का बोझ उठाने को मजबूर हो जाते हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (एनएफ़एचएस 5) 2019-21 के आंकड़े के अनुसार उत्तर प्रदेश में परिवार नियोजन की अपूरित मांग 12.9% है यानि जनसंख्या स्तर पर देखें तो पता चलता है कि 51 लाख महिलाएं ऐसी हैं जो अभी या भविष्य में परिवार का आकार बढ़ाना नहीं चाहती हैं, लेकिन परिवार नियोजन का साधन भी उपयोग नहीं कर रही हैं। प्रदेश की जनसंख्या नीति 2021-2030 के अनुसार परिवार नियोजन के लक्ष्य को आधुनिक साधनों द्वारा 75 प्रतिशत की मांग संतुष्टि को प्राप्त करने के लिए वर्ष 2025 तक अपूरित मांग को 12.9 % से 5 % तक लाना होगा। ऐसे में यह अति आवश्यक है कि लोगों को परिवार नियोजन साधन अपनाने के लिए प्रेरित किया जाये। इसी को लेकर परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत राष्ट्रीय स्वास्थ मिशन, उत्तर प्रदेश द्वारा मिशन परिवार विकास अभियान का शुभारंभ सभी 75 जनपदो में 18 जनवरी से किया गया है जो 31 जनवरी तक चलेगा। इसके तहत लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि परिवार की बेहतरी के लिए उन्हें सही निर्णय लेना है और आगे आकर परिवार नियोजन को अपनाना है। राष्ट्रीय स्वास्थ मिशन द्वारा इस पखवाड़े में समुदाय के उन जागरूक दम्पति को आगे लाया गया है, जिन्होंने अपने और परिवार की खुशियों के लिए सही समय पर सही निर्णय लिया और परिवार नियोजित किया। इसी में शामिल हैं दिनेश कुमार सिंह और नन्दिनी सिंह।