टीबी को दे मात चैम्पियन बना बैंक अधिकारी,दो साल के इलाज के बाद अब पूरी तरह स्वस्थ



लखनऊ, 15 सितम्बर-2019 -  टीबी यानि क्षय रोग केवल गरीबों की बीमारी नहीं बल्कि यह किसी को भी हो सकती है, लेकिन इससे घबराने की कतई जरूरत नहीं है क्योंकि इसका इलाज पूरी तरह से संभव है। बस जरूरत है तो सिर्फ मजबूत इच्छा शक्ति और नियमित सरकारी दवा के सेवन की। यह कहना है दो साल के कड़े इलाज के बाद टीबी से उबर चुके ओरियंटल बैंक ऑफ कामर्स के अधिकारी 26 वर्षीय विकास अग्रवाल का। यह बात उन्होने लखनऊ के एक होटल में रीच (रिसोर्स ग्रुप फॉर एजूकेशन एंड एडवोकेसी फॉर कम्यूनिटी हेल्थ) संस्था द्वारा आयोजित दो दिवसीय उत्तर प्रदेश टीबी चैम्पियंस मेंटरशिप प्रोग्राम के दौरान कही। 

    सन 2018 में टीबी से जंग जीतने के बाद अब इस बीमारी से लड़ रहे लोगों को हौसला देने के साथ ही उससे उबरने में मदद करने के ओरियंटल बैंक ऑफ कामर्स की रुपईडीहा (बहराइच) शाखा के अधिकारी विकास के प्रयास को कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्य क्षय रोग अधिकारी डॉ॰ संतोष गुप्ता ने तारीफ की और प्रमाणपत्र देकर सम्मानित भी किया। डॉ॰ गुप्ता ने इस दौरान उपस्थित करीब 24 अन्य टीबी चैम्पियन और मेंटर को भी प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया। इस मौके पर डॉ॰ गुप्ता ने कहा कि सभी टीबी चैम्पियन को ट्रीटमेंट सपोर्टर बनाया जाएगा क्योंकि वह राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में बहुत ही सहायक साबित होंगे। डॉ॰ गुप्ता ने रीच द्वारा श्रम विभाग और विधायकों के साथ मिलकर टीबी मरीजों के लिए किए जा रहे कार्यों की तारीफ की। उन्होने संस्था द्वारा प्रदेश के 12 जिलों में किए जा रहे इस तरह के प्रयासों को अन्य जिलों में भी विस्तारित करने की अपील की। इस पर संस्था की प्रोजेक्ट डाइरेक्टर स्मृति कुमार और यूपी को आर्डिनेटर मुक्ता शर्मा ने सहमति भी जताई। 

    कार्यक्रम के दौरान टीबी से जंग जीतने वालों ने अपना अनुभव भी साझा किया। कई चैम्पियन ने शुरुआत में प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराने से सुधार के बजाय बीमारी के और बिगड़ने के अनुभव को साझा करते हुए लोगों से अपील की कि इसका सही और नि: शुल्क इलाज सिर्फ सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है। इसके लिए मरीजों को घर पर ही दवा मुहैया कराने के साथ ही अपने सामने ही दवा खिलाने का काम किया जा रहा है। इसमें टीबी चैम्पियन के साथ ही आशा कार्यकर्ता भी मदद कर रही हैं। इलाज के दौरान सरकार निक्षय पोषण योजना के तहत 500 रुपए प्रति माह की आर्थिक मदद भी करती है। इसलिए टीबी के लक्षण यानि दो हफ्ते से अधिक खांसी, बुखार, भूख न लगना, वजन का गिरना और छाती में दर्द की शिकायत हो तो सरकारी अस्पताल में जांच कराएं। सीबीनाट मशीन से जांच रिपोर्ट दो घंटे में आ जाती है। टीबी होने की पुष्टि के बाद तत्काल इलाज शुरू कर दिया जाता है और नियमित दवा के साथ खानपान का ख्याल रखने से जल्द ही इस बीमारी पर जीत पायी जा सकती है। इस दौरान धूम्रपान और शराब व नशीली दवाओं का सेवन कदापि न करें। तनाव पर नियंत्रण रखें और संतुलित आहार का सेवन करें।   

    कार्यक्रम में अन्य सहयोगी संस्थाओं सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफॉर), यूनाटेड स्टेट्स एजेंसी इन्टरनेशनल डेवलवमेंट (यूएसएड), ममता, ग्लोवल हेल्थ सर्विसेज (जीएचएस) सीएचआरआई आदि के प्रतिनिधियों ने भी शिरकत की। रविवार को कार्यक्रम का समापन हो गया।