- जन्म से लेकर पांच वर्ष तक के छूटे हुए बच्चों व गर्भवती का होगा टीकाकरण
- जनपद में सफलतापूर्वक चला सघन मिशन इंद्रधनुष - 5.0 का पहला व दूसरा चरण
कानपुर - जनपद में सोमवार (नौ अक्टूबर) से सघन मिशन इंद्रधनुष 5.0 का तीसरा व अंतिम चरण शुरू होगा। राष्ट्रीय नियमित टीकाकरण से छूटे जन्म से लेकर पाँच वर्ष तक के बच्चों व गर्भवती को पूर्ण प्रतिरक्षित करने के लिए तीसरा चरण चलाया जायेगा। समुदाय में “पाँच साल, सात बार छूटे न टीका एक भी बार” का संदेश दिया जायेगा । अगस्त में चले सघन मिशन इंद्रधनुष - 5.0 के पहले चरण में लक्ष्य के सापेक्ष 83 प्रतिशत बच्चों व 100 प्रतिशत गर्भवती को प्रतिरक्षित किया गया। वहीँ दूसरे चरण सितम्बर में लक्ष्य के सापेक्ष 85 प्रतिशत बच्चों व 96 प्रतिशत गर्भवती को प्रतिरक्षित किया गया।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आलोक रंजन ने बताया अभियान की सफलता सुनिश्चित करने के लिए ए.एन.एम. एवं आशा के माध्यम से एक एक गाँव के प्रत्येक घरों का सर्वेक्षण कराकर बच्चों का हेड काउंट सर्वे कराया गया है। सोमवार से चलने वाले अभियान में उच्च जोखिम, शहरी मलिन बस्तियों, दूर-दराज के क्षेत्रों पर विशेष जोर दिया जायेगा। टीकाकरण सत्रों के स्थान को लेकर बुलावा पर्ची के माध्यम से अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है , जिससे परिजन अपने बच्चों व गर्भवती का आसानी से टीकाकरण करा सकें।
एसीएमओ (प्रतिरक्षण) डॉ यूवी सिंह ने कहा कि अभियान की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सभी चिकित्सा अधीक्षक व प्रभारी चिकित्साधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि अभियान के अंतिम चरण में सभी छूटे हुये बच्चों व गर्भवती का सौ फीसदी टीकाकरण करवा लें, जिससे भविष्य में जनपद में सघन मिशन इंद्रधनुष चलाने की आवश्यकता न हो तथा नियमित टीकाकरण कार्यक्रम को और अधिक सुदृढ़ किया जा सके। उन्होंने कहा कि टीकाकरण बच्चों व गर्भवती को गंभीर बीमारियों के साथ ही टीके से रोकी जा सकने वाली जन्मजात बीमारियों की जटिलताओं से बचाता है। इससे बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है।
परिवार क्यों नहीं कराते टीकाकरण : यूनिसेफ के डीएमसी फ़ुजैल अहमद सिद्दीकी बताते हैं कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 के अनुसार नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के द्वारा देश में लगभग 81.2 प्रतिशत बच्चों का पूर्ण टीकाकरण किया गया है, जबकि बहुत से बच्चे अब भी पूर्ण टीकाकरण से वंचित है। टीकाकरण से बच्चों को होने वाले लाभ के सम्बन्ध में जागरूकता न होना व जानकारी के अभाव के कारण, टीकाकरण के बाद होने वाली प्रतिकूल घटना जैसे बुखार आना, सूजन आना आदि के डर से अपने बच्चों को टीकाकरण से वंचित रखते है, जबकि स्वास्थ्य विभाग के द्वारा बुखार, सूजन आदि के समुचित प्रबंधन का कार्य किया जाता है। इसी प्रकार कुछ बच्चे टीकाकरण के समय घर पर न मिलने के कारण वंचित रह जाते हैं। इसलिये सभी अभिभावकों से अपील है कि अपने नौनिहालों को जानलेवा बीमारियों की चपेट में आने से बचाने के लिये बच्चों का सम्पूर्ण टीकाकरण अवश्य करायें।
बच्चों को लगते हैं 12 तरह के टीके - मिशन इंद्रधनुष अभियान में बच्चों के लिए 12 वैक्सीन प्रिवेंटेबल डिज़ीज़ के टीकाकरण शामिल हैं, जिनमें डिप्थीरिया, काली खांसी, टिटनेस, पोलियो, क्षय (टीबी), हेपेटाइटिस-बी, गलाघोंटू, निमोनिया हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप-बी संक्रमण, रोटावायरस वैक्सीन, न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन (पीसीवी) और खसरा-रूबेला (एमआर) हैं।