बच्चों को सुपोषित बनाने को चल रहा संभव अभियान



  • कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चों का रखा जा रहा खास ख्याल
  • पोषण पुनर्वास केंद्र भेजकर भी सुपोषित बनाने के प्रयास

लखनऊ - जनपद में बच्चों को सुपोषित बनाने के लिए जुलाई से सितम्बर तक  संभव अभियान चलाया जा रहा है | इससे पहले जून में वजन सप्ताह का आयोजन किया गया था, जिसके तहत शून्य  से पांच  साल तक के बच्चों का  वजन और लम्बाई लेकर कम वजन वाले बच्चे, गंभीर कुपोषित (सैम) और मध्यम कुपोषित बच्चों (मैम) की पहचान की गयी थी |

जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) अखिलेन्द्र दुबे का कहना है-  वजन सप्ताह के दौरान  218 बच्चे सैम,11,341 बच्चे मैम और 3,331 बच्चे गंभीर कम वजन के चिन्हित किये गए | इन बच्चों की लगातार निगरानी की जा रही है | स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से गंभीर कुपोषण से ग्रसित ऐसे बच्चों  को पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में भर्ती कराया जा रहा है, जिनको  इसकी आवश्यकता है | यहाँ पर बच्चे बाल रोग विशेषज्ञ की निगरानी में 14 दिन तक रहेंगे | वजन में अपेक्षित वृद्धि होने पर वह 14 दिन बाद घर जा सकेंगे | इस दौरान एनआरसी में पोषण विशेषज्ञ बच्चों को पोषणयुक्त भोजन देंगे | अभी तक एक  बच्चा  आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के द्वारा एनआरसी में भर्ती किया गया है |

12 से 25 जुलाई तक चलने वाले दस्तक अभियान के दौरान  भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आशा और एएनएम् के साथ घर-घर जाकर कुपोषित बच्चों की सूची बना रही हैं | इसके अलावा वजन सप्ताह के दौरान चिन्हित सैम, मैम व गंभीर कम वजन के बच्चों और मध्यम कम वजन के बच्चों का भी फॉलो अप कर उनके परिवार के सदस्यों को बच्चों के सही खान पान और वृद्धि निगरानी के बारे में भी बता रही हैं |  परिवारों को ड्राई राशन भी वितरित किया जा रहा है |

बलरामपुर अस्पताल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. देवेंद्र ने बताया कि पांच वर्ष तक के वह बच्चे जो  अति कुपोषण के साथ गंभीर बीमारियों से ग्रसित होते हैं उनके इलाज के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा पूरे सूबे के जिला अस्पतालों  में एनआरसी स्थापित किए गए हैं | लखनऊ में 10 बेड का एनआरसी है | यहाँ आने वाले बच्चों को, उनकी आयु  को ध्यान में रखते हुये एनआरसी की गाइडलाइन के अनुसार पूरक आहार दिया जाता है | केंद्र पर बच्चे की माँ या उसके किसी एक देखभालकर्त्ता को 14  दिन तक भोजन और 50 रुपए प्रतिदिन तथा बच्चे के 4 फॉलो अप के लिए 140 रुपए प्रति फॉलो अप दिये जाते हैं | यह राशि सीधे उनके खाते में जाती है |

कोरोना काल में एनआरसी में कोविड -19 के बचाव के सारे प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है | दो  गज की शारीरिक दूरी के प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए ही बच्चों को यहाँ भर्ती किया जा रहा है | केंद्र के सभी उपकरणों को नियमित रूप से विसंक्रमित किया जा रहा है |