टीकाकरण को लेकर ब्लॉक रिस्पॉंस टीम को दिया गया प्रशिक्षण



  • बच्चों के नियमित टीकाकरण में बीआरटी की भूमिका अहम : सीएमओ  
  • सघन मिशन इंद्रधनुष का दूसरा चरण 11 सितम्बर से

लखनऊ - जनपद में सघन मिशन इंद्रधनुष (आईएमआई)5.0 का दूसरा चरण 11 सितंबर से शुरू होगा, जो 16 सितंबर तक चलेगा। इसी क्रम में स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान एवं यूनिसेफ के सहयोग से मंगलवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में ब्लॉक रिस्पॉन्स टीम (बीआरटी) का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित हुआ। सघन मिशन इंद्रधनुष अभियान 5.0 तीन चरणों में चलाया जा रहा है। इसका पहला चरण सात से 12 अगस्त तक आयोजित किया जा चुका है।

इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. मनोज अग्रवाल ने कहा कि नियमित टीकाकरण और मीजल्स रूबेला (एमआर) उन्मूलन स्वास्थ्य विभाग की प्राथमिकता में है। अब भी कुछ परिवार ऐसे हैं जो बच्चों का टीकाकरण नहीं करवाते हैं, जिसके कारण शत प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त करने में कठिनाई होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए ब्लॉक स्तर पर बीआरटी गठित की गई है, जो ऐसे घरों का भ्रमण करती है जो कि बच्चों का टीकाकरण करवाने का विरोध करते हैं। टीम ऐसे घरों का भ्रमण कर परिवार को मोबिलाइज करते हुए टीकाकरण करवाने का प्रयास करती है, इसलिए नियमित टीकाकरण में बीआरटी की भूमिका अहम है।

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा.ए.पी. मिश्रा ने कहा कि टीकाकरण न करवाने वाले परिवारों को चिन्हित करते हुए सूची बनाएं और उनके घर का भ्रमण कर उन्हें टीकाकरण से होने वाले लाभों के बारे में बताएं। इसके लिए ऐसे बच्चों के अभिभावकों की मदद ले सकते हैं, जिन्होंने अपने बच्चे का पूर्ण टीकाकरण करवाया हो। इसके साथ ही परिवार के पड़ोसियों एवं दोस्तों या स्थानीय बुजुर्ग या धार्मिक गुरु की सहायता भी ले सकते हैं। हमें ऐसे परिवारों को राजी करना बहुत ही जरूरी है, क्योंकि एक तो इसके कारण ही शत प्रतिशत टीकाकरण नहीं हो पा रहा है दूसरे बच्चे खसरा और रूबेला जैसी बीमारियों के चपेट में आ सकते हैं जो कि संक्रामक हैं। यह बीमारी अन्य बच्चों को भी प्रभावित कर सकती है।

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी ने कहा कि परिवार के सदस्यों को बताएं कि टीकाकरण न करवाने से बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कम हो सकती है, जिसके कारण बच्चा बार-बार बीमारियों की चपेट में आ सकता है। टीका न लगवाने से बच्चा ऐसी बीमारियों की चपेट में आ सकता है जो उसे शारीरिक और मानसिक रूप से दिव्यांग बना सकती हैं। कुछ में तो उसकी जान भी जा सकती है। बच्चा बीमार होगा तो माँ-बाप को अस्पताल के चक्कर लगाने होंगे, जिससे पूरा परिवार परेशान होता है। ऐसे में पैसा और समय दोनो ही बर्बाद होते हैं। इन सबसे बचना है तो बच्चे का नियमित टीकाकरण अवश्य कराएं।

जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी योगेश रघुवंशी ने कहा कि यह दो दिवसीय प्रशिक्षण था। जिसमें सोमवार को शहरी एवं ग्रामीण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारियों, ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर (बीपीएम), ब्लॉक कम्युनिटी प्रोसेस मैनेजर (बीसीपीएम) एवं प्रतिरक्षण अधिकारी तथा मंगलवार को शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी और कोल्ड चेन हैंडलर  प्रतिभाग किया । दो दिनों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में कुल 105 प्रशिक्षणार्थियों ने प्रतिभाग किया।

इस मौके पर विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ़ और यूएनडीपी के प्रतिनिधि और मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के कर्मचारी मौजूद रहे।