- अंतर्राष्ट्रीय माहवारी स्वच्छता दिवस (28 मई पर विशेष)
- माहवारी के दौरान स्वच्छता के अभाव से हो सकता है सर्वाइकल कैंसर
लखनऊ - मासिक धर्म (माहवारी) जैसी प्राकृतिक एवं जैविक प्रक्रिया को लेकर शर्माने और सकुचाने की नहीं बल्कि चुप्पी तोड़ने और खुलकर बोलने की जरूरत है। माहवारी स्वच्छता का सही से प्रबंधन न किए जाने से किशोरी या फिर महिला की सर्वाइकल कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की चपेट में आने की संभावना रहती है। यह फ़्रन्टियर इन सेल्यूलर एंड इन्फेक्शन माइक्रोबायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित शोध के निष्कर्ष में सामने आया है। शोध के अनुसार जिन महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर या प्री सर्वाइकल कैंसर की पुष्टि हुई है। उनकी योनि में खराब बैक्टीरिया का संक्रमण मिला है जबकि स्वस्थ महिला की योनि में ऐसा कुछ नहीं पाया गया। खराब बैक्टीरिया के कारण सर्वाइकल कैंसर के होने की संभावना होती है।
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय की वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डा.सुजाता देव बताती हैं कि माहवारी के दौरान सफाई के अभाव में जननांगों और पेशाब की नली में संक्रमण हो सकता है। जिसका उचित समय पर उपचार न करने से बच्चेदानी के मुंह का कैंसर(सर्वाइकल कैंसर) हो सकता है। भारत में हर साल लगभग 1.32 लाख महिलायें इस बीमारी की चपेट में आती हैं। डा. सुजाता के अनुसार साल में कम से कम एक बार महिला रोग विशेषज्ञ से सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग जरूर करवानी चाहिए इसकी सुविधा स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध है। नियमित तौर पर जांच से समय पर इसका इलाज शुरू किया जा सकता है।
डा. सुजाता बताती हैं कि राष्ट्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के अनुसार प्रदेश में 15 से 24 साल की 72.6 फीसद युवतियां माहवारी के दौरान साफ-सफाई को अपनाती हैं, जबकि 17.4 फीसद असुरक्षित साधनों का प्रयोग करती हैं। वह कहती हैं कि माहवारी के दौरान स्वच्छता अपनाकर हम संक्रमण से बच सकते हैं। इसके लिए जननांगों को अंदर से बाहर की तरफ पानी से अच्छे से साफ़ करना चाहिए और सूती कपड़े से पोंछना चाहिये जिससे कि नमी न रह जाए। नमी रहने से कीटाणुओं के पनपने का खतरा रहता है। इसके साथ ही नियमित नहाना चाहिए। माहवारी प्रबंधन के उत्पादों के उपयोग करने से पहले और बाद में हाथों को साबुन और पानी से धोना चाहिए जिससे किसी भी प्रकार का संक्रमण न होने पाए | सैनिटरी पैड को हर दो से तीन घंटे पर बदलना चाहिए। यदि रक्तस्राव अधिक है तो और जल्दी-जल्दी सैनिटरी पैड बदलने चाहिए। इसके अलावा खुशबूयुक्त और केमिकलयुक्त सेनिटरी पैड के उपयोग से बचना चाहिए क्योंकि इससे त्वचा में रेशेज हो सकते हैं। इसके साथ ही अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए जिससे कि पेशाब की नली साफ रहे और यह योनि के संक्रमण को भी कम करता है।
सर्वाइकल कैंसर के लक्षण : योनि से अनियमित बदबूदार पानी का स्राव या रक्त स्राव, दो माहवारियों के बीच में अचानक रक्तस्राव होना, माहवारी के दौरान अधिक रक्तस्राव और अवधि लंबी होना, संभोग के दौरान रक्तस्राव या रजोनिवृत्ति के बाद रक्त स्राव होना। यदि इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दें तो शीघ्र ही चिकित्सक से इलाज कराएं।
सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग : डा. सुजाता के अनुसार साल में कम से कम एक बार महिला रोग विशेषज्ञ से सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग जरूर करवानी चाहिए इसकी सुविधा स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध है। स्क्रीनिंग के लिए पेप टेस्ट और एचपीवी टेस्ट होता है। नियमित तौर पर स्क्रीनिंग कराने से सर्विक्स की कोशिकाओं में होने वाले अनियमित परिवर्तन का पता समय से लग सकता है और इलाज समय से शुरू किया जा सकता है।
सैनिटरी पैड को यूं करें नष्ट : माहवारी में उपयोग किये गए पैड या कपड़े को खुले में नहीं फेंकना चाहिये क्योंकि ऐसा करने से उठाने वाले व्यक्ति में संक्रमण का खतरा हो सकता है। हमेशा पैड को पेपर या पुराने अखबार में लपेटकर फेंकना चाहिये या जमीन में गड्ढा खोदकर दबा देना चाहिए।