बच्चों व गर्भवती के स्वास्थ्य को सुदृढ़ करने के लिए “संभव अभियान”



लखनऊ - गर्भवती और छह साल तक के बच्चों के स्वास्थ्य की निगरानी और उन्हें जरूरी सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रदेश में इस माह से सितंबर तक अंतर्विभागीय समन्वय द्वारा संभव अभियान चलाया जा रहा है।

बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग की निदेशक सरनीत कौर ब्रोका ने बताया कि पिछले दो वर्षों से आयोजित हो रहे  संभव अभियान के सकारात्मक परिणाम सामने आये हैं | इसी क्रम में इस साल भी जून से सितंबर तक यह अभियान चलाया जा रहा है। इसमें स्वास्थ्य विभाग का पूर्ण सहयोग है।

इस साल अभियान की थीम है- “पोषण 500”  जिसमें गर्भवती और छह माह से कम आयु के बच्चों पर विशेष ध्यान देना है।  शुरू के छह माह के दौरान बच्चों में कुपोषण का मुख्य कारण माँ का कुपोषित होना और बच्चे को केवल स्तनपान प्राप्त न होना होता है। यदि शुरुआत के छह माह में बच्चा कुपोषित होता है तो भविष्य में भी उसके कुपोषित होने की संभावना बनी रहती है। इसलिए गर्भवती का शीघ्र पंजीकरण, वजन माप, पोषण संबंधी परामर्श, आईएफए और कैल्शियम की गोलियों का सेवन सुनिश्चित कराकर हम मातृ कुपोषण में कमी ला सकते हैं।  इसी तरह छह माह तक की आयु के बच्चे को केवल स्तनपान कराकर कुपोषण की श्रेणी में आने से बचा सकते हैं।

संभव अभियान के तहत जून माह  में शून्य से छह साल तक के सभी बच्चों का वजन और लंबाई लेकर कम वजन और अति कुपोषित (सैम) बच्चों को चिन्हित करने के साथ ही प्रबंधन किया जा रहा है। इन सभी का विवरण  पोषण ट्रैकर और ई-कवच पर अपडेट किया जाएगा। जुलाई माह में चिन्हित सैम बच्चों की ए.एन.एम द्वारा ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वी.एच.एस.एन.डी) पर  स्वास्थ्य जांच की जाएगी और जो सैम बच्चे चिकित्सीय समस्याओं से ग्रसित हैं उन्हें पोषण पुनर्वास केंद्र (एन.आर.सी) रेफ़र किया जाएगा । अगस्त माह में वजन लिए गये सभी बच्चों का फॉलो-अप कर उन्हें परामर्श दिया जाएगा और यह भी देखा जाएगा कि वजन बढ़ा है या नहीं । सितंबर माह राष्ट्रीय पोषण माह के तौर पर मनाया जाता है। इस दौरान विभिन्न गतिविधियां आयोजित करते हुए सभी बच्चों का फिर से वजन लिया जाएगा। अक्टूबर के महीने में पूरे अभियान का मूल्यांकन किया जाएगा | दिसंबर के महीने में बच्चों का फिर से वजन लिया जाएगा और यह देखा जाएगा कि बच्चों के पोषण की स्थिति में कोई परिवर्तन हुआ है या नहीं। इसी क्रम में सात जून से शुरू हुए “एक कदम सुपोषण की ओर” अभियान के तहत पहली तिमाही की गर्भवती का वजन और लंबाई मापी जा रही है और कुपोषित गर्भवती चिन्हित की जा रही हैं व उनका प्रबंधन किया जा रहा है। गर्भवती का वजन 45 किलोग्राम और लंबाई 145 सेंटीमीटर से कम है तो गर्भवती कुपोषित की श्रेणी में आएगी। इसके अलावा यदि गर्भवती के मातृ-शिशु सुरक्षा (एमसीपी) कार्ड में हीमोग्लोबिन 11 ग्राम प्रति डेसीलीटर से कम है तो वह एनीमिक है। इस स्थिति में भी गर्भवती कुपोषित होती है। दूसरी और तीसरी तिमाही की गर्भवती का हर माह वजन कर उसमें हो रही बढ़त का आँकलन किया जाएगा और आवश्यकतानुसार प्रबंधन किया जाएगा।  यह दोनों अभियान, आई.सी.डी.एस व स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त प्रयास से चलाए जा रहे हैं।