एमडीए को लेकर जिला समन्वय समिति की बैठक सम्पन्न



बाराबंकी - राष्ट्रीय फाइलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम के अन्तर्गत एमडीए अभियान के सम्बन्ध में सीडीओ एकता सिंह की अध्यक्षता में डीआरडीए गांधी सभागार में एक बैठक आहूत की गई।  इस दौरान कार्यक्रम की विभिन्न गतिविधियों को संचालित किए जाने के सम्बन्ध में सीडीओ की ओर से निर्देश देते हुए विस्तार से चर्चा की गई। मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन अभियान के लिए जिला समन्वय समिति की पहली बैठक है। यह अभियान जनपद में 22 नवम्बर से 7 दिसम्बर तक चलाया जायेगा।

मुख्य विकास अधिकारी एकता सिंह ने कहा कि ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर अपने समक्ष समस्त लाभार्थियों को दवा का सेवन कराए। दवा सेवन के उपरान्त परिवार-पंजिका में लाभार्थी द्वारा सेवन की गई दवा की मात्रा का अंकन अवश्य करें। कार्यक्रम के पर्यवेक्षण हेतु ब्लॉक स्तर से नियुक्त प्रत्येक अधिकारी/कर्मचारी द्वारा अपने क्षेत्र में भ्रमण किया जाये। कार्यक्रम के मॉनिटरिंग फॉर्मेट को आगामी दो वर्ष तक अवश्य संरक्षित किए जाए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर के पास अपने क्षेत्र का माइक्रोप्लान अवश्य होना चाहिए एवं उसी के अनुसार भ्रमण करते हुए कार्य का निष्पादन करें।

एसीएमओ एवं कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा डीके श्रीवास्तव ने बताया फाइलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम के तहत 22 नवम्बर से 7 दिसम्बर तक जिले में चलना तय है। इस कार्यक्रम के सही क्रियांन्वन के लिए फ्रंट लाइन वर्करों को पहले ही प्रशिक्षण में टिप्स दे दिये गये है। नोडल अधिकारी डा डीके श्रीवास्तव ने बताया कि माइक्रो प्लान के तहत क्या –क्या गतिविधियां होनी है और कितने लोगों को कार्य करना है। कौन पर्यवेक्षक का कार्य करेगा इसके अलावा कौन मॉनीटरिंग करेगा। इसका विवरण जल्द उपलब्ध कराया जायेगा। दवा खाने के बाद मरीज को दिक्कत से बचाने के लिए रैपिड रिस्पांस टीम बनाई जायेगी । उन्होंने बताया कि हर उम्र के लिए फाइलेरिया में दवा की डोज अलग है।

नोडल अधिकारी ने बताया फाइलेरिया के उन्मूलन के लिए केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन  कार्यक्रम चलाया जा रहा है। फाइलेरिया परजीवी की औसतन आयु 4 से 6 वर्ष की होती है, इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को  अभियान के दौरान पांच सालों तक लगातार फाइलेरिया से बचाव की दवा खानी चाहिए, जिससे कि वह फाइलेरिया जैसी घातक बीमारी से बच सके।

मख्य चिकित्साधिकारी डा रामजी वर्मा ने बताया फाइलेरिया  बीमारी  क्यूलेक्स और मैनसोनाइडिस प्रजाति के मच्छरों से होती है। यह मच्छर जब किसी मानव को काटता है तो यह एक पतले धागे जैसा परजीवी मानव शरीर में छोड़ता है। मादा परजीवी, नर परजीवी के संपर्क में आकर लाखों सूक्ष्म फाइलेरिया नामक भ्रूणों को जन्म देती है। यह माइक्रो फाइलेरिया रात के समय में प्रभावी होते हैं।

इस दौरान अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा केएनएम त्रिपाठी, जिला कार्यक्रम अधिकारी, अपर जिला सूचना अधिकारी सहित सम्बन्धित विभागीय अधिकारी मौजूद रहे।