दुनिया भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्वास भरी नजरों से देख रही : पीएम नरेंद्र मोदी



नई दिल्ली - प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि भारत लालफीताशाही से लाल कालीन की ओर बढ़ गया है और पिछले नौ वर्षों में निर्बाध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ डीआई) प्रवाह को सक्षम किया है। गुरुवार को G20 व्यापार और निवेश मंत्रिस्तरीय बैठक के एक आभासी संबोधन में पीएम मोदी ने G20 सदस्य देशों से एक लचीला और समावेशी वैश्विक मूल्य श्रृंखला बनाने का आह्वान किया जो भविष्य के झटकों का सामना कर सके। पीएम मोदी ने कहा हम लालफीताशाही से लाल कालीन की ओर चले गए हैं और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह को उदार बनाया है। 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' जैसी पहल ने विनिर्माण को बढ़ावा दिया है। सबसे बढ़कर, हम नीतिगत स्थिरता लाए हैं। हम प्रतिबद्ध हैं अगले कुछ वर्षों में भारत को तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनाने के लिए।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि दुनिया भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्वास भरी नजरों से देख रही है और भारत को अवसरों तथा खुलेपन का संयोजन माना जा रहा है। जी20 व्यापार एवं निवेश मंत्रियों की बैठक को वीडियो संदेश के जरिए संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि पिछले नौ वर्षों में भारत पांचवीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बन गया और उसने प्रतिस्पर्धा का माहौल तथा पारदर्शिता बढ़ाई है। उन्होंने कहा, ''आज हम भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर वैश्विक स्तर पर आशावाद तथा विश्वास देखते हैं। भारत को खुलेपन, अवसरों और विकल्पों के संयोजन के रूप में देखा जाता है।"

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत ने डिजिटलीकरण का विस्तार किया है और नवाचार को बढ़ावा दिया है। हम लाल फीताशाही से रेड कार्पेट की ओर बढ़े हैं। एफ डीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) के प्रवाह को उदार बनाया है। उन्होंने कहा, '' सबसे बढ़कर हम नीतिगत स्थिरता लाए हैं। हम अगले कुछ वर्षों में भारत को तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।" मोदी ने कहा कि वैश्विक अनिश्चितताओं ने विश्व अर्थव्यवस्था की परीक्षा ली और जी20 के सदस्यों के रूप में यह देशों की जिम्मेदारी है कि वे अंतरराष्ट्रीय व्यापार तथा निवेश में विश्वास का पुनर्निर्माण करें।

प्रधानमंत्री ने कहा, '' हमें मजबूत और समावेशी वैश्विक मूल्य श्रृंखलाएं बनानी चाहिए जो भविष्य में पेश होने वाली चुनौतियों का सामना कर सकें। इस संदर्भ में, वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के मानचित्रण के लिए एक सामान्य ढांचा बनाने का भारत का प्रस्ताव महत्वपूर्ण है।" उन्होंने ई-वाणिज्य की वृद्धि पर कहा कि बड़े और छोटे विक्रेताओं के बीच समान प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक रूप से काम करने की जरूरत है। मोदी ने कहा, '' हमें उचित मूल्य खोज तथा शिकायत निवारण तंत्र में उपभोक्ताओं के समक्ष पेश होने वाली समस्या का भी समाधान तलाशने की जरूरत है।" उन्होंने कहा कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि उनसे 60 से 70 प्रतिशत रोजगार का सृजन होता है और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में वे 50 प्रतिशत योगदान करते हैं।