- प्रक्रिया की जगह परिणाम पर केंद्रित दृष्टिकोण से काम किए जाने की आवश्यकता है: डॉ हीरा लाल
- जनपद स्तर पर प्रत्येक माह एचआईवी/ टीबी समन्वय बैठक फिर शुरू करने के निर्देश
- राज्य स्तर पर सभी डीटीओ और एचआईवी-टीबी कोआर्डिनेटर की संवेदीकरण बैठक कराने के लिए आवश्यक कार्यवाही का सुझाव
लखनऊ - एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडेफिसिएंसी वायरस) संक्रमित लोगों में क्षय रोग होने का खतरा अधिक रहता है। लिहाजा देश को सन् 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के लिए एचआईवी और टीबी विभाग में बेहतर समन्वय जरूरी है। यह बात उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी के अपर परियोजना निदेशक डॉ हीरा लाल ने सोमवार को अंतर विभागीय बैठक में कही। सोसाइटी द्वारा कार्यरत टेक्निकल सपोर्ट यूनिट (सेतू), राज्य क्षय रोग अधिकारी कार्यालय के अधिकारियों और स्टेट टीबी प्रोग्राम-यूपीटीएसयू के साथ यह बैठक की गई।
डॉ हीरालाल ने टीबीटीएसयू प्रतिनिधियों और सेतु टीम सदस्यों को आपसी समन्वय बढ़ाने तथा मिलकर काम करने के निर्देश दिए। उन्होंने दोनों टीमों को अगली बैठक मे विस्तृत प्रस्तुतीकरण करने को भी कहा। साथ ही कहा कि राज्य स्तर पर अतिशीघ्र दोनों कार्यक्रम से जुड़े सभी पार्टनर एजेंसी की बैठक भी कराई जाए।
उन्होंने कहा कि जनपदीय स्तर पर डी.टी.ओ, एचआईवी एड्स कार्यक्रम के नोडल अधिकारी हैं, किंतु कहीं न कहीं एचआईवी और टीबी कार्यक्रम में आपसी समन्वय की कमी दिखती है, जो कई जिलों में किए गए दौरों में दिखी भी है। इसलिए जनपदीय स्तर पर मासिक रूप से कराई जाने वाली एचआईवी टीबी समन्वय बैठक जो की कोविड काल मे शिथिल पड गई थी उन्हे फिर से सभी जिलों मे कराया जाना सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि दोनों टेक्निकल सपोर्ट यूनिट के फील्ड अफसर जनपदों में लगातार मॉनिटरिंग करें और बेहतर काम को बढावा दें । उन्होंने सभी से सुझाव भी मांगे।
डॉ हीरा लाल ने कहा कि प्रक्रिया की जगह परिणाम पर केंद्रित दृष्टीकोण से काम किए जाने की आवश्यकता है, तभी राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। बैठक मे मुख्य रूप से डॉ गीता अग्रवाल, सुनील मिश्र, नरेंद्र सिंह, अभिषेक सिंह, अनुज दीक्षित, भरत शेट्टी, शैलेन्द्र उपाध्याय, विनय सिंह, हिमांशु उपस्थित थे।