2.9 लाख छूटे लोगों को खिलाई फाइलेरिया की दवा, शत प्रतिशत आबादी कवर



बाराबंकी  -  फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत  मॉस ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) अभियान में छूटे लोगों को दवा खिलाने के लिए 13 से 18 दिसम्बर तक अभियान चलाया गया। इस दौरान गठित टीमें ने छूटे 2 लाख 9 हजार से ज्यादा व्यक्तियों को चिन्ह्ति कर दोबारा उनके घर जाकर दवा फाइलेरिया रोधी दवा खिलाया गया। इसके तहत 30 लाख 23 हजार 576 लोगों को दवा खिलाकर लक्ष्य का शत प्रतिशत अपेक्षित आबादी कवर किया गया।

जिला मलेरिया अधिकारी अविनाश चन्द्र ने बताया कि फाइलेरिया जैसी बीमारी को जड़ से समाप्त करने के लिए शासन प्रति वर्ष जीरो  से 2 वर्ष के बच्चे, गर्भवती महिलाएं, अत्यधिक वृद्ध एवं बीमार व्यक्ति को छोड़कर सभी को आयु वर्ग के अनुसार नि:शुल्क दवा खिलाने का काम कर रही है। इस बार जिले में दवा खिलाने के लिए 22 नवबंर से सात दिसंबर तक अभियान चलाया गया था। अभियान के दौरान जिले की कुल जनसंख्या 37 लाख 65 हजार लोगों के सापेक्ष 30 लाख 23 हजार 576 से अधिक लोगों को दवा का सेवन कराया गया।

इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की कुल 6 हजार 500 एडमिनिस्ट्रेटर व 418 सुपरवाइजर लगाये गये है। टीम घर-घर जाकर लोगों को दवा खिलाने का काम कर रही थीं। अभियान में छूटे लोगों को दवा खिलाने के लिए 10 दिसंबर तक मॉपअप राउंड चलाया जा रहा है। इस दौरान जिले के कुल 213 उपकेंद्र क्षेत्र में ऐसे लोगों को चिन्ह्ति कर टीमें दोबारा उनके घर जाकर दवा खिलाने का काम कर रही हैं।

खाना खाने के बाद खाएं दवा: अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं अभियान के नोडल अधिकारी डॉ डीके श्रीवास्तव के अनुसार दवा हमेशा भोजन के बाद ही खाना है। दो वर्ष से नीचे के बच्चों व गर्भवती महिलाओं व गंभीर रोग से पीड़ितों को दवा नहीं दी जाएगी। खाली पेट दवा खाने के बाद अथवा स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया रोग के परजीवी होने की दशा में दवा खाने के बाद जी मचलना, बुखार, सिर दर्द होना व चक्कर आना जैसी क्षणिक प्रतिक्रिया हो सकती है। ऐसी दशा में इससे घबराने की कोई जरुरत नहीं है।

ऐसे करें बचाव: घर के आसपास व बस्ती में गंदगी न होने दें। सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग हमेशा करें। फाइलेरिया की दवा साल में एक बार जरुर खाएं। जहां दूषित पानी जमा हो वहां पर न सोएं। मच्छरों का प्रकोप बढ़ने पर मच्छर रोधी दवा का भी उपयोग करें। संक्रामक बीमारी होते ही तत्काल चिकित्सक से संपर्क करें।

यह है लक्षण: एलीफेंटिस यानि श्लीपद ज्वर एक परजीवी के कारण फैलती है, जो कि मच्छर के काटने से शरीर के अंदर प्रवेश करता है। इस बीमारी से मरीज के पैर हाथी के पैरों की तरह फूल जाते हैं। इस रोग के होने से न केवल शारीरिक विकलांगता होता है बल्कि मरीजों की मानसिक और आर्थिक स्थिति भी बिगड़ सकती है। फाइलेरिया रोग मुख्यत: क्यूलेक्स मादा मच्छर के काटने से होता है। इस बीमारी में अंडकोष में भी सूजन हो जाता है। किसी भी व्यक्ति को संक्रमण के पश्चात बीमारी होने में पांच से पंद्रह वर्ष तक का समय लग सकता हैं। फाइलेरिया का लक्षण दिखते ही चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।