भारत टीबी मुक्त बनने की ओर अग्रसर : डॉ. सूर्यकान्त



विश्व क्षय रोग दिवस (24 मार्च) पर विशेष लेख

इस वक्त देश को टीबी मुक्त बनाने को लेकर एक जनांदोलन की स्थिति तैयार होती साफ़ देखी जा सकती है। प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक इस मुहिम में जुटे हैं। जनांदोलन को धार देने का काम कर रही है टीबी को ख़त्म करने की केंद्र और प्रदेश सरकार की दृढ़ इच्छा शक्ति। स्वास्थ्य विभाग की भी हरसम्भव कोशिश है कि आमजन को इस गंभीर बीमारी से जल्द से जल्द मुक्ति दिलाई जाए।

देश को टीबी मुक्त बनाने को लेकर जहाँ जांच की गुणवत्ता पर फोकस किया जा रहा है वहीँ घर के नजदीक ही जाँच और उपचार की सुविधा मुहैया करायी जा रही है।  प्रयोगशाला नेटवर्क का विस्तार किया जा रहा है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में 166 सीबीनाट, 486 ट्रूनाट और 10 कल्चर प्रयोगशालाओं के जरिये टीबी की जाँच हो रही है। ड्रग रेजिस्टेंट क्षय रोगियों के लिए नई दवा बीडाक्यूलीन और डेलामेनिड आधारित आल ओरल रेजीमिन शुरू की गयी है। उप्र में 24 नोडल ड्रग रेसिस्टेंट सेन्टर व 46 ड्रग रेसिस्टेंट टीबी सेन्टर कार्यरत हैं। वर्ष 2022 में 11,721 डीआरटीबी रोगी उपचार पर रखे गए। टीबी मरीजों की शीघ्र जांच और पहचान के लिए ही प्रदेश की स्वास्थ्य इकाइयों पर हर माह की 15 तारीख को उप्र के मुख्यमंत्री के आहृवान पर एकीकृत निक्षय दिवस मनाया जा रहा है। दिसम्बर 2022 में शुरू हुई इस पहल का उद्देश्य संभावित क्षय रोगियों की पहचान कर उनका इलाज शुरू करना, टीबी का इलाज छोड़ चुके मरीजों को फिर से उपचार पर लाना और निक्षय पोषण योजना के लिए बैंक का विवरण अपडेट करना है। इसके तहत दिसम्बर 2022 में 911, जनवरी 2023 में 1136 और फरवरी में 844 क्षय रोगी चिन्हित किये गए। जाँच में तेजी लाने के लिए ही आयुष्मान भारत-हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर से निकटतम परीक्षण केंद्र तक सैम्पल पहुंचाने के लिए सैम्पल ट्रांसपोर्टर की मानदेय के आधार पर तैनाती की जा रही है। इससे बलगम कलेक्शन के बाद जाँच रिपोर्ट जल्दी से जल्दी आने की राह आसान बन सकेगी।

इन्हीं प्रयासों का नतीजा है कि 50 लाख से अधिक आबादी वाले राज्यों की श्रेणी में वर्ष 2020 में टीबी नियंत्रण में उत्तर प्रदेश की रैंकिंग 18वीं थी जो वर्ष 2021 में घटकर 13वीं पर पहुँच गयी, जो एक बड़ी उपलब्धि है। इसके साथ ही वर्ष 2022 में टीबी नोटिफिकेशन के 5.50 लाख लक्ष्य के सापेक्ष करीब 5.22 लाख (95 प्रतिशत) क्षय रोगी निक्षय पोर्टल पर पंजीकृत किये गए। इनमें सरकारी क्षेत्र में करीब 3.73 लाख (102 प्रतिशत) और निजी क्षेत्र में करीब 1.49 लाख (80 प्रतिशत) क्षय रोगी पंजीकृत किये गए। इस साल एक जनवरी से 15 फरवरी 2023 तक 54,563 क्षय रोगी पंजीकृत किये गए। इनमें सरकारी क्षेत्र में 38,288 और निजी क्षेत्र में 16,275 क्षय रोगियों का नोटिफिकेशन हुआ।

निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत टीबी मरीजों को इलाज के दौरान 500 रुपये हर माह पोषण के लिए दिए जाते हैं, ताकि वह जल्दी स्वस्थ बन सकें। वर्ष 2018 में शुरू हुई इस योजना के तहत अब तक करीब 15.56 लाख क्षय रोगियों को करीब 420.3  करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। यह राशि मरीज के सीधे बैंक खाते में भेजी जाती है। प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत के अभियान के तहत निक्षय मित्रों को चिन्हित कर टीबी मरीजों को गोद लेकर सामुदायिक सहायता प्रदान की जा रही है। सामुदायिक सहभागिता में सुधार के लिए प्रदेश में 2351 टीबी चैम्पियन (टीबी से स्वस्थ हुए रोगी) की पहचान कर क्षय उन्मूलन कार्यक्रम में सहयोग लिया जा रहा है। नवनिर्वाचित ग्राम प्रधानों को सितम्बर 2021 में पंचायती राज विभाग ने क्षय रोग माड्यूल विकसित कर क्षय रोग के बारे में प्रशिक्षित किया गया, जो अपने गाँव को टीबी मुक्त बनाने में जुटे हैं। क्षय रोगियों की शीघ्र पहचान के उद्देश्य से प्रदेश में 20 फरवरी से पांच मार्च तक सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान चलाया गया, जिसमें आठ हजार से अधिक टीबी मरीजों की पहचान की गयी।

देश को क्षय रोग मुक्त बनाने पर मंथन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विश्व क्षय रोग दिवस पर 24 मार्च को वाराणसी में एक राष्ट्रीय कार्यक्रम होने जा रहा है। इसमें देश के विशेषज्ञ और रणनीतिकार जुटेंगे और इस बीमारी से निपटने के और कारगर उपाय पर विचार-विमर्श करेंगे। इसके अलावा जांच व इलाज को और बेहतर बनाने के साथ ही कुछ नई पहल जैसे- टीबी मुक्त ग्राम पंचायत की पहल, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ को टीबी मुक्त बनाने  को लेकर इंडियन आयल कारपोरेशन लिमिटेड की पहल, परिवार आधारित देखभाल, एवं घर - घर सक्रिय टीबी रोगी खोज अभियान की शुरुआत हो चुकी है। ज्ञात रहे कि रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग केजीएमयू नवम्बर 2018 में ’’टीबी मुक्त लखनऊ अभियान’’ शुरू कर चुका है। इसके साथ ही एक गांव व एक स्लम एरिया को टीबी मुक्त करने के लिए गोद लिया गया है। विभाग ने 100 से अधिक टीबी के रोगी भी टीबी मुक्त करने के लिए गोद लिए हैं। रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग, केजीएमयू को हाल ही में इन्टरनेशल यूनियन अगेंस्ट टीबी एण्ड लंग डिजीज ने ड्रग रेजिस्टेन्ट टीबी के लिए सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस चुना है। इससे भी उप्र में टीबी को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।

इस तरह टीबी नोटिफिकेशन, डिजिटल निक्षय पोर्टल, बढ़ता हुआ स्वास्थ्य ढ़ांचा, जांच के लिए भारत में निर्मित ट्रूनाट मशीनों की बड़े पैमाने पर उपलब्धता, सक्रिय टीबी रोगी खोज अभियान, निःशुल्क टीबी उपचार के साथ उपचार के दौरान 500 रूपये प्रतिमाह टीबी रोगियों के बैंक खाते में पोषण भत्ता के रूप में ट्रांसफर, प्राइवेट चिकित्सकों को राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम में सक्रिय रूप से जोड़ना, टीबी रोगियों को गोद लेना, टीबी की बीमारी से ठीक हुए लोगों को टीबी चैम्पियन घोषित करना और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि क्षय उन्मूलन को जनांदोलन का रूप देना, इन कार्यक्रमों से यह प्रतीत होता है कि जल्दी ही भारत टीबी मुक्त देश बनेगा।

 

(लेखक विभागाध्यक्ष, रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग, केजीएमयू - लखनऊ एवं चेयरमैन, नार्थ जोन टास्क फ़ोर्स, राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम हैं )