टीबी समाप्त करने की राह पर ट्रक चालकों को टीबी मुक्त करने का चलेगा अभियान



  • मेयर ने “नयी दिशा” प्रोजेक्ट का किया शुभारंभ
  • ढाबों पर ट्रक चालकों को टीबी के प्रति किया जाएगा जागरूक

लखनऊ, 11 दिसम्बर 2019- ट्रक ड्राइवर्स व माइग्रेटेड लेबर्स में टीबी की पहचान करना, उन्हें इलाज मुहैया कराकर टीबी मुक्त करने के उद्देश्य से जर्मन लेप्रोसी ऐंड टीबी रिलीफ एसोसिएशन – इंडिया द्वारा “नयी दिशा” प्रोजेक्ट का आज शुभारंभ हुआ | इसका शुभारंभ बुधवार को शहर के एक होटल में मेयर संयुक्ता भाटिया द्वारा किया गया | इस अवसर पर  संयुक्ता भाटिया ने कहा- प्रधानमन्त्री व मुख्यमन्त्री दोनों का ही सपना है कि देश व प्रदेश सन 2025 तक टीबी से मुक्त हो । उन्होने कहा -हमारे जिले में बहुत से ऐसे मरीज हैं जिन्हें यह पता ही नहीं है कि वह इस बीमारी से ग्रस्त हैं। सरकार द्वारा रोगियों की पहचान करने के लिये कैम्प लगाये जा रहे हैं । यह प्रोजेक्ट इस दिशा में एक कदम है | सरकार, विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों व जनसहभागिता के सहयोग से ही हम अपने जिले व सूबे को टीबी से मुक्त कर सकते हैं |

इस अवसर पर उप राज्य क्षय रोग अधिकारी डा. ऋषी सक्सेना ने कहा – ट्रक ड्राइवर्स वह जहां से चलते हैं और जहां उनका गंतव्य स्थान है उन सभी जगहों पर ट्रक ड्राइवर्स में टीबी की  जांच व इलाज सुनिश्चित किया किया जाना चाहिए | यह सभी सुविधायेँ जिला क्षय रोग अधिकारी के सुपरविजन में दी जानी चाहिए | सभी ट्रक ड्राइवर्स को इस बात के लिए जागरूक करना चाहिए कि वह लंबे समय तक आने वाली खांसी व बुखार को नज़रअंदाज़ न करें | टीबी की जांच कराएं व यदि रिपोर्ट पॉज़िटिव आती है तो इसका इलाज कराएं | इससे वह न केवल स्वयं को सुरक्षित रख सकते हैं बल्कि अपने परिवार व समुदाय को भी सुरक्षित रख सकते हैं |

इस अवसर पर मुख्य चिकित्साधिकारी डा. नरेंद्र अग्रवाल ने कहा - हम अपने जिले को टीबी मुक्त करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं और आज यह एक जनांदोलन बन चुका है | विधायक नीरज बोरा द्वारा 2 गांव टीबी मुक्त करने के उद्देश्य से गोद लिये गये थे और यह दोनो गांव टीबी मुक्त घोषित किये जा चुके हैं | राज्यपाल द्वारा टीबी से ग्रसित बच्चों को गोद लेने की मुहिम शुरु की गयी है जिसके अन्तर्गत 18 साल से कम आयु के लगभग 700 बच्चों को विभिन्न लोगों के द्वारा गोद लिया जा चुका है । राज्यपाल ने स्वयं 15 बच्चों को गोद लिया है ।

इस अवसर पर जिला क्षय रोग अधिकारी डा. बी.के. सिंह ने बताया-टीबी का इलाज पूरी तरह सम्भव है । एक स्वस्थ व्यक्ति को पूरे जीवन में 10%तक टीबी होने की सम्भावना होती है जबकि एचआइवी से ग्रस्त  मरीज में टीबी होने की सम्भावना  प्रति वर्ष 7 से 10 प्रतिशत अधिक होती है | जहां डायबिटीज  के मरीज को   टीबी  होने की सम्भावना 30% अधिक होती है वहीं  कुपोषित बच्चों में भी टीबी होने की सम्भावना अधिक होती है ।जागरूकता के द्वारा हम टीबी से बच सकते हैं । टीबी हवा से फैलती है।  टीबी कहीं भी, कभी भी और किसी को भी हो सकती है। डा.सिंह ने कहा- जिले में लगभग 22,500 टीबी के मरीज नोटिफाई किये जा चुके है। सभी को इलाज पर रखा जा चुका है । जिले मे 4 सीबी नाट मशीनें हैं । टीबी मरीजों की मॉनीटरिंग सोफ्ट्वयेर के माध्यम से हो रही है ।

जर्मन लेप्रोसी  ऐंड टीबी रिलीफ एसोसिएशन – इंडिया  के स्वास्थ्य निदेशक  डा. विवेक लाल ने कहा ट्रक ड्राइवर्स देश की जीवन रेखा हैं उनका स्वस्थ रहना बहुत ही आवश्यक है । वह एक जगह से दूसरी जगह निरंतर जाते हैं | हमें उन्हें उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना आवश्यक है | हमने इस प्रोजेक्ट का स्लोगन ही रखा है “ ऑन द रोड टू एंड टीबी” | यह प्रोजेक्ट पहले दिल्ली में हमने सरकार के साथ मिलकर किया है | वहाँ हमने देखा कि दिल्ली से सबसे ज्यादा ट्रक ड्राइवर्स लखनऊ, आगरा व जयपुर जाते हैं | इसलिए हमने लखनऊ से शुरुआत की है | हम उन सभी स्थानों जैसे ढाबे , जहां ट्रक ड्राइवर्स रुकते हैं अपना कुछ समय बिताते हैं वहाँ पर टीबी से संबन्धित सूचना, शिक्षा व संचार (आईईसी) सामग्री उलब्ध कराएंगे ताकि वह ज्यादा से ज्यादा जागरूक हो सकें | साथ ही टीबी की जांच व इलाज भी किया जाएगा | उन्हें इस बात की भी जानकारी दी जाएगी कि टीबी की जांच, इलाज व फॉलो अप मुफ्त है साथ ही इलाज के दौरान पोषण के लिए 500 रुपए प्रतिमाह सरकार द्वारा दिये जाते हैं, जो कि सीधे उनके खाते में आएंगे |

इस अवसर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मेडिकल कंसल्टेंट डॉ. उमेश त्रिपाठी, ट्रांसपोर्ट एसोसिएशान के महामंत्री पंकज शुक्ला, राष्ट्रीय पुनरीक्षित क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम के कर्मचारी व जर्मन लेप्रोसी  ऐंड टीबी रिलीफ एसोसिएशन – इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. विवेक श्रीवास्तव सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थ्ति थे |