अभियान में मिले 301 नए टीबी मरीज



  • जिले में 18 फरवरी से तीन मार्च तक चला सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान

लखनऊ - राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जनपद में गत 18 फरवरी से तीन मार्च तक सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान (एसीएफ)चलाया गया। इसके तहत 3306 संभावित मरीजों के बलगम , एक्स-रे और अन्य जांच की गयी। इसमें 301 क्षय रोगियों में टीबी की पुष्टि हुई, जिनमें 154 फेफडों की टीबी और 147 अन्य अंगों की टीबी से ग्रसित मिले। निक्षय पोर्टल पर पंजीकरण कर सभी का इलाज शुरू कर दिया गया है। यह जानकारी जिला क्षय रोग अधिकारी डा.आर.वी. सिंह ने दी।

जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि एक टीबी मरीज 15 अन्य स्वस्थ व्यक्तियों को टीबी से संक्रमित कर सकता है। इस तरह से अभियान के दौरान ढूँढे गए 301 मरीज अनजाने में लगभग 4500 स्वस्थ व्यक्तियों को संक्रमित कर सकते थे। इसलिए लोगों को यदि टीबी के लक्षण नजर आयें तो  तुरंत ही स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर जांच और इलाज कराएं। इसके साथ ही यदि समय से जांच और इलाज शुरू हो जाएगा तो संक्रमण की संभावना कम होगी और जांच, इलाज और पोषण के भत्ते पर होने वाली खर्च लागत भी नहीं बढ़ेगी और लोगों को शारीरिक और मानसिक रूप से समस्या का सामना भी नहीं करना पड़ेगा।

सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान में 11.28 लाख आबादी को आच्छादित किए जाने का लक्ष्य था जिसके सापेक्ष 11.51 लाख आबादी तक पहुंचकर संभावित क्षय रोगियों की स्क्रीनिंग और पहचान की गई। एससीएफ अभियान उन क्षय रोगियों की पहचान के लिए महत्वपूर्ण है जिन्हें  पता ही नहीं होता है कि वह क्षय रोग से ग्रसित हैं। एसीएफ का उद्देश्य भी यही है कि आबादी में छिपे हुए  क्षय रोगियों की पहचान कर उनको इलाज पर लाना । यह अभियान अनाथालय, वृद्धाश्रम, नारी निकेतन, बाल संरक्षण गृह, नवोदय विद्यालय, मदरसा, फल मंडी,  ईंट भट्ठे, स्टोन क्रशर,  लेबर मार्केट, साप्ताहिक बाजारों में भी चलाया गया।

जिला कार्यक्रम समन्वयक दिलशाद हुसैन ने कहा कि टीबी के लक्षणों को पहचानना बहुत जरूरी है। यदि किसी को दो हफ्ते से ज्यादा खाँसी आए, शाम के समय बुखार आए, सीने में दर्द हो, थकान लगे, बलगम में खून आये, रात में पसीना आता हो या लगातार वजन घट रहा हो या लंबे समय तक शरीर के किसी भी अंग में दर्द रहे तो पास के स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर जांच कराएं। स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच और इलाज की पूरी सुविधा उपलब्ध है। इसके अलावा यह भी जानना जरूरी है कि केवल फेफड़ों की टीबी संक्रामक होती है। इसके अलावा नाखून एवं बालों को छोड़कर टीबी किसी भी अंग में हो सकती है।