- मरीजों को स्वास्थ्य सुविधाओं से जोड़ने में निभा रहे अहम भूमिका
- स्वास्थ्य विभाग ने सीफार के सहयोग से आयोजित किया एमएमडीपी प्रशिक्षण
लखनऊ - स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफॉर) के सहयोग से सोमवार को बक्शी का तालाब ब्लॉक के कठवारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) पर फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को रुग्णता प्रबंधन एवं दिव्यांगता रोकथाम (एमएमडीपी) के बारे में प्रशिक्षित कियागया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में खास बात यह रही की संभावित फाइलेरिया मरीजों को स्क्रीनिंग के लिए लाने में आशा कार्यकर्ताओं का सहयोग खुद फाइलेरिया रोगी नेटवर्क के सदस्यों ने किया।
इस मौके पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) बक्शी का तालाब के चिकित्सा अधीक्षक डा.जे.पी.सिंह ने पूर्व में एमएमडीपी का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके फ़ाइलेरिया मरीजों का हालचाल जाना। इस दौरान अनुभव साझा करते हुए सोनपाल ने बताया कि प्रशिक्षण में मिली सीख से उनको बहुत फायदा हुआ है। फाइलेरिया ग्रसित अंग की समुचित देखभाल और व्यायाम से हुए लाभ के बारे में बताते हुए कहा- अब पहले जैसे बुखार नहीं आता| चंद्रा ने बताया- अब नेटवर्क की मीटिंग या किसी जागरूकता कार्यक्रम में जाने में कोई परेशानी नहीं होती। कुछ लोग पूछ भी लेते हैं कि वहां जाने से क्या फायदा होगा तो बताते हैं कि पहले की अपेक्षा अब आराम मिलता है तभी हम जाते हैं |इसके अलावा दूसरों के आराम का भी तो ख्याल रखना है।
सीएचसी अधीक्षक ने फ़ाइलेरिया प्रभावित मरीजों से कहा-किसी अन्य मर्ज की दवा की जरूरत तो तो सीएचसी पर उपलब्ध हैं, उसका लाभ उठा सकते हैं। इस पर प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके फाइलेरिया ग्रसित मनोरमा और लालता प्रसाद ने कहा कि हमें अब पूरा आराम है। चिकित्सा अधीक्षक ने पिछले माह आईडीए अभियान में जागरूकता फैलाने में सहयोग के लिए उन सभी के प्रति धन्यवाद भी ज्ञापित किया।
चिकित्सा अधीक्षक ने नए मरीजों को बताया कि फाइलेरिया को हाथीपाँव भी कहते हैं। यह मच्छर के काटने से होता है। यदि किसी को यह बीमारी हो गई तो वह ठीक नहीं होती है केवल प्रबंधन ही किया जा सकता है परंतु फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन कर इससे बचा जरूरजा सकता है।
बेसिक हेल्थ वर्कर अरविन्द कुमार सिंह ने पीएचसी प्रभारी डा.अवधेश की निगरानी में फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को फाइलेरिया प्रभावित अंगों की देखरेख, सफाई और व्यायाम करने के बारे में प्रदर्शन करके बताया। उन्होंने बताया कि देखभाल के अलावा घर और आस-पास मच्छरजनित परिस्थितियाँ उत्पन्न न होने दें। मच्छरदानी लगाकर सोएं। मच्छररोधी क्रीम या अगरबत्ती का प्रयोग करें। पानी इकट्ठा है तो उसमें जले हुए मोबिल ऑयल या मिट्टी के तेल की बूंदें डाल दें।
उन्होंने कहा कि फाइलेरिया प्रभावित अंगों की समुचित देखभाल और नियमित व्यायाम से सूजन में आराम मिलता है। इसलिए यहाँ पर फाइलेरिया प्रभावित अंगों के देखभाल और व्यायाम के जो भी तरीके बताए जा रहे हैं, फाइलेरिया मरीज उनका नियमित रूप से अभ्यास जरूर करें और उन्हें अमल में लायेँ।
इस मौके पर बेसिक हेल्थ वर्कर, फार्मासिस्ट और सीफॉर के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।