- जिले की पांच इकाइयों पर साल भर में भर्ती कराए गये 402 बच्चे
- 197 बच्चे चिकित्सा इकाइयों से ही हो गये ठीक, 205 को उच्च चिकित्सा संस्थानों से मिला नया जीवन
गोरखपुर - जन्म से लेकर 28 दिन तक बच्चे की अवस्था को नवजात कहा जाता है और बीमारियों व संक्रमण की दृष्टि से यह अवस्था बेहद संवेदनशील होती है । इस अवस्था में अगर बच्चे में किसी भी प्रकार की बीमारी हो और त्वरित चिकित्सा मिल जाए तो उसके जीवन की रक्षा हो जाती है । इससे शिशु मृत्यु दर में भी कमी आती है । इस कार्य में अहम भूमिका निभा रहे हैं जनपद के पांच स्वास्थ्य इकाइयों पर सक्रिय न्यू बार्न स्टेबलाइजेशन यूनिट (एनबीएसयू), जहां वित्तीय वर्ष 2022-23 की अवधि में 402 बच्चों को भर्ती कराया गया । इन बीमार नवजात में से 197 बच्चे चिकित्सा इकाइयों से ही ठीक हो गये, जबकि 205 बच्चों को उच्च चिकित्सा संस्थानों में भेज कर उनके जीवन की रक्षा की गयी ।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि जिले में सहजनवां, बांसगांव, जंगल कौड़िया, कैम्पियरगंज और पिपराईच सीएचसी पर एनबीएसयू संचालित किया जा रहा है । इन इकाइयों पर प्रशिक्षित स्टॉफ नर्स तैनात की गयी हैं जो अलग-अलग शिफ्ट में बीमार नवजात की देखभाल करती हैं । समय-समय पर चिकित्सक भी इन नवजात के स्वास्थ्य की निगरानी करते हैं । अगर एनबीएसयू से कोई बच्चा रेफर किया जा रहा है तो उसके अभिभावकों को 102 नम्बर एम्बुलेंस सेवा उपलब्ध कराने का भी प्रावधान है ।
पिपराईच ब्लॉक के कर्बला गांव की निवासी 50 वर्षीय शारदा की बहू सुंदरी का प्रसव सीएचसी पर छह माह पहले हुआ । शारदा बताती हैं कि संस्थागत प्रसव से पैदा हुआ शुभम उनका पहला पोता है । गर्भावस्था के दौरान सुंदरी की समस्त जांचें भी सीएचसी से ही हुई थीं। जब शुभम पैदा हुआ तो ठीक था। अगले दिन चिकित्सक ने बताया कि उसे पीलिया हो गया है । परिवार के लोग घबरा गये और बच्चे को लेकर किसी प्राइवेट अस्पताल जाना चाहते थे। सीएचसी की स्टॉफ नर्स रवीना ने उन्हें बताया कि बच्चा यहीं पर ठीक हो जाएगा, कहीं ले जाना नहीं पड़ेगा । शुभम को तीन दिन तक एनबीएसयू में रखा गया । वहां उसे दवाएं मिलीं और उसका स्तनपान भी जारी रहा । तीन दिन बाद वह ठीक हो गया । शारदा का कहना है कि इकाई की सेवाएं काफी अच्छी रहीं और स्टॉफ ने भी बच्चे की अच्छे से देखभाल की ।
पिपराईच सीएचसी के अधीक्षक डॉ मणि शेखर का कहना है कि सीएमओ डॉ आशुतोष कुमार दूबे और एसीएमओ आरसीएच डॉ नंद कुमार द्वारा एनबीएससीयू सम्बन्धित जो भी दिशा निर्देश मिलते हैं उनका पालन कराया जाता है । सहयोगी संस्थाएं यूनिसेफ और यूपीटीएसयू की मदद से भी इस इकाई की सेवाएं सुदृढ़ की जाती हैं ।
आवश्यकता पड़ने पर करते हैं रेफर : पिपराईच सीएचसी के एनबीएसयू की स्टॉफ नर्स रवीना बताती हैं कि उनके अलावा प्रीति और अनिता दो और नर्सेज एनबीएससीयू में सेवाएं दे रही हैं । यहां पर पीलिया ग्रसित, पैदा होने पर न रोने वाले बच्चे, बुखार पीड़ित बच्चे, कम वजन के नवजात और जन्म के समय गंर्भ का गंदा पानी पी लेने वाले बच्चे रखे जाते हैं । इस बात का ध्यान रखा जाता है कि अगर बच्चे का वजन 1800 ग्राम से भी कम है तो उसे उच्च चिकित्सा संस्थान रेफर कर दिया जाता है । बच्चे के इलाज के दौरान उसका स्तनपान भी जारी रखा जाता है । अगर मां एनबीएसयू में आने में असमर्थ है तो कटोरी में दूध लाकर स्टॉफ के द्वारा नवजात को पिलाया जाता है ।
समय समय पर होता है प्रशिक्षण : जिला मातृत्व स्वास्थ्य परामर्शदाता डॉ सूर्यप्रकाश का कहना है कि एनबीएसयू में कार्य करने वाली नर्सेज को समय समय पर प्रशिक्षित किया जाता है और नवजात की देखभाल की नवीनतम जानकारी दी जाती है । जिले में सबसे ज्यादा 60 बच्चे पिपराईच के एनबीएससीयू में ही स्वस्थ हो गये । कैम्पियरंगज में 56 और सहजनवां में 55 बच्चे इकाई से ही स्वस्थ होकर घर ले जाए गये ।